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मीडिया को खरीदा, फिर सरकार पर डलवाया दबाव; ऐसे चीन के जाल में फंसा ताइवान समर्थक देश

चीन पर सोलोमन द्वीप समूह के मंत्री को ताइवान समर्थक गठबंधन छोड़ने के लिए दबाव डालने का आरोप है। ताइवान का दावा है कि चीन विकासशील देशों को नकद और आर्थिक प्रलोभन देकर अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, होनियाराFri, 23 May 2025 08:52 AM
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मीडिया को खरीदा, फिर सरकार पर डलवाया दबाव; ऐसे चीन के जाल में फंसा ताइवान समर्थक देश

चीन ताइवान को अपने क्षेत्र का अभिन्न अंग मानता है और इसे "वन चाइना" नीति के तहत चीन में मिलाने की पूरी कोशिश कर रहा है। बीजिंग का दावा है कि ताइवान ऐतिहासिक और कानूनी रूप से पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना (PRC) का हिस्सा है। इस नीति के तहत, चीन ताइवान के साथ किसी भी देश के औपचारिक राजनयिक संबंधों का विरोध करता है और इसे अपनी संप्रभुता पर चुनौती के रूप में देखता है। इसी के चलते, चीन ने ताइवान को अंतरराष्ट्रीय मंचों से अलग करने और विकासशील देशों को आर्थिक प्रलोभन देकर अपनी ओर आकर्षित करने की रणनीति अपनाई है, जिससे ताइवान के कुछ ही देशों के साथ राजनयिक संबंध बचे हैं। इस बीच एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है जिसमें दावा किया गया है कि चीन वे सोलोमन द्वीपसमूह देश में पहले स्थानीय मीडिया को खरीदा फिर सरकार पर दबाव डलवाया ताकि वह अपना ताइवान समर्थन छोड़ दे। इसका नतीजा ये निकला कि सोलोमन द्वीपसमूह ने ताइवान की राजनयिक मान्यता त्याग दी और चीन के साथ राजनयिक संबंध स्थापित कर लिए।

ताइवान समर्थक गठबंधन से हुआ अलग

फोकस ताइवान की रिपोर्ट के मुताबिक, सोलोमन द्वीपसमूह की एक नागरिक भ्रष्टाचार विरोधी संस्था ने आरोप लगाया है कि चीन ने देश की मीडिया पर दबाव बनाकर राजनीतिक हस्तक्षेप किया, जिसके चलते ग्रामीण विकास मंत्री डैनियल वानेओरोआ ने इंटर-पार्लियामेंट्री अलायंस ऑन चाइना (IPAC) से अपना नाम वापस ले लिया। IPAC एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन है जिसमें 27 देशों के 240 से अधिक सांसद शामिल हैं। यह समूह चीन से जुड़े व्यापार, सुरक्षा और मानवाधिकार जैसे मुद्दों पर काम करता है और ताइवान का समर्थन करता है।

11 मई को सरकार की ओर से जारी एक बयान में मंत्री वानेओरोआ के IPAC से हटने की घोषणा की गई। बयान में कहा गया कि यह फैसला "एकता और समावेशी नेतृत्व" को दर्शाता है और देश की 'वन चाइना नीति' के प्रति प्रतिबद्धता को फिर से दोहराता है। हालांकि, भ्रष्टाचार विरोधी संगठन की कार्यकारी निदेशक रूथ लिलोकुला ने आरोप लगाया कि इस निर्णय के पीछे चीन का हाथ है। उन्होंने बताया कि बीजिंग ने 'सोलोमन स्टार' नामक अंग्रेजी अखबार को लाखों अमेरिकी डॉलर देकर खरीद लिया था। इस अखबार ने वानेओरोआ के खिलाफ जनदबाव बनाने में भूमिका निभाई।

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चीनी प्रचार तंत्र का हिस्सा बनी मीडिया

3 मई को 'सोलोमन स्टार' में प्रकाशित एक लेख में यह टिप्पणी की गई थी कि IPAC जैसी संस्था से मंत्री का जुड़ाव सरकार की 'वन चाइना' नीति के खिलाफ है। लिलोकुला का कहना है कि इस तरह की रिपोर्टें दरअसल चीनी प्रचार तंत्र का हिस्सा थीं। ताइवान के विदेश मंत्रालय ने भी एक बयान में कहा कि "बीजिंग का उद्देश्य ताइवान की अंतरराष्ट्रीय स्थिति को कमजोर करना, ताइवान की जनता को नुकसान पहुंचाना और धीरे-धीरे ताइवान की संप्रभुता को समाप्त करना है।"

ताइवान से तोड़े 36 साल पुराने राजनयिक संबंध

चीन के दूतावास ने सोलोमन द्वीप समूह में विदेशी हस्तक्षेप के आरोपों से इनकार किया है, इसे "निराधार" बताया है। हालांकि, ट्रांसपेरेंसी सोलोमन द्वीप समूह का कहना है कि ये इनकार चीन की संलिप्तता को खारिज करने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। सोलोमन द्वीपसमूह की मौजूदा सरकार का नेतृत्व प्रधानमंत्री जेरमायाह मानेले कर रहे हैं। यह सरकार 2019 में ताइवान के साथ अपने 36 साल पुराने राजनयिक संबंध तोड़कर चीन से राजनयिक संबंध स्थापित कर चुकी है। तब से, चीन ने सोलोमन द्वीप समूह में बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण निवेश किया है, जिसमें 2023 पैसिफिक गेम्स के लिए एक स्टेडियम और एक नया मेडिकल सेंटर शामिल है।

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