Donald Trump entangled in tariff war where neither people nor business even fix tariffs his army base जहां न लोग न व्यापार, अपनी आर्मी बेस को भी नहीं छोड़ा; टैरिफ वॉर में खुद उलझ गए ट्रंप, International Hindi News - Hindustan
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जहां न लोग न व्यापार, अपनी आर्मी बेस को भी नहीं छोड़ा; टैरिफ वॉर में खुद उलझ गए ट्रंप

  • ट्रंप के टैरिफ वाले फैसले में कुछ ऐसे नाम भी शामिल हैं, जिन्हें देखकर दुनिया हैरान है और अमेरिकन खुद भी। टारगेट में वो द्वीप और क्षेत्र भी शामिल हैं जहां ना तो आबादी है, ना ही कोई व्यापारिक गतिविधि।

Gaurav Kala लाइव हिन्दुस्तान, वाशिंगटनThu, 10 April 2025 08:33 AM
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जहां न लोग न व्यापार, अपनी आर्मी बेस को भी नहीं छोड़ा; टैरिफ वॉर में खुद उलझ गए ट्रंप

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में दुनिया के 180 से अधिक देशों और क्षेत्रों पर एकतरफा "रेसिप्रोकल टैरिफ" लगाने का ऐलान किया है। ट्रंप की सबसे ज्यादा मार चीन पर 125 प्रतिशत टैरिफ से लगी है। फिलहाल राहत की बात यह है कि ट्रंप ने बाकी देशों के लिए टैरिफ पर 90 दिन की छूट दी है। ट्रंप के टैरिफ वाले फैसले में कुछ ऐसे नाम भी शामिल हैं, जिन्हें देखकर दुनिया हैरान है और अमेरिकन खुद भी। ट्रंप के टारगेट में वो द्वीप और क्षेत्र भी शामिल हैं जहां ना तो आबादी है, ना ही कोई व्यापारिक गतिविधि बल्कि, उनमें से एक अमेरिकी सेना का प्रमुख अड्डा है!

टैरिफ का गणित

ट्रंप प्रशासन के मुताबिक, यह कदम उन देशों के खिलाफ है जो अमेरिकी उत्पादों पर भारी शुल्क लगाते हैं। लेकिन जब गणना की बात आती है, तो उनकी "रेसिप्रोकल टैरिफ" की परिभाषा पूरी तरह व्यापार घाटे पर आधारित है, यानी जिन देशों से अमेरिका ज्यादा आयात करता है, उनके खिलाफ टैरिफ लगाया गया है।

जहां ना लोग हैं, ना व्यापार वहां भी टैरिफ

पर हैरानी की बात ये है कि इस फॉर्मूले का पालन भी सुसंगत रूप से नहीं हुआ। अमेरिका ने कई ऐसे देशों और क्षेत्रों पर भी टैरिफ लगा दिया है जिनसे उसका व्यापार घाटा नहीं, बल्कि ट्रेड सरप्लस है। हीर्ड आइलैंड और मैकडॉनल्ड आइलैंड्स (ऑस्ट्रेलियाई क्षेत्र)- यहां कोई आबादी नहीं है, केवल सील और पेंगुइन रहते हैं। फिर भी ट्रंप प्रशासन ने 10% टैरिफ लगा दिया।

ब्रिटिश इंडियन ओशन टेरिटरी में कोई आम जनसंख्या नहीं है, बल्कि यहां अमेरिकी सेना और ब्रिटिश सेना का संयुक्त सैन्य अड्डा डिएगो गार्सिया स्थित है। यह स्थान अमेरिका के लिए सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। फिर भी इसे भी 10% टैरिफ झेलना पड़ रहा है। क्रिसमस आइलैंड, कोकोस आइलैंड, नॉरफ़ॉक आइलैंड, टोकेलाऊ, रीयूनियन (फ्रांस का क्षेत्र) जैसे छोटी आबादी वाले क्षेत्र व्यापारिक रूप से न के बराबर हैं, लेकिन फिर भी टैरिफ सूची में शामिल हैं।

ट्रेड सरप्लस वाले देश भी नहीं बचे

ऑस्ट्रेलिया, ब्रिटेन, बेल्जियम, नीदरलैंड, ब्राज़ील: इन सभी देशों से अमेरिका को मुनाफा होता है, फिर भी इन पर 10% से 29% तक के टैरिफ लगाए गए हैं। 2024 में अमेरिका को नीदरलैंड से $56 बिलियन का व्यापार लाभ हुआ, फिर भी 20% का टैरिफ लगा। अमेरिका को 2024 में ब्राजील से $7.4 बिलियन का फायदा हुआ, फिर भी 10% शुल्क।

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कैसे तय किए गए टैरिफ?

ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ तय करने के लिए एक अनोखा फार्मूला अपनाया। उन्होंने अन्य देशों द्वारा लगाए गए आयात शुल्क को आधार नहीं बनाया। इसके बजाय अमेरिका का उस देश के साथ व्यापार घाटा लिया गया, उसे उस देश से कुल आयात के दोगुने से भाग दिया गया और फिर 100 से गुणा कर टैरिफ प्रतिशत निकाला गया। उदाहरण के लिए, अमेरिका का चीन के साथ 2024 में व्यापार घाटा $295 अरब और कुल आयात $439 अरब रहा। तो फार्मूला के हिसाब से टैरिफ आया 34% — यही दर चीन पर लगाई गई। मजेदार बात यह है कि यह फार्मूला उन देशों पर भी लागू कर दिया गया जिनके साथ अमेरिका को व्यापार घाटा नहीं, बल्कि मुनाफा हो रहा है।

मकसद क्या है?

विश्लेषकों के अनुसार, यह कदम व्यापार संतुलन से ज्यादा अमेरिका की वैश्विक बातचीत की शक्ति बढ़ाने का प्रयास है। चाथम हाउस के ट्रेड एक्सपर्ट कार्लोस लोपेस का कहना है, "ये आंकड़े भ्रम की स्थिति पैदा करते हैं, स्पष्टता नहीं। शायद यह कदम एक शक्ति-प्रदर्शन है, कोई गणितीय नीति नहीं।"

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