IVF क्लीनिक से हुई गलती, अनजान शख्स के बच्चे की मां बनी महिला
- भ्रूणों की अदला-बदली की घटनाएं दुनिया के अन्य हिस्सों में भी सामने आ चुकी हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, इजरायल और यूरोप में ऐसे दुर्लभ मामले पहले भी दर्ज किए जा चुके हैं।

ऑस्ट्रेलिया में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के जरिए मां बनी एक महिला ने अनजाने में एक अजनबी के बच्चे को जन्म दे दिया। यह चौंकाने वाली गलती ब्रिस्बेन स्थित मोनाश आईवीएफ क्लिनिक में "इंसानी गलती" की वजह से हुई। क्लिनिक ने शुक्रवार को एक बयान में बताया कि फरवरी 2024 में यह गलती तब सामने आई जब स्टाफ को पता चला कि स्टोरेज में एक दंपति के जरूरत से ज्यादा भ्रूण मौजूद हैं। जांच करने पर यह सामने आया कि एक मरीज का भ्रूण गलती से दूसरी महिला को ट्रांसफर कर दिया गया, जिससे वो गर्भवती हो गई और बच्चे को जन्म दे दिया। रिपोर्ट के मुताबिक, दंपति श्वेत है लेकिन पैदा हुआ बच्चा सांवला है।
क्लिनिक ने मानी गलती
मोनाश आईवीएफ ऑस्ट्रेलिया के सबसे बड़े फर्टिलिटी सेवा प्रदाताओं में से एक है। उसने स्वीकार किया कि "यह घटना प्रयोगशाला में कड़े सुरक्षा प्रोटोकॉल के बावजूद हुई।" कंपनी के सीईओ माइकल क्नैप ने कहा, “हम इस त्रुटि से गहरे दुखी हैं और सभी प्रभावित लोगों से माफी मांगते हैं। हम इस कठिन समय में मरीजों को हर संभव सहयोग देंगे।” बयान के अनुसार, शुरुआती जांच में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है कि अन्य मामलों में भी ऐसी कोई चूक हुई हो। हालांकि, मामले की रिपोर्ट राज्य की नियामक संस्था को सौंप दी गई है।
700 से अधिक मरीजों ने दायर किया मुकदमा
गौरतलब है कि मोनाश आईवीएफ की स्थापना 1971 में हुई थी और इसके क्लीनिक ऑस्ट्रेलिया के कई शहरों में मौजूद हैं। पिछले साल, कंपनी ने 700 से अधिक मरीजों द्वारा दायर एक क्लास एक्शन मुकदमे में 56 मिलियन ऑस्ट्रेलियन डॉलर (लगभग 35 मिलियन अमेरिकी डॉलर) में समझौता किया था। उस मामले में मरीजों ने आरोप लगाया था कि क्लिनिक ने संभावित रूप से उपयोगी भ्रूणों को नष्ट कर दिया था, हालांकि कंपनी ने किसी भी गलती की जिम्मेदारी नहीं ली थी।
भ्रूणों की अदला-बदली की घटनाएं दुनिया के अन्य हिस्सों में भी सामने आ चुकी हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, इजरायल और यूरोप में ऐसे दुर्लभ मामले पहले भी दर्ज किए जा चुके हैं। फरवरी 2024 में अमेरिका के जॉर्जिया राज्य की एक महिला, क्रिस्टेना मरे, ने एक प्रजनन क्लिनिक के खिलाफ मुकदमा दायर किया जब उसने एक ऐसे बच्चे को जन्म दिया जो उसका जैविक नहीं था। मरे और उसके शुक्राणु दाता दोनों ही श्वेत थे, जबकि बच्चा अश्वेत था, जिससे गलती का पता चला। बाद में, मरे ने बच्चे को उसके जैविक माता-पिता को सौंप दिया क्योंकि उसे बताया गया कि वह इस मामले में कानूनी तौर पर बच्चे की कस्टडी नहीं जीत पाएंगी।
हर राज्य में अलग-अलग नियम
ऑस्ट्रेलिया में आईवीएफ से जुड़े नियम हर राज्य में अलग-अलग हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इस वजह से ऐसी त्रुटियों की संभावना बढ़ जाती है। इसी वर्ष 2024 में क्वींसलैंड ने पहली बार IVF से जुड़े नियमों को कानून का रूप दिया। इन कानूनों में एक राष्ट्रीय रजिस्ट्री की स्थापना और डोनर की मेडिकल हिस्ट्री को नष्ट करना अवैध करार दिया गया।
एक आधिकारिक रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि क्वींसलैंड में जमे हुए शुक्राणु नमूनों की पहचान में भारी लापरवाही हुई थी- करीब आधे सैंपल मध्यम या उच्च जोखिम वाले थे। रिपोर्ट में हजारों नमूनों को नष्ट करने की सिफारिश की गई थी। ऑस्ट्रेलिया की सोशल सर्विसेज मंत्री अमांडा रिशवर्थ ने शुक्रवार को 'टुडे' न्यूज प्रोग्राम में कहा, “राज्यों और क्षेत्रों को अपनी IVF रेगुलेशन की समीक्षा करनी चाहिए। यह ज़रूरी है कि लोगों का विश्वास दोबारा बहाल हो।” यह घटना एक बार फिर दिखाती है कि चिकित्सा क्षेत्र में मानवीय त्रुटियां कितनी गंभीर परिणाम ला सकती हैं और क्यों सख्त निगरानी और एक समान राष्ट्रीय नियमों की आवश्यकता है।
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