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इजरायल के 1000 सैनिकों की जंग के बीच बगावत, अब नेतन्याहू सरकार ने भी लिया सख्त फैसला

  • सेना ने कहा कि हमने फैसला लिया है कि ऐसा कोई भी आरक्षित सैनिक अब सर्विस में नहीं रहेगा, जिसने लेटर पर साइन किए हों। हालांकि इजरायल की सेना ने यह नहीं बताया है कि उसके ऐक्शन के कितने लोग शिकार होंगे। इजरायली सेना में शामिल 1000 एयरफोर्स रिजर्व सैनिकों और रिटायर जवानों ने ऐसे लेटर पर साइन किए थे।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, तेल अवीवFri, 11 April 2025 03:51 PM
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इजरायल के 1000 सैनिकों की जंग के बीच बगावत, अब नेतन्याहू सरकार ने भी लिया सख्त फैसला

इजरायल की सेना का कहना है कि वह ऐसे वायु सैनिकों को सेवा से बाहर करेगी, जिन्होंने गाजा पर हमले का विरोध किया था। शुक्रवार को इजरायली सेना ने कहा कि यह ऐक्शन उन लोगों पर लिया जाएगा, जिन्होंने एक पत्र लिखा था और कहा था कि सरकार यह जंग राजनीतिक फायदे के लिए लड़ रही है। उसका मकसद बंधकों को घर वापस लाना नहीं है। इस लेटर पर समर्थन के तौर पर बड़ी संख्या में सैनिकों ने साइन भी किए थे। एक सैन्य अधिकारी ने कहा कि यह स्वीकार नहीं किया जाएगा कि कोई सेना के भीतर ही मतभेद की स्थिति पैदा करे। यह ऐसा समय है, जब सभी को मिलकर लड़ना चाहिए। ऐसा न करके उलटे सवाल उठाना स्वीकार नहीं किया जा सकता। ऐसा करने से सैनिकों का मनोबल भी गिरता है।

सेना ने कहा कि हमने फैसला लिया है कि ऐसा कोई भी आरक्षित सैनिक अब सर्विस में नहीं रहेगा, जिसने लेटर पर साइन किए हों। हालांकि इजरायल की सेना ने यह नहीं बताया है कि उसके ऐक्शन के कितने लोग शिकार होंगे। लेकिन अब तक मिली जानकारी के अनुसार इजरायली सेना में शामिल 1000 एयरफोर्स रिजर्व सैनिकों और रिटायर जवानों ने ऐसे लेटर पर साइन किए थे। यह लेटर इजरायली मीडिया में गुरुवार को प्रकाशित हुआ था। इस लेटर में मांग की गई थी कि हमास के कैद में जो बंधक हैं, उन्हें तुरंत वापस लिया जाए। भले ही इसके एवज में जंग को समाप्त ही क्यों न करना पड़े। यह लेटर ऐसे समय पर लिखा गया, जब इजरायल ने गाजा पर फिर से हमले तेज किए हैं। हमास को दबाव में लाने के लिए इजरायल ने गाजा पट्टी के दो रास्तों को ब्लॉक तक कर दिया है, जिनके जरिए मदद पहुंचती थी।

इजरायल को लगता है कि इस दबाव के चलते हमास झुकेगा और बंधकों की रिहाई को लेकर कोई समझौता होगा। ऐसे में इस बीच सेना के भीतर से ही विरोध की आवाज ने उसकी चिंताएं बढ़ा दी हैं। एक तरफ इससे यह संकेत गया है कि जंग को लेकर इजरायली सेना ही एकजुट नहीं है। इसके अलावा बेंजामिन नेतन्याहू सरकार पर भी सवाल खड़े करने की कोशिश हुई है। इजरायली सेना के अनुसार अब तक 59 लोग हमास के बंधक हैं और इनमें से करीब आधे लोगों की मौत हो चुकी है। बता दें कि इजरायल की नाकेबंदी के चलते बीते कई सप्ताह से गाजा तक राशन, दवा समेत कई जरूरी चीजों की पहुंच तक मुश्किल हो गई है। इजरायल ने फिलहाल गाजा के एक बड़े हिस्से पर कब्जा जमा रखा है और वहां एक नया सिक्योरिटी कॉरिडोर भी स्थापित किया है।

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जंग के खिलाफ लेटर लिखने वाले सैनिकों ने युद्ध से हटने की बात नहीं कही है, लेकिन उन्होंने विरोध जरूर किया है। लेटर लिखने वाले लोगों में शामिल एक पूर्व सैनिक गाय पोरन ने कहा, 'यह एकदम अतार्किक बात है कि हम जंग लड़ते रहें। इससे हम बंधकों की जिंदगी खतरे में डाल रहे हैं। इसके अलावा अपने सैनिकों पर भी खतरा है और गाजा के निर्दोष लोग भी इसमें मारे जा रहे हैं। इस जंग का कोई विकल्प भी हो सकता है, जिस पर हमें विचार करना चाहिए।' ऐसी ही भाषा उस लेटर की भी थी, जिसे सैनिकों ने लिखा था।

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