सबडर्मल इंप्लांट से तीन सालों तक होती है गर्भधारण से सुरक्षा
सबडर्मल इंप्लांट से तीन सालों तक होती है गर्भधारण से सुरक्षा सबडर्मल इंप्लांट से तीन सालों तक होती है गर्भधारण से सुरक्षा सबडर्मल इंप्लांट से तीन साल

जिले में सुरक्षित और नवीन गर्भनिरोधक साधनों को बढ़ावा देने की कवायद स्वास्थ्य विभाग द्वारा की जा रही है। इसमें सबडर्मल इंप्लांट को शामिल किया गया है। शुक्रवार को कर्मचारियों को प्रशिक्षण दिया गया। मगध मेडिकल में आयोजित प्रशिक्षण में जिले के आठ प्रखंडों के सीएचओ, बीएचएम, बीसीएम आदि शामिल हुए। इस मौके पर डीपीएम स्वास्थ्य निलेश कुमार ने बताया कि गर्भ निरोधक साधन के तौर पर सबडर्मल इंप्लांट बेहतर है और यह तीन साल की अवधि तक गर्भ धारण से सुरक्षा प्रदान करता है। जिले के चार स्वास्थ्य केंद्रों में मिलेगी इसकी सुविधा
डीपीएम ने बताया कि जिले के चार स्वास्थ्य संस्थानों में सबडर्मल इंप्लांट की सुविधा मिलेगी। इनमें मगध मेडिकल अस्पताल, प्रभावती अस्पताल, जयप्रकाश नारायण अस्पताल व शेरघाटी अनुमंडलीय अस्पताल शामिल हैं। प्रशिक्षण का उद्देश्य इस सेवा से अधिक से अधिक लाभार्थियों को जोड़ना है।
क्या है सबडर्मल इंप्लांट
चिकित्सकों ने बताया कि सबडर्मल इंप्लांट एक माचिस की तीली के आकार की छोटी पतली और लचीली रॉड है, जिसे महिला के बांह के उपरी हिस्से में त्वचा के नीचे लगाया जाता है। यह तीन साल तक अनचाहे गर्भ से सुरक्षा प्रदान करता है।
सबडर्मल इंप्लांट कब लगाया जा सकता
माहवारी शुरू होने के सात दिनों के अंदर इसे लगवाया जा सकता है। प्रसव के तुरंत बाद इसे लगाया जा सकता है। गर्भपात के तुरंत बाद या सात दिनों के अंदर लगाया जा सकता है।
गर्भनिरोधक साधनों में हो रहा विस्तार
प्रशिक्षण के दौरान डॉक्टरों ने बताया कि देश में गर्भनिरोधक साधनों का विस्तार किया जा रहा है। लंबे समय तक काम करने वाले प्रतिवर्ती गर्भनिरोधक विकल्प प्रदान करने के लिए, सबडर्मल गर्भनिरोधक प्रत्यारोपण को राष्ट्रीय कार्यक्रम में जोड़ा गया है। प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्यक्षता जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम नीलेश कुमार ने की। इस मौके पर प्रसूति विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. लता शुक्ला, डॉ. विजया और डॉ. रमता रानी भी मौजूद रहीं।
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