बांग्लादेश में चौथे दिन जोरदार प्रोटेस्ट, भारी फोर्स तैनात; यूनुस सरकार के खिलाफ क्यों उतरे लोग?
हसीना को सत्ता से हटाने वाला व यूनुस सरकार का समर्थक छात्र संगठन 'जुलाई मंच' भी सड़कों पर उतर आया है और कर्मचारी आंदोलन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है, जिसके चलते हालात और तनावपूर्ण हो गए हैं।

बांग्लादेश में मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन मंगलवार को चौथे दिन भी जारी रहे। नया सेवा कानून वापस लेने की मांग को लेकर कर्मचारियों का आंदोलन तेज हो गया है, जिसके चलते सरकार ने राजधानी ढाका स्थित सचिवालय पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती कर दी है।
सचिवालय परिसर के प्रवेश द्वारों पर बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश (BGB), पुलिस की स्पेशल वेपन्स एंड टैक्टिक्स (SWAT) यूनिट और एलीट एंटी-क्राइम फोर्स रैपिड एक्शन बटालियन (RAB) को तैनात किया गया है। ये सचिवालय वही जगह है जहां बांग्लादेश की अधिकतर मंत्रालयों और महत्वपूर्ण सरकारी दफ्तरों का संचालन होता है।
ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने सचिवालय और उसके आसपास के इलाकों में किसी भी प्रकार की रैली और जनसभा पर प्रतिबंध लगा दिया है। पत्रकारों और आम नागरिकों को भी सचिवालय परिसर में प्रवेश नहीं करने दिया जा रहा है।
क्यों हो रहा आंदोलन?
यह विरोध ऐसे समय में हो रहा है जब देश में राष्ट्रीय चुनावों की मांग जोर पकड़ रही है। अंतरिम सरकार को सत्ता में आए नौ महीने हो चुके हैं, लेकिन अब तक चुनाव की कोई घोषणा नहीं हुई है। द ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, अंतरिम सरकार के कार्यकाल में बांग्लादेश में कानून व्यवस्था की स्थिति खराब हुई है और एक चुनी हुई सरकार की तत्काल आवश्यकता महसूस की जा रही है।
क्या है नया सेवा कानून?
विवाद का केंद्र बना 'पब्लिक सर्विस (संशोधन) अध्यादेश, 2025', जिसे राष्ट्रपति ने रविवार को जारी किया। इस कानून के तहत सरकार चार प्रकार के अनुशासनात्मक उल्लंघनों के मामलों में कर्मचारियों को केवल शोकॉज नोटिस देकर बर्खास्त कर सकती है, बिना किसी औपचारिक विभागीय जांच के।
कर्मचारी संगठनों ने इस अध्यादेश को "गैरकानूनी काला कानून" करार दिया है। प्रदर्शनकारियों ने "काला कानून खत्म करो", "कर्मचारी इस अवैध कानून को अस्वीकार करते हैं", "कोई समझौता नहीं, केवल संघर्ष", "18 लाख कर्मचारी एक हों" जैसे नारे लगाए। सभी कर्मचारी संगठनों ने घोषणा की है कि वे तब तक आंदोलन जारी रखेंगे जब तक सरकार इस कानून को वापस नहीं लेती।
दूसरी ओर, सरकार के समर्थक छात्र संगठन जुलाई मंच भी सड़कों पर उतर आया है और कर्मचारी आंदोलन के खिलाफ प्रदर्शन कर रहा है, जिसके चलते हालात और तनावपूर्ण हो गए हैं। इसी के मद्देनजर अर्धसैनिक बलों को चौकसी में लगाया गया है। पिछले वर्ष तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की अवामी लीग सरकार को सत्ता से बेदखल करने वाले छात्र आंदोलन के प्रमुख नेता अब्दुल्ला ने प्रदर्शनकारियों को अपदस्थ प्रधानमंत्री का सहयोगी बताया। खबरों के अनुसार, कर्मचारियों द्वारा काम बंद रखने के कारण परिसर के अंदर आधिकारिक गतिविधियां काफी हद तक ठप रहीं।
प्रत्यक्षदर्शियों और मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, सचिवालय के अधिकारियों और कर्मचारियों ने लोक सेवा (संशोधन) अधिनियम के खिलाफ अपने विरोध प्रदर्शन के तीसरे दिन मुख्य द्वार पर ताला लगा दिया। उन्होंने देश भर के अधिकारियों और कर्मचारियों से मंगलवार को ‘‘दमनकारी’’ और ‘‘काले कानून’’ के खिलाफ प्रदर्शन करने का आग्रह किया। बांग्लादेश में लगातार चौथे दिन उबाल पर चल रहे इस आंदोलन ने एक बार फिर लोकतांत्रिक चुनावों की आवश्यकता और सरकारी पारदर्शिता की मांग को सुर्खियों में ला दिया है।
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