Talk of peace in Turkey army chief removed in Russia What is the meaning of Putin move तुर्किए में शांति की बात, रूस में हटाए गए सेना प्रमुख; पुतिन के इस कदम के मायने क्या?, International Hindi News - Hindustan
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तुर्किए में शांति की बात, रूस में हटाए गए सेना प्रमुख; पुतिन के इस कदम के मायने क्या?

तुर्किए में रूस-यूक्रेन के बीच युद्धविराम पर चर्चा जारी है, वहीं पुतिन ने अचानक अपनी थलसेना के प्रमुख को हटाकर सबको चौंका दिया है। इसके पीछे कई संकेत छुपे हैं।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानFri, 16 May 2025 05:50 PM
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तुर्किए में शांति की बात, रूस में हटाए गए सेना प्रमुख; पुतिन के इस कदम के मायने क्या?

तुर्किए में रूस-यूक्रेन शांति को लेकर कवायद जारी है इसी बीच रूस से एक अहम खबर सामने आ रही है। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन ने अपनी थलसेना के प्रमुख जनरल ओलेग साल्यूकोव को हटा दिया है। इस घटनाक्रम ने कूटनीतिक गलियारों में हलचल मचा दी है, क्योंकि यह फैसला ऐसे वक्त में आया है जब दुनिया पुतिन की शांति की नीयत को परख रही है।

क्रेमलिन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि साल्यूकोव को अब राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का उप सचिव नियुक्त किया गया है। यह वही परिषद है जो राष्ट्रपति को सुरक्षा नीतियों पर सलाह देती है, और पुतिन खुद इसके अध्यक्ष हैं। हालांकि, यह तबादला प्रमोशन की तरह पेश किया गया है लेकिन पृष्ठभूमि कुछ और ही कहानी कह रही है।

पुतिन ने क्यों उठाया ऐसा कदम

पश्चिमी मीडिया और कई रणनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि पिछले कुछ महीनों में रूसी सेना यूक्रेन में अपेक्षित सफलता नहीं हासिल कर पाई है। यूक्रेनी हमले खुद रूसी जमीन यानी खासकर कूर्स्क क्षेत्र तक पहुंच चुके हैं। इस असफलता की गूंज सेना के भीतर तक महसूस की गई, और यह भी बताया जा रहा है कि जनरल साल्यूकोव पर आर्थिक घोटालों के आरोप भी लगे थे। इससे पहले भी 2023 में कमांडर इवान पोपोव को इसलिए हटाया गया था क्योंकि उन्होंने रूसी सेना की मुश्किलों को लेकर खुलकर बोला था। वहीं, पुतिन ने वैगनर ग्रुप के बागी प्रमुख येवगेनी प्रिगोझिन को भी बर्खास्त किया था।

तुर्किए में चल रही रूस-यूक्रेन शांति की कवायद

इस्तांबुल में गुरुवार रात से शुरू हुई बातचीत में रूस की ओर से पुतिन के सलाहकार व्लादिमिर मेदिनस्की भाग ले रहे हैं जबकि यूक्रेन की ओर से रक्षा मंत्री रुस्तेम उमेरोव नेतृत्व कर रहे हैं। दिलचस्प बात ये है कि न तो पुतिन और न ही जेलेंस्की खुद इस बैठक में शरीक हुए हैं, जिससे इस बातचीत की गंभीरता पर भी सवाल उठे हैं।

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पुतिन के इस कदम के मायने क्या?

इस घटनाक्रम ने ये सवाल खड़े कर दिए हैं कि क्या पुतिन भीतर ही भीतर अपनी सेना की विफलताओं से परेशान हैं, या फिर इस्तांबुल में चल रही शांति वार्ता के बीच वे रूस की सैन्य नीतियों में एक नई दिशा तय कर रहे हैं? पश्चिमी सामरिक जानकार बताते हैं कि जनरल साल्यूकोव की विदाई सिर्फ एक व्यक्ति का तबादला नहीं, बल्कि रूस की सैन्य और राजनीतिक रणनीति में बड़े बदलाव का संकेत मानी जा रही है।

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