अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर 2.0, टैरिफ के बहाने खतरनाक हुई जंग; 10 अहम बातें
- अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर अब खतरनाक स्तर पर पहुंच गई है। दोनों एक-दूसरे को अंजाम भुगतने की चेतावनी दे रहे हैं। 2008 में भी ट्रंप ने चीन पर टैरिफ अटैक किया था।

US-China Trade War 2.0: अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर 2.0 खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। डोनाल्ड ट्रंप लगाए चीन पर निशाना साध रहे हैं और चीन को अलग-थलग करने की कोशिश में लगे हैं। उधर, चीन ने भी घुटने टेकने से साफ इन्कार कर दिया है और सीधे जंग की खुली चुनौती दे डाली है। चीन के वाणिज्य मंत्री वांग वेंटाओ ने ट्रंप की नीति को "अंतरराष्ट्रीय व्यापार व्यवस्था के खिलाफ साजिश" बताते हुए कहा कि अमेरिका की एकतरफा और संरक्षणवादी नीतियां वैश्विक अर्थव्यवस्था को नुकसान पहुंचा रही हैं। चीन का यह रुख उस समय सामने आया जब अमेरिका ने चीन पर 125 फीसदी तक टैरिफ लगाने का ऐलान किया। ट्रंप की चीन पर यह कार्रवाई तीन बार में की गई है। पहले 34 प्रतिशत, फिर 100 प्रतिशत और अब बढ़ाकर 125 प्रतिशत कर दी गई है। जवाब में चीन ने स्पष्ट किया कि वह बातचीत को तैयार है, लेकिन यदि अमेरिका पीछे नहीं हटा तो "जवाबी कार्रवाई अंत तक जारी रहेगी।"
ट्रेड वॉर 2.0
अमेरिका और चीन के बीच यह पहली बार नहीं है, जब व्यापारिक जंग हो रही है। इससे पहले भी ट्रंप सरकार के वक्त ही अमेरिका और चीन के बीच व्यापारिक तल्खी देखी गई थी। 2018-2020 के बीच भी डोनाल्ड ट्रंप ने चीन पर भारी टैरिफ लगाए थे। इसके जवाब में चीन ने भी अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर टैरिफ लगाए। उस दौर को US-China Trade War कहा गया था, तब भी वैश्विक व्यापार पर इसका असर पड़ा था।
अमेरिका और चीन के बीच चल रहे ट्रेड वॉर 2.0 से वैश्विक बाजार पर भी असर पड़ रहा है। 10 अहम बातें-
टैरिफ की नई धमकी
अमेरिका ने चीन पर अतिरिक्त टैरिफ लगाने की धमकी दी है। कहा है कि अगर चीन नहीं सुधरा तो अंजाम खतरनाक होगा। यह कदम दुनिया की दो सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं के बीच तनाव को और बढ़ा सकता है।
चीन का दो टूक जवाब
चीन ने साफ कहा है कि “हम बातचीत को तैयार हैं, लेकिन झुकेंगे नहीं, जवाब भी आखिरी दम तक देंगे।”
नियमों की अनदेखी
चीन और EU दोनों ने अमेरिका पर वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन यानी WTO के नियमों के उल्लंघन का आरोप लगाया है, जिससे वैश्विक व्यापार व्यवस्था पर संकट मंडराने लगा है।
EU और आसियान देश भी मैदान में
यूरोपीय यूनियन और आसियान देशों ने भी अमेरिका की नीतियों को चुनौती दी है और चीन के साथ मिलकर "फेयर ट्रेड" के पक्ष में खड़े हुए हैं।
इंडस्ट्रियल सप्लाई चेन पर असर
टैरिफ से स्मार्टफोन, कार और टेक्नोलॉजी उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिससे ग्लोबल सप्लाई चेन में भारी रुकावट आ सकती है।
निवेशकों की चिंता
दुनियाभर के निवेशक इस ट्रेड वॉर को लेकर चिंतित हैं, जिससे बाजारों में अस्थिरता बढ़ रही है।
मैन्युफैक्चरिंग पर प्रभाव
कई अमेरिकी कंपनियां चीन पर निर्भर हैं। टैरिफ से उनका उत्पादन खर्च बढ़ेगा और मुनाफा घटेगा।
वैश्विक व्यापार का संतुलन डगमगाया
ट्रेड वॉर सिर्फ अमेरिका और चीन का मसला नहीं, यह पूरी दुनिया के व्यापार और विकास को प्रभावित कर सकता है।
इकोनॉमिक गुंडागर्दी
चीन ने अमेरिका के कदम को "आर्थिक गुंडागर्दी" करार दिया है, जो वैश्विक मंचों पर एक बड़ा नैरेटिव बन सकता है।
दुनिया की निगाहें अब WTO, G20 और चीन-अमेरिका की संभावित हाई-लेवल वार्ताओं पर टिकी हैं। यह सिर्फ व्यापार नहीं, भू-राजनीति का भी मुद्दा बन चुका है।
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