पाकिस्तान के पाले आतंकियों से है हमारा युद्ध; US से लेकर ब्रिटेन तक, भारतीय दूतों ने संभाला मोर्चा
क्वात्रा और दोराइस्वामी ने न केवल पाकिस्तान को कठघरे में खड़ा किया, बल्कि वैश्विक समुदाय को भी यह संदेश दिया कि भारत आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई में अडिग है और पीछे नहीं हटेगा।

ऑपरेशन सिंदूर के बाद से भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव एक बार फिर चरम पर पहुंच गया है। 22 अप्रैल को केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए थे। इस हमले को भारत ने पाकिस्तान समर्थित आतंकवादी संगठन लश्कर-ए-तैयबा की शाखा इस्लामिक रेसिस्टेंस फ्रंट से जोड़ा है। इस घटना के बाद भारत ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत जम्मू-कश्मीर (PoJK) में नौ आतंकी ठिकानों पर सटीक हमले किए। इसके बाद, अब भारत के राजनयिकों ने वैश्विक मंच पर पाकिस्तान के आतंकवाद समर्थन को उजागर करने के लिए आक्रामक रुख अपनाया है। अमेरिका में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा और ब्रिटेन में उच्चायुक्त विक्रम दोराइस्वामी ने प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मीडिया मंचों पर अपनी बात रखते हुए पाकिस्तान की आतंक परस्त नीतियों की कड़ी आलोचना की है।
विनय क्वात्रा- "हमारा युद्ध आतंकियों से है, किसी धर्म से नहीं"
अमेरिका में भारत के राजदूत विनय मोहन क्वात्रा ने 8 मई को CNN के साथ एक इंटरव्यू में भारत के रुख को स्पष्ट किया। जब एंकर ने उसे पूछा कि क्या यह पाकिस्तानी मुसलमानों और भारतीय हिंदुओं के बीच धार्मिक युद्ध है? तो इस पर क्वात्रा ने कहा, "हम आतंकवादियों के साथ युद्ध में हैं। उन्होंने हमारे लोगों को उनकी पत्नियों और बच्चों के सामने मार डाला और उन्होंने ऐसा धर्म के आधार पर किया। हमने परसों (ऑपरेशन सिंदूर) जो किया, वह आतंक के प्रति हमारी प्रतिक्रिया थी।" क्वात्रा ने कहा कि पाकिस्तान पिछले तीन दशकों से आतंकवाद को समर्थन दे रहा है, और यह वैश्विक समुदाय के लिए चिंता का विषय होना चाहिए।" उन्होंने पहलगाम हमले को "असली उकसावा" करार देते हुए कहा कि भारत का जवाब "नियंत्रित, सटीक, मापा हुआ और गैर-उत्तेजक" था।
क्वात्रा ने 'ऑपरेशन सिंदूर' का बचाव करते हुए कहा कि यह ऑपरेशन आतंकी नेटवर्क को नष्ट करने के लिए था, न कि पाकिस्तान के सैन्य या आर्थिक ठिकानों को निशाना बनाने के लिए। उन्होंने कहा, "हमने केवल उन लोगों और उनके समर्थकों को निशाना बनाने में बहुत सावधानी बरती, जिन्होंने इन नृशंस हत्याओं को अंजाम दिया।" उन्होंने पाकिस्तान पर आतंकियों को समर्थन देने का आरोप लगाते हुए कहा, "पाकिस्तान ने फिर से आतंकियों के साथ खड़े होने का फैसला किया है। वे उनके खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय उन्हें समर्थन दे रहे हैं।" क्वात्रा ने यह भी कहा कि पाकिस्तान "सभ्य दुनिया" के साथ नहीं है और उसका विश्वास आतंकी प्रॉक्सी को बढ़ावा देने में है। क्वात्रा ने यह भी कहा कि "पूरा जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। एकमात्र मुद्दा पाकिस्तान द्वारा कब्जा किए गए हिस्से को वापस करना है, जो कि पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर है।"
विक्रम दोराइस्वामी- "पाकिस्तान सेना आतंकियों को दे रही राजकीय सम्मान"
क्वात्रा के अलावा, ब्रिटेन में भारत के उच्चायुक्त विक्रम दोराइस्वामी ने स्काई न्यूज के साथ इंटरव्यू में पाकिस्तान सेना पर आतंकवादियों को "राजकीय अंतिम संस्कार" देने का गंभीर आरोप लगाया। दोराइस्वामी ने कहा कि पाकिस्तान की सेना न केवल आतंकवादियों को पनाह देती है, बल्कि उनकी मौत पर उन्हें सम्मानित भी करती है, जो आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई को कमजोर करता है। उन्होंने पहलगाम हमले में शामिल आतंकी हाशिम मूसा का उदाहरण दिया, जो पाकिस्तान सेना की स्पेशल सर्विस ग्रुप (SSG) का पूर्व पैरा कमांडो था।
दोराइस्वामी ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की कि वह पाकिस्तान के इस दोहरे चरित्र को पहचाने और आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हो। उन्होंने कहा, "जब एक देश आतंकवादियों को शहीद का दर्जा देता है, तो यह न केवल नैतिक रूप से गलत है, बल्कि वैश्विक शांति के लिए खतरा भी है।"
स्काई न्यूज की यल्दा हकीम से बात करते हुए दोराइस्वामी ने अमेरिका द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी हाफिज अब्दुल रऊफ की एक तस्वीर निकाली, जो भारत के 'ऑपरेशन सिंदूर' हमलों में मारे गए आतंकवादियों के अंतिम संस्कार के दौरान वर्दीधारी पाकिस्तानी सेना के जवानों के साथ खड़ा था। दोराइस्वामी ने कहा कि पिछले 30 वर्षों में, दुनिया को पाकिस्तान को अपनी धरती पर आतंकवादी ढांचे को खत्म करने के लिए मजबूर करना चाहिए था, जिसका उसने वादा किया था, लेकिन कभी नहीं किया। भारतीय दूत ने साफ लहजे में कहा कि अगर पाकिस्तान भारत के सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला करना बंद कर दे तो यह मामला खत्म हो जाएगा।
भारत का कूटनीतिक रुख
पहलगाम हमले के बाद भारत ने न केवल सैन्य कार्रवाई की, बल्कि कूटनीतिक स्तर पर भी वैश्विक समुदाय को अपने पक्ष से अवगत कराया। विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने 8 मई को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि पहलगाम में हमला कर पाकिस्तान ने इसकी शुरुआत की और भारत का जवाब आतंकी ढांचे पर केंद्रित था। विनय क्वात्रा और विक्रम दोराइस्वामी के बयानों ने भारत की नीति को स्पष्ट किया कि उसका लक्ष्य आतंकवाद को खत्म करना है, न कि पाकिस्तान के साथ युद्ध छेड़ना।
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