क्या हैं 'डर्टी-15' देश, जो ट्रंप प्रशासन को दे रहे चुभती टीस; लिस्ट में कौन-कौन? भारत कहां खड़ा
ट्रंप प्रशासन किस देश पर कितना टैरिफ लगाएगा, इसका ऐलान नहीं हुआ है लेकिन यह कहा जा रहा है कि जो देश जितना टैक्स अमेरिकी सामानों पर लगा रहा है, उतना ही टैक्स अमेरिका उनके सामानों पर भी लगाएगा।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 2 अप्रैल को दुनियाभर के कई देशों पर जवाबी शुल्क यानी रेसिप्रोकल टैक्स लगाने का ऐलान किया है। यह उनकी सरकार का सबसे बड़ा टैरिफ कदम हो सकता है। इसे अमेरिका के मुक्ति दिवस के रूप में प्रचारित किया जा रहा है। ट्रंप ने अमेरिकी वस्तुओं पर भारत और अन्य देशों द्वारा लगाए गए उच्च शुल्क की बार-बार आलोचना की है औऱ कहा है कि वह 2 अप्रैल यानी बुधवार से जवाबी शुल्क की एक श्रृंखला शुरू करने की योजना बना रहे हैं। इसी सिलसिले में ट्रम्प प्रशासन ने सोमवार को विदेशी नीतियों और नियमों की एक सूची जारी की, जिसे वे अपने देश के लिए व्यापार बाधा मानते हैं।
क्या हैं 'डर्टी-15' देश?
हालांकि, ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों ने कहा है कि इस पहल का पहला टारगेट कुछ चुनिंदा देश होंगे, जिनका अमेरिका के साथ व्यापार घाटा ज्यादा है। इस बीच, अमेरिकी ट्रेजरी सचिव (खजाना मंत्री) स्कॉट बेसेन्ट ने "डर्टी-15" नामक देशों के समूह का उल्लेख किया है और कहा है कि ये वे देश हैं जो अमेरिका के 15 फीसदी व्यापारिक साझेदार हैं लेकिन अमेरिकी वस्तुओं पर भारी टैरिफ लगाते हैं और अन्य व्यापार बाधाएं खड़ी करते हैं। हालांकि बेसेन्ट ने यह स्पष्ट तौर पर नहीं कहा कि कौन-कौन से देश इस श्रेणी में आते हैं, लेकिन अमेरिकी व्यापार का डेटा ऐसे डर्टी-15 देशों की जानकारी देता है।
'डर्टी-15' देशों में कौन-कौन?
अमेरिकी वाणिज्य विभाग के 2024 के व्यापार घाटे के आंकड़ों से पता चलता है कि अमेरिका का चीन के साथ सबसे ज्यादा व्यापार घाटा है, उसके बाद यूरोपीय संघ, मैक्सिको, वियतनाम, आयरलैंड, जर्मनी, ताइवान, जापान, दक्षिण कोरिया, कनाडा, थाईलैंड, भारत, इटली, स्विट्जरलैंड, मलेशिया और इंडोनेशिया का स्थान आता है। ट्रंप लंबे समय से कहते रहे हैं कि ये देश ज्यादा टैक्स वसूल कर अमेरिका को लूट रहे हैं। ट्रंप ने अमेरिकी वस्तुओं पर भारत और अन्य देशों द्वारा लगाए गए उच्च शुल्क की बार-बार आलोचना की है।
ये देश सामूहिक रूप से अमेरिकी व्यापार घाटे के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। इसलिए माना जा रहा है कि ट्रंप प्रशासन अपने नए टैरिफ ऐलान में इन देशों को सबसे आगे रखकर इन पर रेसिप्रोकल टैक्स लगा सकते हैं। वैसे अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि कार्यालय ने 21 देशों की पहचान की है, जिनके बारे में कहा गया है कि वे अमेरिका के साथ अनुचित व्यापार की नीति अपना रहे हैं। इसलिए इनके व्यापार संबंमधों की भी समीक्षा की जानी चाहिए। इस सूची में अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपीय संघ, भारत, इंडोनेशिया, जापान, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, मैक्सिको, रूस, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, स्विट्जरलैंड, ताइवान, थाईलैंड, तुर्की, यूनाइटेड किंगडम और वियतनाम शामिल हैं।
कितना लगेगा टैरिफ?
ट्रंप प्रशासन किस देश पर कितना टैरिफ लगाएगा, इसका ऐलान नहीं हुआ है लेकिन यह कहा जा रहा है कि जो देश जितना टैक्स अमेरिकी सामानों पर लगा रहा है, उतना ही टैक्स अमेरिका उनके सामानों पर भी लगाएगा। व्हाइट हाउस ने कहा है कि अगर आप व्यापार अनुचित चलन पर गौर करें तो अमेरिकी दुग्ध उत्पादों पर यूरोपीय संघ 50 प्रतिशत शुल्क और अमेरिकी चावल पर जापान 700 प्रतिशत शुल्क लेता है। अमेरिकी कृषि उत्पादों पर भारत 100 प्रतिशत और अमेरिकी मक्खन एवं पनीर पर कनाडा करीब 300 प्रतिशत शुल्क वसूलता है। यानी इन देशों के उत्पादों पर भी अमेरिका इतना ही जवाबी शुल्क या इससे ज्यादा भी लगा सकता है।
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