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कौन थे पत्रकार डेनियल पर्ल? भारतीय सेना ने लिया मौत का बदला, थैंक्यू बोल रहा यहूदी समुदाय

डेनियल पर्ल की हत्या में शामिल आतंकी को मारकर भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर ने यह साबित किया कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में कोई भी अपराधी सुरक्षित नहीं है।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तानFri, 9 May 2025 08:34 AM
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कौन थे पत्रकार डेनियल पर्ल? भारतीय सेना ने लिया मौत का बदला, थैंक्यू बोल रहा यहूदी समुदाय

डेनियल पर्ल पत्रकारिता की दुनिया में साहस, सत्य और समर्पण का प्रतीक माने जाते हैं। अमेरिकी पत्रकार और वॉल स्ट्रीट जर्नल के दक्षिण एशिया ब्यूरो प्रमुख रहे पर्ल की जिंदगी और उनकी निर्मम हत्या की कहानी न केवल पत्रकारिता जगत के लिए, बल्कि वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई के लिए भी एक महत्वपूर्ण अध्याय है। 2002 में पाकिस्तान के कराची में उनकी हत्या ने पूरी दुनिया को झकझोर दिया था। लेकिन हाल ही में भारतीय सेना की एक साहसिक कार्रवाई ने इस हत्या के मुख्य साजिशकर्ता को ढेर कर डेनियल पर्ल को न्याय दिलाया।

डेनियल पर्ल: एक नन्हा सपना, बड़ा मकसद

डेनियल पर्ल का जन्म 10 अक्टूबर, 1963 को न्यू जर्सी, अमेरिका में एक यहूदी परिवार में हुआ था। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट करने के बाद, उन्होंने वॉल स्ट्रीट जर्नल में अपने करियर की शुरुआत की। उनकी खोजी पत्रकारिता ने उन्हें जल्द ही एक प्रतिष्ठित पत्रकार बना दिया। पर्ल न केवल खबरों को कवर करते थे, बल्कि वह उन कहानियों को उजागर करने में विश्वास रखते थे जो समाज को बदल सकती थीं।

2001 में, 9/11 के आतंकी हमलों के बाद, पर्ल को दक्षिण एशिया ब्यूरो प्रमुख के रूप में भारत के मुंबई में तैनात किया गया। उनकी गर्भवती पत्नी मारियान पर्ल भी उनके साथ थीं। उस समय, वह आतंकवाद और अल-कायदा के नेटवर्क पर गहन रिसर्च कर रहे थे। उनकी एक खोजी कहानी उन्हें पाकिस्तान के कराची तक ले गई, जहां उनकी जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई।

कराची में अपहरण और निर्मम हत्या

जनवरी 2002 में, डेनियल पर्ल कराची में थे, जहां वह ब्रिटिश नागरिक रिचर्ड रीड (जूता बम हमलावर) और अल-कायदा के बीच कथित संबंधों की जांच कर रहे थे। 23 जनवरी को, वह एक इंटरव्यू के लिए निकले, जो असल में उनके लिए एक जाल था। इस्लामिक आतंकवादियों ने उनका अपहरण कर लिया। अपहरणकर्ताओं ने पर्ल की तस्वीरें जारी कीं, जिसमें वह हथकड़ियों में जंजीरों से बंधे थे, और उनके हाथ में उस दिन का डॉन अखबार था। उनकी रिहाई के लिए मांगें रखी गईं, जिसमें अमेरिकी पत्रकारों को पाकिस्तान में प्रवेश पर रोक और ग्वांतानामो बे में बंद आतंकियों की रिहाई शामिल थी।

पर्ल की पत्नी मारियान, उनकी सहकर्मी असरा नोमानी और अमेरिकी दूतावास ने उनकी रिहाई के लिए हरसंभव कोशिश की, लेकिन अपहरणकर्ताओं ने कोई दया नहीं दिखाई। नौ दिन बाद, 1 फरवरी, 2002 को, डेनियल पर्ल की निर्मम हत्या कर दी गई। बाद में, अल-कायदा के वरिष्ठ नेता खालिद शेख मोहम्मद ने ग्वांतानामो बे में स्वीकार किया कि उसने स्वयं पर्ल का सिर कलम किया था। उनकी लाश कराची के बाहरी इलाके में मिली, और यह घटना पत्रकारिता जगत के लिए एक काला अध्याय बन गई।

भारतीय सेना की कार्रवाई: ऑपरेशन सिंदूर

लंबे समय तक, डेनियल पर्ल की हत्या के पीछे के साजिशकर्ताओं को न्याय के कटघरे में लाने की कोशिशें नाकाम रहीं। 2020 में, मुख्य आरोपी अहमद उमर सईद शेख की मौत की सजा को पाकिस्तानी अदालत ने सात साल की कैद में बदल दिया, जिससे वैश्विक स्तर पर आक्रोश फैल गया। लेकिन मई 2025 में, भारतीय सेना ने एक ऐसी कार्रवाई को अंजाम दिया, जिसने न केवल पर्ल को न्याय दिलाया, बल्कि आतंकवाद के खिलाफ भारत के संकल्प को भी दुनिया के सामने रखा।

8 मई, 2025 को, भारतीय सुरक्षा बलों ने ऑपरेशन सिंदूर के तहत जैश-ए-मोहम्मद के कमांडर अब्दुल रऊफ अजहर को मार गिराया। रऊफ अजहर को डेनियल पर्ल के अपहरण, यातना और हत्या का मुख्य साजिशकर्ता माना जाता था। यह ऑपरेशन इतना गोपनीय और सटीक था कि इसने वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ भारत की ताकत को फिर से साबित किया। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस कार्रवाई की खबरें तेजी से वायरल हुईं, और कई लोगों ने इसे "अमेरिका जो नहीं कर सका, भारत ने कर दिखाया" के रूप में प्रचारित किया।

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कौन था अब्दुल रऊफ अजहर?

अब्दुल रऊफ अजहर पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद का डिप्टी चीफ और मसूद अजहर का छोटा भाई था, जो भारत के मोस्ट वांटेड आतंकवादियों में शामिल था। वह 1999 के IC-814 कंधार विमान अपहरण, 2001 के भारतीय संसद हमले, 2016 के पठानकोट हमले और 2019 के पुलवामा हमले जैसे कई बड़े आतंकी हमलों का मास्टरमाइंड था। 2007 में मसूद के अंडरग्राउंड होने के बाद रऊफ ने जैश की कमान संभाली और तालिबान, अल-कायदा जैसे संगठनों से जुड़कर भारत के खिलाफ साजिशें रचीं। अमेरिका ने उसे 2010 में ग्लोबल टेररिस्ट घोषित किया था। 8 मई, 2025 को भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर में बहावलपुर, पाकिस्तान में वह मारा गया, जिसे आतंकवाद के खिलाफ भारत की बड़ी जीत माना जा रहा है।

यहूदी समुदाय की प्रतिक्रिया

डेनियल पर्ल की हत्या ने यहूदी समुदाय को गहरा आघात पहुंचाया था। उनकी हत्या को न केवल एक पत्रकार पर हमला, बल्कि यहूदी समुदाय के खिलाफ घृणा अपराध के रूप में भी देखा गया। भारतीय सेना की इस कार्रवाई के बाद, यहूदी समुदाय ने भारत के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की। X पर कई पोस्ट्स में यहूदी संगठनों और व्यक्तियों ने भारतीय सेना को धन्यवाद दिया। एक पोस्ट में लिखा गया, "भारत ने उस आतंकवादी को मार गिराया जिसने डेनियल पर्ल की हत्या की थी। यह न्याय का क्षण है। थैंक्यू, इंडियन आर्मी।" अमेरिका में यहूदी समुदाय के नेताओं ने भी इस कार्रवाई की सराहना की। कुछ ने इसे भारत-अमेरिका संबंधों में एक नए अध्याय की शुरुआत बताया, जहां आतंकवाद के खिलाफ साझा लड़ाई को और मजबूत किया जा सकता है। डेनियल पर्ल की हत्या और भारतीय सेना की कार्रवाई ने भारत में यहूदी समुदाय को भी गर्व का अनुभव कराया।

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