बोले देवघर: बसों की हड़ताल के कारण अब यात्रियों को ट्रेनों का ही सहारा
देवघर बस ऑनर्स एसोसिएशन की बेमियादी हड़ताल से यातायात ठप हो गया है, जिससे यात्रियों ने रेल यात्रा को प्राथमिकता दी है। रेलवे के टिकट बिक्री में चार गुना वृद्धि हुई है। यात्रियों ने प्रशासन से अतिरिक्त...
देवघर बस ऑनर्स एसोसिएशन की बेमियादी हड़ताल का असर अब देवघर रेलवे स्टेशन में साफ तौर पर दिखने लगा है। पुराना मीना बाजार से आईएसबीटी, बाघमारा स्टैंड शिफ्ट किए जाने के बाद एसोसिएशन की ओर से बसों का संचालन ठप कर कर दिए जाने के कारण यात्रियों ने अब रेल मार्ग को प्राथमिकता देनी शुरू कर दी है। इसका सीधा असर टिकटों की बिक्री पर पड़ा है। रेलवे सूत्रों के अनुसार गोड्डा, हंसडीहा, दुमका, बासुकीनाथ, भागलपुर, सुल्तानगंज, बांका सहित अन्य प्रमुख गंतव्यों के लिए टिकटों की बिक्री में चार गुना तक वृद्धि दर्ज की गई है। पहले जहां एक दिन में औसतन 300-400 टिकट इन मार्गों के लिए बिकते थे, अब यह संख्या 1200 से 1500 तक पहुंच रही है। यात्रियों की संख्या में अचानक वृद्धि से ट्रेनों में भीड़ बढ़ गई है। सामान्य श्रेणी के डिब्बों में खड़े होकर सफर करने को मजबूर यात्रियों ने रेल प्रशासन से अतिरिक्त कोच जोड़ने या विशेष ट्रेनों के परिचालन की मांग की है। वहीं स्थानीय लोग लगातार मांग कर रहे हैं कि आईएसबीटी से बसों का संचालन शीघ्र शुरू कराया जाए ताकि यात्रियों को राहत मिल सके। इन्हीं सब मुद्दों को लेकर देवघर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का इंतजार कर रहे यात्रियों ने हिन्दुस्तान से संवाद के दौरान अपनी समस्याओं व उसके समाधान को लेकर अपनी-अपनी बात रखी।
देवघर में बस ऑनर्स एसोसिएशन की बेमियादी हड़ताल ने आम जन-जीवन को बुरी तरह से प्रभावित किया है। परिवहन व्यवस्था ठप होने से जहां एक ओर यात्रियों को आवागमन में भारी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है, वहीं दूसरी ओर रेलवे स्टेशन पर असाधारण भीड़ देखी जा रही है। प्रशासन और बस ऑनर्स एसोसिएशन के बीच गतिरोध की स्थिति लगातार बनी हुई है, जिससे समस्या के शीघ्र समाधान की संभावना क्षीण प्रतीत हो रही है।
कोडरमा की अंडर-16 क्रिकेट टीम की परेशानी बनी सुर्ख़ी : देवघर रेलवे स्टेशन पर बातचीत के दौरान कोडरमा जिले की अंडर-16 क्रिकेट टीम के सदस्यों ने अपनी परेशानियों को साझा किया। खिलाड़ियों ने बताया कि 7 अप्रैल को जिला स्तरीय क्रिकेट टूर्नामेंट में भाग लेने गोड्डा गए थे। मैच समाप्त होने के बाद जब गुरुवार को देवघर पहुंचे तो उन्हें गिरिडीह जाना था, लेकिन बस सेवा ठप होने के कारण उन्हें मजबूरी में रेल मार्ग से लंबा और जटिल सफर तय करना पड़ रहा है। बातचीत के दौरान टीम के कोच अभिराज गौतम ने बताया कि अगर देवघर से गिरिडीह के लिए सीधी बस सेवा चालू होती तो आराम से बस से निकल सकते थे। लेकिन अब पहले देवघर रेलवे स्टेशन से ट्रेन पकड़कर जसीडीह जाना है, वहां से मधुपुर और फिर मधुपुर से गिरिडीह। यह सफर सिर्फ लंबा ही नहीं, बल्कि थकाऊ और समय बर्बाद करने वाला भी है। इस घटना ने यह साफ कर दिया कि बस सेवा ठप होना केवल आम यात्रियों की ही नहीं, बल्कि खेल, शिक्षा और रोजगार से जुड़े लोगों के लिए भी गंभीर समस्या बन गयी है।
सूचना के अभाव में भटक रहे हैं यात्री : बस सेवा बंद होने की सूचना शहर में स्पष्ट रूप से नहीं फैल पाई है। इस कारण कई यात्री आईएसबीटी बाघमारा पहुंचते हैं, जहां उन्हें यह जानकर निराशा होती है कि वहां से कोई बस नहीं चल रही। इस वजह से वह या पैदल स्टेशन लौटते हैं या फिर महंगे ऑटो-रिक्शा व अन्य निजी वाहनों का सहारा लेने को मजबूर हो जाते हैं। गिरिडीह से आई एक महिला यात्री ने बताया कि वह गिरिडीह से ट्रेन से देवघर आई थी। कहा कि यह सोचकर देवघर आई थी कि यहां से बासुकीनाथ के लिए बस मिल जाएगी। लेकिन यहां कोई जानकारी देने वाला भी नहीं है। हमें खुद इधर-उधर पूछकर ही पता चला कि बसें बंद हैं।
प्रशासन की ओर से निगरानी जारी, लेकिन समाधान नहीं : देवघर जिला प्रशासन ने स्थिति की निगरानी के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश तो दिए हैं, लेकिन अब तक किसी प्रकार की वैकल्पिक व्यवस्था अथवा स्पष्ट समाधान की घोषणा नहीं की गई है। अधिकारी यह कहकर पल्ला झाड़ते नजर आ रहे हैं कि हड़ताल अस्थायी है और जल्द स्थिति सामान्य हो जाएगी। हालांकि, यात्रियों को राहत कब मिलेगी-यह कहना मुश्किल है। बस ऑनर्स एसोसिएशन और प्रशासन के बीच संवाद की प्रक्रिया ठप पड़ी हुई है।
क्या हैं बस ऑनर्स एसोसिएशन की प्रमुख मांगें : बस ऑनर्स एसोसिएशन का स्पष्ट कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जाएंगी, तब तक हड़ताल जारी रखेंगे। उनलोगों द्वारा प्रशासन से मांग की जा रही है कि पुराने बस स्टैंड को आंशिक रूप से पुनः चालू किया जाए। एसोसिएशन का कहना है कि पुराने बस स्टैंड को पूरी तरह बंद करने का निर्णय अव्यावहारिक है। इससे स्थानीय यात्रियों को परेशानी हो रही है। आसपास के क्षेत्रों के लिए चलने वाली बसें पुराने बस स्टैंड से चलनी चाहिए।
सुझाव
1. अतिरिक्त ट्रेन या कोच की व्यवस्था : यात्रियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए ट्रेनों में अतिरिक्त कोच जोड़े जाएं या विशेष ट्रेनें चलाई जाए।
2. पुराने बस स्टैंड को आंशिक रूप से पुनः चालू करने का सुझाव: स्थानीय मार्गों के लिए बस सेवा पुराने बस स्टैंड से पुनः प्रारंभ की जाए और लंबी दूरी की बसें आईएसबीटी से चले।
3. सूचना प्रणाली में सुधार : बस सेवा बंद होने की सूचना शहर के प्रमुख स्थानों पर स्पष्ट रूप से दी जाए ताकि यात्री भ्रमित न हों।
4. प्रशासन और बस मालिकों के बीच संवाद बहाल किया जाए : समस्या के समाधान के लिए दोनों पक्ष आपसी बातचीत से सहमति पर पहुंचे।
5. राज्य सरकार से हस्तक्षेप की मांग : स्थानीय लोगों ने राज्य सरकार से आग्रह किया है कि वह इस मुद्दे में मध्यस्थता कर जल्द समाधान सुनिश्चित करे।
शिकायतें
1. रेलवे स्टेशन पर भीड़ और असुविधा : बस सेवा बंद होने के कारण रेल यात्रियों की संख्या में भारी वृद्धि हुई है, जिससे सामान्य डिब्बों में खड़े होकर यात्रा करनी पड़ रही है।
2. कोडरमा की क्रिकेट टीम को सफर में कठिनाई : सीधी बस सेवा नहीं होने के कारण टीम को कई जगह ट्रेन बदलनी पड़ रही है, इससे समय व ऊर्जा दोनों की बर्बादी हो रही है।
3. सूचना का अभाव : बस सेवा बंद होने की जानकारी शहर में स्पष्ट रूप से नहीं फैल पाई है, जिससे यात्री भ्रमित हो रहे हैं और भटक रहे हैं।
4. ऑटो-रिक्शा चालकों द्वारा मनमाना किराया : बसों की अनुपलब्धता का फायदा उठाकर ऑटो और टोटो चालक अत्यधिक किराया वसूल रहे हैं।
5. प्रशासन की निष्क्रियता : अब तक न तो कोई वैकल्पिक व्यवस्था की गई है और न ही समस्या समाधान की दिशा में ठोस पहल की गई है।
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