बोले देवघर: बुनियादी सुविधाओं के अभाव में पहचान खो रहा नौलखा मंदिर
नौलखा मंदिर, जो देवघर की सांस्कृतिक धरोहर है, बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जूझ रहा है। मंदिर परिसर में सफाई नहीं होने, पेयजल और शौचालय की कमी, तथा सुरक्षा की अनदेखी के कारण पर्यटकों की संख्या में...

श्रीश्री जुगल आश्रम जो नौलखा आश्रम के नाम से प्रसिद्ध है, देवघर के सांस्कृतिक धरोहर के रूप में जाना जाता है। कोलकाता के पाथुरिया घाट राजघराने की रानी चारुशिला ने पति व पुत्र को खो देने के बाद शांति की तलाश में तलाश में घर छोड़ दिया था। संत बालानंद ब्रह्मचारी से मिलकर उन्होंने मंदिर निर्माण की बात कही थी। मंदिर में राधा-कृष्ण की प्रतिमा स्थापित है। मंदिर की वास्तुकला रामकृष्ण मिशन बेलूर मठ से मिलता-जुलता है। बताया जाता है कि 1930 के दशक में इस मंदिर के निर्माण में 9 लाख रुपए की लागत आने के कारण मंदिर का नाम नौलखा पड़ गया। इसका निर्माण सन 1936 में शुरूआत किया गया था, जो बनकर 1944 में तैयार हुआ। उसमें चीफ इंजीनियर आर्किटेक्ट एंड ऑर्गेनाइजर कैलाश दास रॉय थे। चार्टर्ड इंजीनियर रेजिडेंट इंजीनियर इंचार्ज का वर्क अनिल बिहारी घोष थे। पूरे मंदिर को पत्थर और मार्बल से बनाया गया है मंदिर निर्माण का कार्य उत्तर प्रदेश के चुनार के कारीगरों द्वारा किया गया था। मंदिर का निर्माण मदन मोहन दास की अगुवायी में कराया गया था। द्वारा कराया गया है। नौलखा मंदिर देवघर की सांस्कृतिक धरोहर के रूप में जानी जाती है। यहां हर दिन बड़ी संख्या में पर्यटकों व श्रद्धालुओं की भीड़ जुटती है। लेकिन मंदिर में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव, पेयजल की कमी, शौचालय की व्यवस्था नहीं होना चारों तरफ झाड़ियां और सुरक्षा के दृष्टिकोण से चहारदीवारी नहीं होना पर्यटकों के लिए खतरा साबित हो सकता है। इन्हीं सब मुद्दों को लेकर हिन्दुस्तान से बातचीत के दौरान स्थानीय लोगों के साथ बिहार, बंगाल सहित विभिन्न प्रांतों से आए यात्रियों ने अपनी-अपनी समस्या व समाधान के सुझाव दिए।
नौलखा मंदिर की उपेक्षा के कारण वर्तमान में पूरे मंदिर परिसर झाड़ियों से भरा है। नियमित रूप से साफ-सफाई भी नहीं हो पाती है। इसकी वजह से इतना सुंदर दिखने वाला मंदिर अपने आसपास फैली गंदगी की वजह से यात्रियों के लिए परेशानी का सबब बन गया है। साथ ही वहां किसी भी तरह की बुनियादी सुविधा नहीं उपलब्ध है। इस वजह से यात्रियों का झुकाव इस ओर से घटता जा रहा है। समय रहते अगर इन चीजों पर ध्यान नहीं दिया गया तो निश्चित तौर पर एक दिन नौलखा आश्रम आने वाले यात्रियों की संख्या में भारी गिरावट देखने को मिल सकती है।
परिसर में पेयजल और शौचालय की नहीं है व्यवस्था : नौलखा मंदिर परिसर में शुद्ध पेयजल और शौचालय की व्यवस्था नहीं होने की वजह से वहां घूमने वाले यात्रियों को काफी परेशानी होती है। खासकर शौचालय नहीं होने की वजह से लोगों को काफी दिक्कत होती है। जिनमें महिलाओं को विशेष तौर पर काफी असहजता महसूस करना पड़ती है। साथ ही वृद्ध और बच्चों को भी काफी परेशानी होती है। लोगों ने मांग की है कि नौलखा मंदिर परिसर में सुसज्जित तरीके से यूरिनल और शौचालय का निर्माण कराया जाना चाहिए ताकि यहां आने वाले यात्रियों को किसी भी तरह की परेशानी ना हो।
टूटी है चहारदीवारी, गार्ड की भी नहीं है व्यवस्था : नौलखा मंदिर के दक्षिण दिशा की चहारदीवारी बिल्कुल ध्वस्त हो चुकी है। साथ ही पश्चिम दिशा में महज तार से बैरिकेड कर दी गयी है। इसकी वजह से मंदिर के सुरक्षा पर भी सवाल उठता नजर आ रहा है। साथ भी इतने बड़े पर्यटन स्थल पर सुरक्षा गार्ड की प्रतिनियुक्ति नहीं की गई है। मंदिर के मुख्य द्वार पर गार्ड रूम के लिए अर्धनिर्मित कंस्ट्रक्शन किया गया है। लेकिन उसे पूरा नहीं किया गया है। इससे यात्रियों सहित दुकानदारों को हर समय सुरक्षा का खतरा बना रहता है।
अक्सर होती रहती है चोरी और छिनतई की घटनाएं : नौलखा मंदिर में सुरक्षा गार्ड की तैनाती नहीं करने की वजह से मंदिर में घूमने आने वाले यात्रियों के साथ असामाजिक तत्वों द्वारा चोरी और छिनतई जैसी घटनाएं होती रहती है। कई बार नौलखा मंदिर पहुंचने वाले यात्रियों के साथ अपराधियों द्वारा छिनतई और रंगदारी जैसी घटनाओं को अंजाम दिया जा चुका है। बावजूद देवघर प्रशासन नौलखा मंदिर के महत्व को ना समझते हुए, इसके विकास के लिए कोई कार्य नहीं कर रही है। लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि नौलखा मंदिर जितना सुंदर और भव्य है। उसको देखते हुए पूरे मंदिर परिसर का सौंदर्यीकरण होना चाहिए और यहां घूमने आने वाले यात्रियों के लिए अधिक से अधिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जानी चाहिए।
चारों ओर झाड़ियां और गंदगी का अंबार : नियमित साफ-सफाई के अभाव में मंदिर परिसर के चारों ओर झाड़ियों का अंबार लगा हुआ है। साथ ही लोग जहां-तहां गंदगी भी फैला देते हैं। इस वजह से पूरा परिसर गंदा नजर आता है। बातचीत के दौरान लोगों ने कहा कि मंदिर परिसर में नियमित रूप से साफ-सफाई की व्यवस्था होनी चाहिए। ताकि लोग घूमने के साथ शुद्ध वातावरण का भी आनंद ले सकें।
खाली पड़ी जमीन पर बगीचा लगाने की मांग : बातचीत के दौरान यात्रियों सहित स्थानीय लोगों ने मांग की है कि मंदिर परिसर में काफी जमीन है, जो खाली पड़ी हुई है। उसे साफ-सुथरी कर झाड़ियां काटने के बाद वहां शानदार बगीचा का निर्माण कराया जा सकता है, लेकिन उदासीनता की वजह से वह भूमि बंजर है। स्थानीय प्रशासन अगर चाहे तो खाली पड़ी जमीन को एक सुंदर पार्क के रूप में डेवलप कर सकता है। जिससे न सिर्फ मंदिर की वजह से लोग वहां घूमने जाएंगे, बल्कि पार्क का आनंद लेने के लिए भी लोग वहां पहुंचेंगे।
सुझाव
1. नियमित सफाई और बागवानी: परिसर की सफाई के लिए स्थायी व्यवस्था बनाई जाए और झाड़ियां हटाकर हरियाली या बगीचा विकसित किया जाए।
2. पेयजल और शौचालय निर्माण: यात्रियों के लिए साफ पानी और आधुनिक शौचालय की सुविधा तत्काल उपलब्ध कराई जाए।
3. चारदीवारी और सुरक्षा गार्ड: पूरे परिसर की बाउंड्री वॉल को मजबूत किया जाए और सुरक्षा गार्ड की नियुक्ति हो।
4. पर्यटक सुविधाओं का विस्तार: बैठने के लिए बेंच, छायादार स्थान, बच्चों के लिए पार्क जैसे इंतजाम किए जाएं।
5. व्यवस्थित विकास योजना: प्रशासन द्वारा मंदिर को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए मास्टर प्लान तैयार कर लागू किया जाए।
शिकायतें
1. साफ-सफाई का अभाव: मंदिर परिसर में झाड़ियां फैली हैं और नियमित सफाई नहीं होती, जिससे गंदगी का अंबार लग गया है।
2. शुद्ध पेयजल और शौचालय की कमी: यात्रियों को पीने के पानी और शौच के लिए बहुत परेशानी होती है, खासकर महिलाओं को।
3. सुरक्षा की अनदेखी: चारदीवारी टूटी हुई है और किसी सुरक्षा गार्ड की नियुक्ति नहीं है, जिससे चोरी और छिनतई की घटनाएं होती रहती हैं।
4. पर्यटन सुविधाओं की कमी: मंदिर परिसर में बैठने, छांव या बच्चों के खेलने की कोई व्यवस्था नहीं है।
5. प्रशासनिक उदासीनता: जनप्रतिनिधियों और प्रशासन द्वारा सिर्फ नाममात्र के कार्य हुए हैं, विकास की कोई ठोस योजना नहीं दिखती।
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