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बोले देवघर: पानी सफाई के लिए शिवगंगा में लगा यंत्र नहीं कर रहा काम

हर वर्ष लाखों श्रद्धालु बाबा बैद्यनाथ के दर्शन के लिए देवघर पहुंचते हैं और शिवगंगा में स्नान करते हैं। लेकिन गंदे पानी की वजह से श्रद्धालुओं में नाराजगी है। जल शोधन संयंत्र के बावजूद पानी की गुणवत्ता...

Newswrap हिन्दुस्तान, देवघरMon, 28 April 2025 06:55 PM
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बोले देवघर: पानी सफाई के लिए शिवगंगा में लगा यंत्र नहीं कर रहा काम

द्वादश ज्योर्तिलिंग में सर्वश्रेष्ठ कामना लिंग बाबा बैद्यनाथ पर हर वर्ष लाखों की संख्या में श्रद्धालु जलार्पण करने के लिए पहुंचते हैं। श्रद्धालु बाबा बैद्यनाथ पर जलार्पण करने के पूर्व श्रद्धालु पवित्र शिवगंगा में डुबकी लगाते हैं। जिसके बाद बाबा बैद्यनाथ पर जलार्पण करते हैं। श्रावण मास के दौरान सुलतानगंज से जल भरकर प्रतिदिन लाखों की संख्या में श्रद्धालु देवघर पहुंचते हैं। यहां पहुंचने के बाद श्रद्धालु सबसे पहले पवित्र शिवगंगा में स्नान करते हैं। उसके बाद बाबा पर जल चढ़ाते हैं। मान्यता है कि शिवगंगा में स्नान करना गंगा में स्नान करने के बराबर है। लेकिन वर्तमान समय में शिवगंगा का पानी काफी गंदा हो चुका है। शिवगंगा के पानी को स्वक्ष बनाने के लिए सरकार द्वारा शिवगंगा के पूर्वी दिशा में जल शोधन संयंत्र भी स्थापित किया गया है। लेकिन करोड़ों की लागत से जल शोधन संयंत्र लगाए जाने के बावजूद शिवगंगा का पानी आज भी गंदा बना हुआ है, जिससे श्रद्धालुओं के बीच गहरी नाराजगी है। इसी मुद्दे को लेकर हिन्दुस्तान से संवाद के दौरान श्रद्धालु सहित स्थानिय तीर्थ पुरोहितों ने इससे होने वाली समस्याओं व उसके समाधान को लेकर अपनी-अपनी बात रखी।

देवघर की आस्था का केंद्र शिवगंगा आज भी प्रदूषण से जूझ रहा है, जबकि इसके संरक्षण और शुद्धिकरण के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं। 9 जुलाई 2017 को झारखंड के तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास, गोड्डा के सांसद निशिकांत दुबे, नगर विकास व आवास विभाग के तत्कालीन मंत्री चंदेश्वर प्रसाद सिंह, विधायक नारायण दास, मेयर रीता राज खवाड़े और डिप्टी मेयर नीतू देवी की उपस्थिति में शिवगंगा के पूर्वी हिस्से में जल शोधन संयंत्र का उद्घाटन हुआ था। इस संयंत्र का मुख्य उद्देश्य शिवगंगा के जल को शुद्ध कर उसमें फिर से स्वच्छ जल प्रवाहित करना था। संयंत्र में तीन ऑपरेटर समेत सात कर्मचारी प्रतिनियुक्त किए गए हैं और प्रतिमाह लाखों रुपये की बिजली खपत होती है। लेकिन सात साल बाद भी स्थिति जस की तस बनी हुई है। जल शोधन संयंत्र से अपेक्षित सुधार देखने को नहीं मिला है। श्रद्धालु और स्थानीय नागरिक लगातार सवाल उठा रहे हैं कि जब इतनी भारी भरकम राशि खर्च हो रही है, तो फिर शिवगंगा का पानी आज भी गंदा क्यों है? स्थानीय लोगों का आरोप है कि संयंत्र की देखरेख सही तरीके से नहीं हो रही और तकनीकी उपकरणों का रखरखाव भी लापरवाही से किया जा रहा है। परिणामस्वरूप, श्रद्धालु अब धार्मिक स्नान से भी कतराने लगे हैं। शिवगंगा की दुर्दशा देवघर की गरिमा पर प्रश्नचिह्न लगा रही है और इसके संरक्षण को लेकर नई रणनीति की जरूरत महसूस की जा रही है।

पवित्र शिवगंगा की स्वच्छता को लेकर स्थापित जल शोधन संयंत्र की कार्यप्रणाली पर अब गंभीर सवाल उठने लगे हैं। स्थानीय निवासियों, श्रद्धालुओं और तीर्थ पुरोहितों का कहना है कि संयंत्र से पाइपलाइन के माध्यम से शिवगंगा का पानी खींचा जाता है, उसे फिल्टर किया जाता है और फिर वापस शिवगंगा में छोड़ दिया जाता है। लेकिन फिल्टरिंग की प्रक्रिया इतनी प्रभावी नहीं है कि जल की गुणवत्ता में कोई ठोस सुधार दिख सके। स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि संयंत्र अपनी पूरी क्षमता से और सही तरीके से काम कर रहा होता, तो आज शिवगंगा का पानी बदबूदार और हरे रंग का न होता। जल में दुर्गंध, काई और गंदगी की भरमार स्पष्ट संकेत करती है कि शोधन प्रक्रिया में या तो कोई तकनीकी खामी है या फिर उसका नियमित रखरखाव नहीं हो रहा। कई तीर्थ पुरोहितों ने यह भी आशंका जताई कि संयंत्र की निगरानी और संचालन में लापरवाही बरती जा रही है, जिससे श्रद्धालुओं की धार्मिक आस्था को ठेस पहुंच रही है। बातचीत के दौरान कुछ स्थानीय निवासियों ने यह भी कहा कि जल की गुणवत्ता की स्वतंत्र जांच कराई जानी चाहिए और यदि संयंत्र अपनी भूमिका निभाने में विफल साबित होता है, तो इसकी कार्यप्रणाली में बड़े सुधार की आवश्यकता है। शिवगंगा की गरिमा बनाए रखना देवघर प्रशासन की पहली प्राथमिकता होनी चाहिए।

बाबा बैद्यनाथ मंदिर में प्रतिदिन देशभर से हजारों श्रद्धालु जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं। परंपरा के अनुसार, जलाभिषेक से पूर्व श्रद्धालु शिवगंगा सरोवर में डुबकी लगाते हैं, जिसे पवित्र माना जाता है। लेकिन वर्तमान में शिवगंगा की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई है। पानी में हरियाली फैल चुकी है, सतह पर कचरे की मोटी परत तैर रही है और पूरे क्षेत्र में दुर्गंध फैली रहती है। इसके बावजूद श्रद्धालु धार्मिक आस्था के चलते मजबूरी में गंदे पानी में स्नान कर रहे हैं। इस तरह के गंदे पानी में स्नान करने से चर्म रोग, एलर्जी, फंगल संक्रमण और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। स्थानीय प्रशासन और मंदिर प्रबंधन द्वारा सफाई के प्रयास नाकाफी साबित हो रहे हैं। श्रद्धालु एवं स्थानीय नागरिकों ने शिवगंगा की सफाई।

और नियमित देखरेख की मांग की है ताकि यह पवित्र स्थल अपनी गरिमा बनाए रख सके और श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का सामना न करना पड़े।

सुझाव

1. अजय नदी से नियमित जल प्रवाह सुनिश्चित किया जाए ताकि शिवगंगा का पानी स्वच्छ रहे।

2. जल शोधन संयंत्र की कार्यप्रणाली की निष्पक्ष जांच कराई जाए व तकनीकी सुधार किए जाएं।

3. शिवगंगा घाटों की समय पर मरम्मत और बैरिकेडिंग की मरम्मत कराई जाए।

4. शिवगंगा में डिटर्जेंट और साबुन के प्रयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए और इसका पालन हो।

5. श्रावणी मेले से पहले व्यापक सफाई और जल निकासी की जाए ताकि श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य समस्याओं से बचाया जा सके।

शिकायतें

1. करोड़ों की लागत के बावजूद जल शोधन संयंत्र से शिवगंगा के जल में कोई ठोस सुधार नहीं हुआ है।

2. शिवगंगा का पानी बदबूदार, हरा और काई युक्त हो गया है, जिससे श्रद्धालुओं को स्नान में परेशानी हो रही है।

3. टूटी हुई सीढ़ियों और खराब बैरिकेडिंग के कारण श्रद्धालुओं की सुरक्षा खतरे में पड़ रही है।

4. स्थानीय प्रशासन और मंदिर प्रबंधन द्वारा सफाई के प्रयास नाकाफी और केवल खानापूर्ति तक सीमित हैं।

5. कपड़े धोने और डिटर्जेंट के उपयोग के कारण जल प्रदूषण लगातार बढ़ रहा है, और इस पर कोई रोकथाम नहीं हो रही।

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