Digital QR Code System in Dhanbad Hospitals Faces Patient Trust Issues Amid Cyber Fraud Fears साइबर ठगी के डर से क्यूआर कोड स्कैन नहीं कर रहे मरीज, Dhanbad Hindi News - Hindustan
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साइबर ठगी के डर से क्यूआर कोड स्कैन नहीं कर रहे मरीज

धनबाद मेडिकल कॉलेज और सदर अस्पताल में आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन के तहत क्यूआर कोड लगाए गए हैं, ताकि मरीजों को लंबी कतार से राहत मिले। लेकिन साइबर ठगी के डर से मरीज क्यूआर कोड स्कैन करने से डरते हैं,...

Newswrap हिन्दुस्तान, धनबादTue, 8 April 2025 03:17 AM
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साइबर ठगी के डर से क्यूआर कोड स्कैन नहीं कर रहे मरीज

धनबाद, प्रमुख संवाददाता आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (एबीडीएम) के तहत मरीजों की सुविधा के लिए धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल और सदर अस्पताल में क्यूआर कोड लगाए गए हैं। इस सुविधा का उद्देश्य मरीजों को लंबी कतार से राहत दिलाना और प्रक्रिया को आसान बनाना था, लेकिन साइबर ठगी के डर से मरीज क्यूआर कोड स्कैन करने से डरते हैं। नतीजा नई व्यवस्था होने के बाद दोनों अस्पतालों के ओपीडी रजिस्ट्रेशन काउंटरों पर लंबी-लंबी कतार लग रही है। इसको लेकर ओपीडी के रजिस्ट्रेशन काउंटरों में हर दिन विवाद भी हो रहा है।

बता दें कि स्कैन एंड शेयर योजना के तहत अस्पतालों में क्यूआर कोर्ड लगाया गया है। मरीज को अपने एंड्रॉयड मोबाइल में आयुष्मान भारत हेल्थ अकाउंट (आभा) एप डाएनलोड करना होता है। इससे क्यूआर कोड को मोबाइल से स्कैन करते ही एक टोकन जेनरेट होता है। रजिस्ट्रेशन काउंटर पर टोकन नंबर बताने पर मरीज को पर्ची मिल जाती है। उसे कतार में नहीं लगना पड़ता है। यह एक डिजिटल व्यवस्था है ताकि मरीज को बिना किसी परेशानी कम समय में इलाज मिल सके। लेकिन अब यह सुविधा मरीजों के लिए उलझन का कारण बन गई है। साइबर ठगी के डर से मरीज क्यूआर कोड स्कैन करने से कतरा रहे हैं। स्थिति यह है कि सोमवार को सदर अस्पताल के ओपीडी में आए 315 में सिर्फ 165 मरीजों ने ही स्कैन एंड शेयर से टोकन जेनरेट कर पर्ची बनवाई। यह कुल ओपीडी का 52 प्रतिशत है। धनबाद मेडिकल कॉलेज अस्पताल के ओपीडी में आए 1266 मरीजों में सिर्फ 422 ने स्कैन एंड शेयर किया, जो सिर्फ 33 प्रतिशत है। बाकी 844 लोगों ने कतार में खड़े होकर पर्ची बनवाई। मरीजों को डर है कि इससे उनका मोबाइल हैक हो सकता है और उनके खाते से पैसे खाली हो सकते हैं। कुछ लोग मोबाइल में वायरस आने और डेटा चोरी होने की आशंका से भी इस डिजिटल व्यवस्था को अपनाने का तैयार नहीं हैं।

ओपीडी में होता रहता है विवाद

सरकार ने स्कैन एंड शेयर से शत प्रतिशत ओपीडी पर्ची बनाने का निर्देश दिया है। ओपीडी के कर्मचारी इसके लिए मरीजों और उनके परिजनों को प्रेरित करते हैं। इसके लिए अलग कर्मी तक लगाया गया है, जो मरीजों के मोबाइल में एप डाउनलोड करता है और स्कैन कर टोकन जेनरेट करता है। बावजूद लोग विश्वास नहीं करते। इसको लेकर हर दिन अस्पतालों में विवाद हो रहा है। मरीज और कर्मचारियों के बीच नोकझोंक आम हो गई है।

पूरी तरह सुरक्षित है डिजिटल व्यवस्था

अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि यह क्यूआर कोड पूरी तरह से सुरक्षित है। यह सरकारी पोर्टल से लिंक है और इसमें किसी भी प्रकार की वित्तीय जानकारी नहीं ली जाती। इसका मकसद केवल मरीजों की पहचान और टोकन जेनरेट करना है। कर्मचारियों को कहा गया है कि वे मरीजों को समझाएं। उनसे धैर्यपूर्वक बात करें और इसके फायदे बताएं।

लोगों को किया जा रहा जागरूक

एबीडीएम की प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर ऋषिका सिन्हा का कहना है कि साइबर फ्रॉड की घटनाएं बढ़ने के कारण लोग तकनीक को लेकर सशंकित रहते हैं। स्कैन एंड शेयर व्यवस्था को लेकर उन्हें जागरूक किया जा रहा है। सरकार की मंशा स्वास्थ्य सेवाओं को डिजिटल और आसान बनाने की है, लेकिन जब तक लोगों में भरोसा नहीं बनेगा, तब तक ऐसी सुविधाएं अपनाई नहीं जाएंगी। पूरी टीम इसके लिए काम कर रही है।

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