धनबाद बंदोबस्त कार्यालय पहुंची ईडी, कइयों की फंसी गर्दन
धनबाद में ईडी ने बोकारो के तेतुलिया मौजा में वन विभाग की 103 एकड़ जमीन की खरीद-बिक्री की जांच की। अधिकारियों से दस्तावेजों के संबंध में पूछताछ की गई। आरोप है कि जमीन की प्रकृति बदल कर उसे बेचा गया। इस...

धनबाद, मुख्य संवाददाता। बोकारो के तेतुलिया मौजा में वन विभाग की 103 एकड़ जमीन खरीद-बिक्री के मामले की जांच की आंच बुधवार को धनबाद बंदोबस्त कार्यालय (सर्वे सेटलमेंट ऑफिस) तक पहुंच गई। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की टीम ने बुधवार को धनबाद बंदोबस्त कार्यालय में कागजात की जांच की। विभाग के अफसर और कर्मचारियों से कागजात के संबंध में लंबी पूछताछ की गई। बोकारो चास के जिस तेतुलिया मौजा की जमीन की प्रकृति बदल कर गड़बड़झाला किया गया है, उसका रिकॉर्ड धनबाद बंदोबस्त कार्यालय में ही रहता है। दरअसल, धनबाद ऑफिस से ही चास और चंदनकियारी का सर्वे सेटलमेंट होता है। बताया जा रहा है कि तेतुलिया मौजा की जमीन के घालमेल में धनबाद सर्वे सेटलमेंट के तत्कालीन तीन-चार कर्मियों की गर्दन फंस रही है। फिलहाल, सभी कर्मियों को अन्य जगहों पर तबादला हो गया है, उस समय के कर्मियों और अफसर का फंसना तय माना जा रहा है। ईडी की टीम ने तेतुलिया की कथित जमीन की खतियान की जांच की। मूल दस्तावेज और तरमीम और उससे संबंधित वाद का ईडी ने बारीकी से अध्ययन किया। टीम ने यह समझा कि आखिर कैसे वन विभाग की जमीन की प्रकृति बदल कर उसे बेची गई। टीम देर रात तक बंदोबस्त कार्यालय में डटी रही।
सेल के तत्कालीन अधिकारी भी आएंगे लपेटे में: 2013 में सीएनटी एक्ट धारा-87 दायर किया गया था। वाद कुछ दिन चलने के बाद 2015 में खारिज हो जाता है। इसके बाद उस वाद में एक अन्य व्यक्ति ने मध्य पक्षी बनकर वाद को पुनर्जीवित किया। इसमें वन विभाग और सेल को नोटिस किया गया। वन विभाग ने जवाब दिया कि ये भूमि सेल की है। सेल ने जवाब दिया कि ये भूमि हमारी नहीं है। वाद की सुनवाई सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी मिथलेश चौधरी ने की थी। इसके बाद वाद में किए गए आदेश को खतियान में चढ़ाया गया।
बोकारो में ईडी ने एसी ऑफिस में खंगाले कागजात: ईडी की टीम ने बोकारो समाहरणालय स्थित अपर समाहर्ता कार्यालय में जमीन संबंधी कागजात की जांच की। प्रवर्तन निदेशालय के अधिकारियों ने बारी-बारी से जमीन की वास्तविक स्थिति और उसके विचलन को लेकर अधिकारियों और कर्मचारियों से सवाल-जवाब किए। बता दें कि बोकारो वन प्रमंडल के प्रभारी वनपाल सह वनरक्षी रुद्र प्रताप सिंह की शिकायत पर फॉरेस्ट एक्ट के तहत सेक्टर-12 थाने में 18 मार्च-2024 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। इसके बाद पूरे मामले को दबाने के लिए कई हथकंडे अपनाए गए थे।
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