बोले धनबाद: रजिस्ट्रेशन काउंटर की संख्या व इलाज का समय बढ़े तो राहत
एसएनएमएमसीएच में मरीजों को इलाज के लिए लंबी कतारों और रजिस्ट्रेशन में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दूर-दराज से आए मरीजों को बिना इलाज के लौटना पड़ता है। मरीजों ने सुझाव दिया है कि काउंटर की...

एसएनएमएमसीएच (शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल) में इलाज का समुचित व्यवस्था है। यहां अच्छे डॉक्टर भी हैं। मशीन तथा अन्य उपकरण भी यहां हैं। धनबाद के साथ आसपास के जिलों जैसे बोकारो, गिरिडीह, जामताड़ा, हजारीबाग, पुरुलिया से भी मरीज इलाज के लिए आते हैं। संताल परगना के लोग भी यहां बेहतर इलाज के लिए आते हैं। लोगों को यह आस रहती है कि अस्पताल पहुंचने के बाद ससमय उनका इलाज हो जाएगा। आसपास के जिलों का एकमात्र मेडिकल कॉलेज होने के कारण यहां प्रतिदिन बड़ी संख्या में मरीज आते हैं। हर दिन औसतन एक हजार से भी अधिक मरीज यहां पहंचते हैं। ऐसे में रजिस्ट्रेशन काउंटर पर लंबी कतार लगी रहती है। कभी-कभी तो रजिस्ट्रेशन के लिए घंटों खड़े रहना पड़ता है। स्थिति यह भी बन जाती है कि काउंटर तक पहुंचने के पहले ही पहली पाली के इलाज का समय खत्म हो जाता है। ऐसे में मरीजों को तीन-तीन घंटे तक इंतजार करना पड़ता है और फिर दूसरी पाली में पर्ची लेकर इलाज कराना पड़ता है। इससे मरीजों को परेशानी होती है। सबसे अधिक परेशानी दूर-दराज से आए मरीजों को होती है।
शहीद निर्मल महतो मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल (एसएनएमएमसीएच) राज्य का तीसरा सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। धनबाद सहित अन्य जिलों के लोग भी यहां इलाज के लिए आते हैं। यहां बड़ी संख्या में मरीज पहुंचते हैं। ऐसे में रजिस्ट्रेशन काउंटरों पर लंबी-लंबी कतारें लगी रहती हैं। स्थिति यह है कि पर्ची कटाने में कभी-कभी तो घंटों लाइन में लगना पड़ता है। हमारी मांग है कि काउंटर की संख्या बढ़ाई जाए तथा समय में भी परिवर्तन किया जाए। पहली पाली में 12.30 बजे की जगह दो बजे तक काउंटर खुला रखा जाए तथा फिर 3.30 बजे की जगह तीन बजे से ही काउंटर खोल दिया जाए। उक्त बातें एसएनएमएमसीएच में इलाज के लिए आए मरीज तथा उनके परिजनों के आपके अपने अखबार हिन्दुस्तान से कही। हिन्दुस्तान अखबार की बोले हिन्दुस्तान टीम एसएनएमएमसीएच में मरीजों की समस्याओं की जानकारी के लिए गई थी। मरीज तथा उनके परिजनों ने बोले धनबाद की टीम को खुलकर समस्याओं की जानकारी दी तथा इसके समाधान के लिए पहल करने का अनुरोध भी किया।
मरीजों के परिजनों ने कहा कि दूर-दराज से आने वाले मरीज बेहतर इलाज की उम्मीद लेकर यहां आते हैं, लेकिन अव्यवस्था के कारण कई लोगों को बगैर इलाज के ली लौट जाना पड़ता है। पहली पाली के लिए 8.30 बजे से 12.30 बजे तक ही रजिस्ट्रेशन काउंटर खुलता है। अधिक मरीज रहने के कारण रजिस्ट्रेशन काउंटर से पर्ची मिलने से पहले ही बंद हो जाता है। फिर तीन घंटे तक इंतजार करना पड़ता है इसके बाद पर्ची कटती है। दूर-दराज से आनेवाले मरीजों को सबसे अधिक परेशानी होती है। इलाज कराकर लौटने वालों घर पहुंचने में रात हो जाती है। मरीज के परिजनों ने बताया कि कभी-कभी डॉक्टर ही अस्पताल में 11 बजे के बाद पहुंचते हैं। पर्ची कटा कर भी इंतजार करना पड़ता है। कभी-कभी तो दूसरी पाली में डॉक्टर को दिखाने में देर हो जाती है और अस्पताल परिसर में ही रात गुजारनी पड़ती है।
मरीजों ने बताया कि दूसरी पाली में डॉक्टरों को दिखाने में एक और परेशानी है। अगर डॉक्टर कोई जांच लिख देते हैं तो उसे कराने के लिए दूसरे दिन अस्पताल आना पड़ता है। कारण यह है कि जांच दिन के समय तय है। ऐसे में पहली पाली वाले मरीजों की जांच हो जाती है लेकिन दूसरी पाली के मरीजों को जांच के लिए दूसरे दिन आना पड़ता है और फिर तीसरे दिन रिपोर्ट मिलती है। ऐसे में एक काम के लिए ही तीन दिन लग जाते हैं। मरीजों ने कहा कि इस व्यवस्था में सुधार या बदलाव किया जाना चाहिए। मरीजों ने बताया कि पीजी कैंपस में रजिस्ट्रेशन काउंटर की जगह काफी छोटी है। मरीजों की संख्या ज्यादा होने पर लाइन लगने में परेशानी होती है। कई बार तो लाइन लगने में लोगों के बीच झंझट भी हो जाता है।
सुझाव
1. सुबह से शाम लगातार रजिस्ट्रेशन काउंटर खुला रहे ताकि मरीजों को अस्पताल में बैठना न पड़े।
2. लंच के वक्त भी एक कर्मचारी को रजिस्ट्रेशन पर्ची बनाने के लिए काउंटर पर मौजूद रहना चाहिए।
3. दूसरे जिले से आए मरीजों के लिए एक अलग काउंटर की सुविधा होनी चाहिए ताकि यह जल्दी डॉक्टर को दिखा सके।
4. दूर से आए मरीजों के लिए रात्रि सेवा की व्यवस्था निर्गत होनी चाहिए
5. कई मरीज अस्पताल में रात को रुकते है, इन्हें खाने के लिए किफायत दर पर भोजन मिलनी चाहिए।
शिकायतें
1. काउंटर बंद हो जाने से कई मरीज बिना ईलाज के घर वापस लौट जाते हैं। जामताड़ा, गिरिडीह व अन्य जिलों के मरीजों को रात रुकना पड़ता है।
2. दूर से आए मरीजों का तीन घंटे का समय बर्बाद होता है। जिसके कारण काफी परेशानी होती है।
3. देर होने के कारण आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को सबसे अधिक परेशानी होती है।
4. इलाज के बाद गाड़ी नहीं मिलने पर घर जाने में रात हो जाती है।
5. इलाज से लेकर जांच रिपोर्ट दिखलाने में तीन-चार दिनों तक चक्कर लगाना पड़ता है।
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