Dialysis Center in Garhwa Operates Without Doctor Patients Face Risks बिना डॉक्टर के टेक्नीशियन करता है मरीजों का डायलिसिस, Garhwa Hindi News - Hindustan
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बिना डॉक्टर के टेक्नीशियन करता है मरीजों का डायलिसिस

गढ़वा के सदर अस्पताल में डायलिसिस सेंटर बिना डॉक्टर के चल रहा है। केवल टेक्नीशियन द्वारा मरीजों का डायलिसिस किया जा रहा है, जिससे मरीजों को गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। परिजन मजबूरी में...

Newswrap हिन्दुस्तान, गढ़वाFri, 18 April 2025 05:40 AM
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बिना डॉक्टर के टेक्नीशियन करता है मरीजों का डायलिसिस

गढ़वा, प्रतिनिधि। सदर अस्पताल में पीपीपी मोड पर संचालित डायलिसिस सेंटर में किडनी मरीजों का डायलिसिस बिना डॉक्टर के ही हो रहा है। यहां टेक्नीशियन ही किडनी मरीजों का डायलिसिस करते हैं। वर्तमान में डायलिसिस सेंटर में एक भी डॉक्टर नहीं है। यहां सिर्फ दो टेक्नीशियन व एक चतुर्थवर्गीय कर्मी है। ऐसे में इमरजेंसी पड़ने पर किडनी मरीजों को भारी परेशानी हो रही है। डायलिसिस सेंटर में गुरुवार को चार मरीजों का डायलिसिस टेक्नीशियन कर रहा था। टेक्नीशियन ने बताया कि यहां एक भी डॉक्टर नहीं है। उसके चलते अब किडनी मरीजों की परेशानी बढ़ गई है। बिना डॉक्टरी जांच और परामर्श के मरीजों का डायलिसिस हो रहा है। डायलिसिस करने के दौरान मरीजों की स्थिति गंभीर होने पर उसकी जवाबदेही कौन लेगा। टेक्नीशियन के अनुसार बिना डॉक्टर के डायलिसिस करने में काफी दिक्कत हो रही है। यहां पर डायलिसिस के लिए चार मशीन लगाई गई है। प्रतिदिन तीन से चार मरीजों का डायलिसिस किया जाता है। उस दौरान कई बार गंभीर मरीज को संभालना मुश्किल हो जाता है। राज्य सरकार की ओर से किए गए एमओयू के तहत एक्सेस संजीवनी प्राइवेट लिमिटेड को सदर अस्पताल में डायलिसिस सेंटर चलाने की अनुमति दी गई है। संस्था की ओर से 2020 से गढ़वा के लोगों को डायलिसिस की सुविधा दी जा रही है। 26 मरीज का नियमित रूप से डायलिसिस किया जाता है।

डर है पर डायलिसिस करना मजबूरी: परिजन

क्या कहते हैं मरीज के परिजन

डायलिसिस सेंटर में नियमित रूप से डॉक्टर के नहीं रहने से टेक्नीशियन के भरोसे ही डायलिसिस चल रहा है। ऐसे में जिले के मरीजों को डर तो हमेशा बना रहता है फिर भी डायलिसिस करना उनकी मजबूरी है। डायलिसिस मरीज के परिजन सुनीता देवी ने बताया कि गढ़वा में डायलिसिस मशीन खराब होने पर हम लोगों को डायलिसिस के लिए लातेहार जाना पड़ता था। उसमें काफी परेशानी का सामना उठानी पड़ती थी। डायलिसिस सेंटर में डॉक्टर नहीं हैं, तो डर तो जरूर बना रहता है, लेकिन परेशानी से बचने के लिए मजबूरन टेक्नीशियन से ही डायलिसिस कराना पड़ता है।

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