बोले हजारीबाग : टैरिफ बढ़ने से कृषि उत्पाद का निर्यात होगा मंदा
- अमेरिका की नई टैरिफ घोषणा ने वैश्विक व्यापार जगत को हिला दिया है। हजारीबाग जैसे मंझोले शहर के व्यापारी भी इससेे प्रत्यक्ष और परोक्ष रूप से प्रभावित हो रहे हैं। हजारीबाग, जो कृषि आधारित उत्पादों के लिए जाना जाता है, इस नीति से अछूता नहीं है।

हजारीबाग। अमेरिकी टैरिफ बढ़ाने के फैसले ने वैश्विक व्यापार व्यवस्था में हलचल मचा दी है। पूरी दुनिया इन दिनों टी - 3 मतलब ट्रम्प, टैरिफ और टेंशन से जूझ रही है। इस नीति का असर केवल बड़े व्यापारिक केंद्रों तक सीमित नहीं है, बल्कि भारत के मंझोले शहरों और उभरते व्यापारिक हब जैसे हजारीबाग पर पड़ने की आशंका प्रबल है। यहां के कारोबारी तबके में बेचैनी और चिंता का माहौल है, खासतौर पर उन व्यापारियों में जो सीधे या परोक्ष रूप से अमेरिका से व्यापार करते हैं।
फेडरेशन ऑफ चेंबर ऑफ कॉमर्स हजारीबाग से जुड़े व्यापारियों का कहना है कि वे पहले ही वैश्विक मंदी, डॉलर की अस्थिरता और बढ़ती शिपिंग लागत जैसी चुनौतियों से जूझ रहे थे। अब अमेरिकी टैरिफ बढ़ने से उनके माल की कीमत अमेरिका में और ज्यादा हो जाएगी। इसका सीधा असर ग्राहकों की जेब पर पड़ेगा, जिससे वे सस्ते विकल्पों की तलाश में अन्य देशों की ओर रुख कर सकते हैं।
विशेष रूप से प्रभावित क्षेत्रों में चमड़ा उद्योग, टेक्सटाइल एक्सपोर्ट और हर्बल प्रोडक्ट्स से जुड़े व्यवसाय शामिल हैं। लेदर क्लस्टर से जुड़े व्यापारियों ने अनुमान जताया है कि नई बुकिंग में 20% तक की गिरावट आ सकती है। यही नहीं, इस सेक्टर से जुड़े मजदूरों की संख्या में भी कटौती होने की आशंका प्रबल हो रही है। इससे स्थानीय रोजगार पर सीधा प्रभाव पड़ने की आशंका है। हजारीबाग जैसे शहर के व्यापारिक समुदाय के लिए यह एक बड़ा सबक है। फेडरेशन के वरिष्ठ सदस्यों का मानना है कि यह समय है जब व्यापारियों को नए बाज़ार तलाशने होंगे और उत्पादों की गुणवत्ता व कीमत प्रतिस्पर्धा योग्य बनानी होगी। बदलते हालात में हजारीबाग के व्यापारी अब अमेरिकी बाजार पर निर्भरता घटाने की बात कर रहे हैं। कई व्यवसायी अफ्रीका, यूरोप और यूएई जैसे नए और उभरते बाज़ारों की ओर रुख कर रहे हैं, जहां अभी भी मांग स्थिर बनी हुई है। अफ्रीका खास तौर पर हर्बल प्रोडक्ट्स, एग्री-बेस्ड आइटम्स और टेक्सटाइल के लिए उभरता हुआ बाजार बन सकता है। अमेरिका की इस नीति से भारतीय निर्यातक काफी असहज महसूस कर रहे है। अमेरिकी आयातकों ने पूर्व में दिए क्रय आदेशों को भी इन टैक्स नीतियों की वजह से स्थगित कर दिया है। वित्तीय वर्ष 2024 की तुलना में वित्तीय वर्ष 2025 के दौरान 1.42% की गिरावट निर्यात में दर्ज की गई है। भारतीय सेवा क्षेत्र में भी इसका व्यापक असर देखने को मिल रहा है । टैरिफ के साथ-साथ डॉलर की अस्थिरता और शिपिंग चार्जेस में उछाल व्यापारियों की चिंता को और बढ़ा रहा है। माल भेजने का खर्च काफी बढ़ गया है। इससे मुनाफा घट रहा है। छोटे और मध्यम दर्जे के निर्यातकों के लिए यह स्थिति बेहद चुनौतीपूर्ण बनती जा रही है। खासकर जब उनके पास लागत को संतुलित करने की सीमित गुंजाइश होती है। व्यापारियों का कहना है कि अब जरूरत है केंद्र और राज्य सरकारों से सक्रिय पहल की। भारत सरकार को चाहिए कि वह अमेरिका के साथ व्यापारिक संवाद को फिर से तेज करे और टैरिफ कम करने या राहत देने की संभावनाओं को टटोले। इसके अलावा, निर्यातकों को नए बाजारों तक पहुंचने के लिए प्रोत्साहन पैकेज, सब्सिडी, और डिजिटल मार्केटिंग सपोर्ट देने की आवश्यकता है। हजारीबाग का आर्थिक ढांचा मुख्य रूप से कृषि आधारित उत्पादों, हैंडीक्राफ्ट्स और छोटे मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स पर निर्भर करता है। यदि टैरिफ और लागत का यह दबाव लंबे समय तक बना रहा, तो न केवल एक्सपोर्ट घटेगा, बल्कि लोकल मैन्युफैक्चरिंग और रोजगार पर भी प्रभाव पड़ेगा।
अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी से व्यापारियों ने ऑर्डर कम होने की जताई आशंका
हजारीबाग के चमड़ा, वस्त्र और हर्बल उत्पाद एक्सपोर्ट करने वाले व्यापारियों को चिंता सता रही है कि टैरिफ बढ़ोतरी से उनके ऑर्डर कम हो सकते हैं। लेदर क्लस्टर से जुड़े लोगों के अनुसार, पहले ही डॉलर की अस्थिरता और मांग में गिरावट से वे जूझ रहे थे, अब इस टैरिफ ने नई बुकिंग पर सीधा असर डाला है। आने वाले महीनों में 15-20% तक ऑर्डर में गिरावट की आशंका जताई जा रही है। व्यापारियों की कमाई और व्यापार का संतुलन भी प्रभावित होगा।
टैरिफ का असर हैंडीक्रॉफ्ट सेक्टर के मजदूरों पर पड़ने की संभावना
टैरिफ के असर से व्यापार में आई गिरावट का सीधा प्रभाव हजारीबाग के स्थानीय श्रमिकों पर पड़ा है। विशेष रूप से चमड़ा और लकड़ी के हैंडीक्राफ्ट सेक्टर में लगे मजदूरों की संख्या घटने लगी है। जब ऑर्डर कम होंगे, तो उत्पादन घटेगा और मजदूरों की जरूरत भी कम होगी। पहले ही ये सेक्टर महंगे शिपिंग चार्ज और कच्चे माल की बढ़ती कीमतों से परेशान हैं। यदि यही स्थिति बनी रही, तो असंगठित क्षेत्र के हज़ारों कारीगरों की आजीविका खतरे में पड़ सकती है।
हजारीबाग के व्यवसायी यूरोप में अब नए बाजार की करेंगे तलाश
हजारीबाग के व्यापारी अब अमेरिकी बाजार पर निर्भरता कम करने की रणनीति बना रहे है। फेडरेशन ऑफ चेंबर ऑफ कॉमर्स के अनुसार, कई व्यापारी अब यूरोप, और अफ्रीका जैसे नए बाजारों की तलाश में हैं। अफ्रीका में हर्बल और हस्तशल्पि उत्पादों की, वहीं यूरोप में टेक्सटाइल के लिए बड़ा बाजार है। कुछ व्यवसायियों ने संपर्क बनाना शुरू कर दिया है। यह बदलाव भविष्य के व्यापार नीति को बहु-बाजार आधारित बनाने की दिशा में एक कदम है। इससे जोखिम कम होंगे और बाजार वस्तिार भी होगा।
कुटीर उद्योग होगा प्रभावित
अमेरिकी बाजार में कीमतें बढ़ने से वहां के खरीदार अब अन्य विकल्प तलाश सकते हैं, इससे भारतीय उत्पादों की मांग कम हो सकती है। ऐसे में हजारीबाग के व्यापारी ग्लोबल पॉलिसी के प्रभाव को महसूस कर रहे हैं। अब यह आवश्यक हो गया है कि लोकल बिजनेस भी अंतरराष्ट्रीय रणनीतियों के अनुसार अपने कामकाज को ढालें। अमेरिका द्वारा कुछ आयातित उत्पादों पर 25% टैरिफ बढ़ाने का फैसला वैश्विक व्यापार पर असर डाल रहा है। हजारीबाग जैसे शहर, जो कृषि आधारित और कुटीर उद्योगों पर निर्भर हैं, इस फैसले से प्रभावित हो रहे हैं।
अमेरिका के फैसले का असर घर के बजट पर पड़ेगा
अमेरिका का टैरिफ बढ़ाना हमारे लिए सीधा असर डालता है। चाइनीज सामान महंगा होगा, इससे यहां भी रेट बढ़ेंगे। ग्राहक सस्ते विकल्प ढूंढेंगे और बिक्री और गिरेगी। हम पहले से ही कम बिक्री से जूझ रहे हैं।
-राजवर्मा
कुछ सामान बाहर से आता है। अगर कीमतें बढ़ती हैं तो छोटे उद्यमियों के लिए हालात संभालना मुश्किल हो जाएगा। लागत और मुनाफे की लड़ाई पहले से है, अब तो कारोबार बंद करने जैसी नौबत हो सकती है।
-सुबोध अग्रवाल
पिछले साल भी टैरिफ के चक्कर में हमारी आमदनी घटी थी। इस बार भी वही हाल दिख रहा है। ग्राहक सिर्फ कीमत देखता है, हमारी लागत और संघर्ष नहीं। विदेश नीति का असर सीधे व्यापार पर होता है।
-राकेश ठाकुर
हम बच्चों को ग्लोबल इकोनॉमी पढ़ाते हैं, लेकिन अब ग्लोबल फैसलों का असर घर के बजट तक पहुंच रहा है। अमेरिका टैरिफ बढ़ाता है और हमें अपने खर्चों में कटौती करनी पड़ती है।
-नीरज अग्रवाल
आयात-निर्यात पर असर पड़ेगा तो ट्रांसपोर्ट भी धीमा होगा। रोज़ाना ट्रिप्स में कटौती हो रही है, लेकिन खर्च तो उतना ही है। हर ट्रक कम चलने से कमाई पर सीधा फर्क पड़ता है।
-अहमद तारीक
कुछ फैब्रिक और डिजाइन वाले सामान बाहर से आते हैं। टैरिफ बढ़ने से दाम बढ़ जाते हैं, और ग्राहक को लगता है हम जानबूझकर महंगा बेच रहे हैं, जबकि हकीकत में हम अपनी लागत तक नहीं निकाल पा रहे हैं।
-तन्मय सोनी
मोबाइल के स्पेयर पार्ट्स चाइना से आते हैं। टैरिफ के कारण महंगे होंगे तो हम भी सर्विस चार्ज बढ़ाएंगे। लेकिन ग्राहक ज्यादा चार्ज नहीं देना चाहते। ऐसे में वह सीधे ऑनलाइन खरीद लेते हैं।
-चंदन मुखर्जी
टैरिफ वृद्धि अमेरिका-चीन के बीच शक्ति संतुलन का हिस्सा हो सकता है, लेकिन इसके दुष्परिणाम छोटे शहरों तक पहुंचते हैं। हजारीबाग में इसका असर छोटे उद्योगों और दुकानों पर हो रहा है।
-डॉ सजल मुखर्जी
राशन और किचन के कई आइटम बाहर से आते हैं। अगर टैरिफ बढ़ेगा तो महंगाई और बढ़ेगी। आम परिवार का बजट पहले से ही बिगड़ा हुआ है। अब हर चीज़ के दाम बढ़ते जा रहे हैं।
-रथिन चटर्जी
कुछ ज़रूरी हार्डवेयर हमें बाहर से मंगाना पड़ता है। टैरिफ बढ़ेगा तो कीमत भी बढ़ेगी। ऐसे में क्लाइंट से डील करना मुश्किल हो जाता है, बढ़ी कीमत के बावजूद क्वालिटी और समय पर काम देना पड़ता है। -शंकर मुखर्जी
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