Deteriorating Conditions at St Kolumba College Hostel Students Face Multiple Challenges बोले हजारीबाग: संत कोलंबा के हॉस्टल की सेहत सुधारें, Hazaribagh Hindi News - Hindustan
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बोले हजारीबाग: संत कोलंबा के हॉस्टल की सेहत सुधारें

संत कोलंबा कॉलेज के हॉस्टल की स्थिति बहुत खराब है। छात्रों को पढ़ाई में कठिनाई हो रही है क्योंकि सुविधाएँ जैसे मेस, स्वास्थ्य केंद्र और लैब अनुपलब्ध हैं। रात में सुरक्षा के लिए कोई गार्ड नहीं है और...

Newswrap हिन्दुस्तान, हजारीबागTue, 1 April 2025 06:29 PM
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बोले हजारीबाग: संत कोलंबा के हॉस्टल की सेहत सुधारें

हजारीबाग। संत कोलंबा कॉलेज पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज के रूम में जाना जाता है। आज भी बहुत से विषय में यहां मास्टर की पढाई होती है। जिनमें कला और विज्ञान दोनों के विषय शामिल है। जब यहाँ इंटर,डिग्री और पीजी तीनों के छात्र हॉस्टल में रहते थे तो बहुत चहल पहल रहती थी। सब व्यवस्था सही थी। ज्यादा बच्चों के कारण कॉलेज प्रशासन पर दवाब रहता था। अब केवल हर चींज खिंच रहा है। कोई शिकायत करने पर कुछ नही होता है। कोई भी चीज सुधार करने के लिए लड़का लोग को आपस में चंदा करना पड़ता है। इतना बडा़ और पुराना कॉलेज है। पर शाम में लाइट कटने पर न तो सोलर प्लेट से रौशनी का प्रबंध है न किसी तरह के जेनरेटर की सुविधा है। हॉस्टल से बीएड भवन को सोलर से प्लेट से कनेशन गया है पर इधर नहीं मिला। शाम के बाद तो कॉलेज बंद हो जाता है। कोई देखने वाला नहीं होता है।

चारो तरफ घास,झाडी़ और बडे़ और पुराने पेड़ लगे है। हमेशा सांप निकलते रहता है। एक बार जहरीला सांप रसेल वाइपर निकला था। संयोग से किसी लड़का को डंसा नही। हॉस्टल से आंनदपुरी के तरफ केवल पेड़ और झाडी़ है। उधर से हमेशा सांप निकलते रहता है। बरसात और गर्मी के दिन में हमेशा सांप का भय रहता है। सोलर लाइट लगने से सुविधा होती। नामांकन के समय ही एक सेमेस्टर का पूरा पैसा 4200 जमा कराना पड़ता है। ये केवल रहने का चार्ज है। इसमें किसी तरह का कोई खाना,नाश्ता शामिल नहीं। अभी बहुत से रूम खाली हैं क्योंकि बरसात में छत से पानी टपकता है। कुछ छत इतनी खतरनाक है। कि पढते समय अचानक से कुछ हिस्सा टूटकर गिर जाता है। जो कमरा बरसात में टपकती है उसमें कोई नही रहता है। इसकी दीवार आदि सब ठीक है। छत की मरम्मत होने से विद्यार्थियों को यहाँ कमरा मिल सकता है।

पहले दिन और रात दोनों समय के लिए प्रहरी होते थे। अब दिन प्रहरी नही है।केवल रात में गार्ड है। दिन प्रहरी की मृत्यु के बाद उनके जगह कोई नही आया। इस हॉस्टल परिसर में कोई प्राथमिक चिकित्सा केन्द्र नहीं है। रात में जब किसी की तबियत खराब हो जाती है तो छात्रों को बहुत परेशानी होती है। सभी विद्यार्थी बाहर के हैं उनके पास बाइक,स्कूटी भी नही है की रात में तुरंत हॉस्पिटल ले जाएँ।

यहां 70 के करीब छात्र हैं। तो उनके स्वास्थ्य की देखभाल के लिए दवाईयां, इजेक्शन, पट्टी वगैरह उपलब्ध होना चाहिए। 2018 से कॉलेज का मेस बंद हो गया है। छात्र अपना खाना खुद अपने कमरे में बनाते हैं। दो टाइम खाना बनाने, बर्तन धोने, समान जुटाने में ही पढने का समय बर्बाद हो जाता है। 2018 में जब मेस चल रहा था तो एक छात्र से चार हजार(4000) मांग किया जा रहा था। यहाँ हर पृष्ठभूमि के विद्यार्थी है। एक महीना केवल खाने पर चार हजार बहुत ज्यादा है। अगर कम पैसे पर मेस चलता तो हमलोग को पढने के लिए बहुत समय बचता। गांव के बच्चों के लिए 4000 बहुत ज्यादा है। कुछ आदिवासी बच्चा है। उनके लिए भी यह ज्यादा है। छात्र विवश होकर घर से चावल, दाल,आटा लेकर आते हैं और कमरा में बनाते है। बहुत से संत कोलम्बा हॉस्टल के पुराने छात्र यहाँ आते रहते हैं।

कॉलेज में जरूरी साधनों और संसाधनों का अभाव

कॉलेज की स्थिति वर्तमान में अत्यंत दयनीय हो गई है। भवन जर्जर हैं और आवश्यक संसाधनों की भारी कमी है। लैबोरेट्री और आधुनिक शिक्षण सुविधाएँ पूरी तरह से अनुपलब्ध हैं। बढ़ती संख्या के बावजूद छात्रों के लिए बुनियादी सुविधाएँ नहीं हैं। शिक्षा का स्तर गिर रहा है, जिससे विद्यार्थियों को परेशानी हो रही है। अध्ययन सामग्री और डिजिटल संसाधनों की भी भारी कमी है। शिक्षकों की संख्या कम है, जिससे शिक्षण प्रक्रिया बाधित होती है।

हॉस्टल के विद्यार्थियों के सामने कई चुनौतियां

छात्रों को अपनी पढ़ाई सुचारू रूप से जारी रखने में कठिनाई हो रही है। लैब न होने से विज्ञान के विद्यार्थियों को व्यावहारिक ज्ञान नहीं मिल रहा। पुस्तकालय में नई पुस्तकों और डिजिटल संसाधनों का अभाव है।

शिक्षा के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा पूरी तरह से जर्जर हो चुका है। छात्रों को आधुनिक शिक्षा प्रणाली के अनुरूप सुविधाएँ नहीं मिल रही हैं। नौकरी व रोजगार के अवसरों की कमी उनके भविष्य पर असर डाल रही है। अन्य सह-पाठयक्रम गतिविधियों के लिए भी सुविधाएँ नहीं हैं। बताया गया कि एक पुराने छात्र जो किसी बडे़ पद पर थे खंडहर में बदलते हॉस्पिटल को देखकर चिंतित हुए। उन्होंने बताया कि पहले खाना पर सब्सिडी मिलता है, कोई खनन संस्थान मेस का आधा खर्च पर अनुदान देता था। परन्तु अब तो यहाँ मेस ही बंद है। न किसी तरह का कोई अनुदान नही मिलता है।

इनकी भी सुनिए

125 वर्षों से ऊपर का भवन हैं। मेंटेनेंस जरूरी है। बाहर से कोई आर्थिक सपोर्ट नहीं मिलता है इस कारण दिक्कत होती है। केवल विद्यार्थियों के फीस से इसका मेंटेनेंस करना मुश्किल है। फिर जरूरत के हिसाब से काम करवाया जाता है। वैसे डीसी और पूर्व सांसद से भी इस सबंध में सुधार के लिए निवेदन किया गया है। फिलहाल इस मामले को लेकर अन्य अधिकारियों को भी अवगत करा दिया गया है।

-राजकुमार चौबे, पूर्व विभागाध्यक्ष संत कोलंबा कॉलेज

संत कोलम्बा 125 साल पुराना कॉलेज है । दो - दो चीफ मिनिस्टर यहां के विद्यार्थी बने हैं। इनमें केबी सहाय बिहार के और ओड़िशा के आएल सिंह देव। इस कॉलेज की स्थिति बदहाल है। रूम की दिक्कत है। प्रैक्टिकल नहीं होता है। यहां भवन का भारी अभाव है। अनुशासन का अभाव है। ट्यूटोरियल क्लास नहीं है। हॉस्टल को नए सिरे से बनाने की जरूरत है। इससे यहां का गौरव बरकरार रहे और यहां पढ़नेवाले छात्रों को बेहतर माहौल मिल सके।

-प्रो केपी शर्मा, पूर्व प्रभारी प्राचार्य

हॉस्टल में कोई भी काम के लिए छात्र चंदा मिलाकर ही करते है। जब चंदा ही मिलाना है तो एडमिशन के लिए जो पैसा देते हैं उसको भी हमलोग को ही मैनेज करने दिया जाए। -सचिन जायसवाल

कुकि साल पहले दिन में गार्ड की व्यवस्था थी। उनके स्थान पर अब तक किसी को रखा नही गया है। दोपहर में सब कक्षा के लिए निकल जाते हैं उस समय हॉस्टल खाली हो जाता है। -रवि रजक

आज के समय में बिना मेस का शायद ही कोई हॉस्टल होता है। मेस का कमरा बना है, डायनिंग हॉल तक है। फिर से मेस चालु हो जाए तो हमलोग को बहुत समय पढने के लिए मिलेगा। -शिव कुमार महतो

लाइट कटने के हॉस्टल अंधेरे में डूब जाता है। यहाँ सोलर बिजली का उत्पादन भी होता है। कम से कम तीन चार स्ट्रीट लाइट भी अगर जलती तो अंधेरे में आने जाने से राहत मिलती। -दीपक महतो

कई बार कैंपस में जहरीला सांप तक निकल चुका है। झाडी़ और घास का न तो नियमित कटाई होती है और न सफाई। गर्मी और बरसात में हमलोग सांप काटने का संख्या बढ जाता है। -रजनीकांत सिन्हा

आज के समय में हमलोग को हॉस्टल के तरफ से किसी तरह का कोई वाईफाई उपलब्ध नहीं है। कोई लड़का अगर प्राइवेट कनेक्शन लिया भी है तो खुद उसका बिल देता है। -मुकेश उरांव

बरसात में छत से पानी टपकता है। कई बार हॉस्टल सुपरीटेन्डेन्ट और प्रिंसिपल सर को कह चुके हैं पर कोई सुधार नहीं हुआ। इस कारण बहुत से रूम खाली भी है। -रंजन राम

मेस नहीं चलने से हमलोग एक रूम में रहते हैं। उसी में खाना बनाते है। छोटा कमरा होने के कारण पढाई और रसोई का सामान रखने में भी समस्या होता है। पढने आए हैं न की खाना बनाने। -अरविन्द मुंडा

मेस 2018 से बंद हो गया है। उस समय मेस के लिए चार हजार एक लड़का के लिए मांगा जा रहा था। गरीब परिवार के बच्चें भी रहते हैं। उन बच्चों के लिए चार हजार बहुत ज्यादा है। -आकाश ठाकुर

इतने बडे़ हॉस्टल और कॉलेज में एक भी हेल्थ सेंटर नहीं है। रात में किसी लड़का का अचानक तबियत खराब होने पर बहुत परेशानी होता है। इस कैंपस में कहीं भी एक हेल्थ सेंटर होना चाहिए। -हर्ष मिश्रा

हॉस्टल का नियमित सफाई नहीं होती है। न नगर निगम के कर्मी अंदर आते हैं। कमरा आबंटित करते समय भी पोचाड़ा करके नहीं दिया जाता है। रूम अंदर से अंधेरा लगता है। -सूरज यादव

पाइप लीकेज,नल टूटने पर भी हमलोग खुद बनाते है। शिकायत करने पर भी कोई समाधान नही होता। किसी तरह हॉस्टल चल रहा है। पुराने छात्र यहां का दुर्दशा देखकर रो पड़ते हैं। -राहुल महतो

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