बोले हजारीबाग : रामनवमी को राज्योत्सव का दर्जा दे सरकार
रामनवमी हजारीबाग की आत्मा में रची-बसी है। इसकी तैयारी भी व्यापक होती है। लेकिन इस त्योहार को जो सम्मान मिलना चाहिए था , वहीं नहीं मिला। आयोजन के दौर

हजारीबाग। हजारीबाग की रामनवमी धीरे धीरे बड़ा रूप ले रही है। प्रशासन को इस आयोजन को संपन्न कराने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है। रामनवमी को राम उत्सव की तरह शांति, भक्ति और सांस्कृतिक समरसता के रूप में मनाया जाना चाहिए, न कि युद्ध और शक्ति-प्रदर्शन की तरह। यह बातें मंगलवार को बोले हजारीबाग कार्यक्रम में स्थानीय लोगों और रामनवमी कमेटी के लोगों ने कही। लोगों ने कहा कि यह न केवल धार्मिक पर्व है, बल्कि एक ऐसी सांस्कृतिक विरासत है। रामनवमी मर्यादा, धर्म, सेवा, त्याग और सत्य के आदर्शों का प्रतीक मानी जाती है। परंतु बदलते समय के साथ इस पर्व के स्वरूप में भी कई तरह के बदलाव नजर आ रहे हैं और यह बदलाव विशेष रूप से हजारीबाग जैसे संवेदनशील शहरों में चिंताजनक स्थिति उत्पन्न कर रहे हैं। हजारीबाग की रामनवमी वर्षों से झारखंड की सबसे चर्चित रामनवमियों में गिनी जाती है। यहां की शोभायात्राएं, अखाड़े, ढोल नगाड़े, भगवा झंडे और हथियारों के प्रदर्शन की भव्यता पूरे राज्य में प्रसिद्ध है। लेकिन विडंबना यह है कि इस उत्सव की आड़ में शक्ति प्रदर्शन और आक्रोश की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। भक्ति के बजाय प्रदर्शन की भावना हावी होती जा रही है, जिससे रामनवमी अपने मूल स्वरूप से भटकती नजर आती है।
हर वर्ष हजारीबाग की रामनवमी में युवाओं की भागीदारी बड़े स्तर पर होती है। दर्जनों अखाड़ों के हजारों युवा तलवार, लाठी और अन्य हथियारों के साथ सड़कों पर उतरते हैं। पूरे शहर में ढोल नगाड़ों की आवाज, उग्र नारों की गूंज और तलवारों की चमक एक रणभूमि जैसा वातावरण बना देती है। इसका प्रभाव शहर की शांति, कानून व्यवस्था और आम जनजीवन पर सीधा पड़ता है। प्रशासन को हर साल भारी पुलिस बल तैनात करना पड़ता है, इंटरनेट सेवाएं बंद करनी पड़ती हैं और कई बार छोटी-छोटी बातों को लेकर तनाव और झड़प की स्थिति भी बन जाती है। ऐसे में सवाल उठना स्वाभाविक है कि क्या वास्तव में भगवान राम का जन्मोत्सव इस प्रकार की शक्ति प्रदर्शन की होड़ के लिए है। क्या राम के जीवन आदर्श और शिक्षाएं हमें यही संदेश देती हैं। जब हम राम के नाम पर कोई उत्सव मनाते हैं तो उसमें इन मूल्यों की झलक दिखनी चाहिए। लेकिन जब रामनवमी के नाम पर तलवारें लहराई जाती हैं, उकसाने वाले नारे लगाए जाते हैं और दूसरे धर्म या समुदाय के खिलाफ घृणा फैलाई जाती है, तब यह भगवान राम के आदर्शों का सीधा-सीधा अपमान है।
लोगों ने कहा कि यह पर्व हमारी आस्था का प्रतीक है, न कि हमारे आक्रोश या शक्ति प्रदर्शन का अवसर। हजारीबाग को चाहिए कि वह इस पर्व को राम उत्सव के रूप में मनाने की परंपरा शुरू करे। ऐसा उत्सव जो समाज को जोड़ने का काम करे न कि तोड़ने का। रामनवमी का स्वरूप ऐसा हो जिसमें सभी धर्म, जाति और समुदाय के लोग सहभागी बन सकें। रामनवमी के आयोजन में भक्ति संगीत, रामलीला, कवि सम्मेलन, पौधरोपण, रामकथा पाठ, भजन संध्या, कीर्तन और सामाजिक सेवा के कार्यक्रम रखे जाएं। युवाओं को वाल्मीकि रामायण या तुलसीदास की रामचरितमानस से प्रेरित कथाओं का मंचन करने के लिए प्रेरित किया जाए।
हथियारों के प्रदर्शन के बजाय अगर राम के जीवन से प्रेरणा देने वाले प्रसंगों की नाट्य प्रस्तुति हो तो उसका प्रभाव अधिक सकारात्मक और स्थायी होगा।हजारीबाग की रामनवमी को ऐसा सामूहिक उत्सव बनाया जा सकता है जिसमें हर व्यक्ति की भागीदारी हो, न कि किसी एक समुदाय या संगठन की।
अगर रामनवमी को हम उत्सव की तरह मनाएंगे तो आने वाली पीढ़ियों को एक सकारात्मक संदेश मिलेगा। प्रस्तुति: प्रसन्न और अनुज
रामनवमी पर देना चाहिए सामाजिक समरसता और भक्ति भाव को बढ़ावा
रामनवमी भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाने वाला पर्व है, जो धर्म, शांति, मर्यादा और सेवा भाव का संदेश देता है। यह पर्व हमारी सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सामाजिक समरसता और भक्ति भाव को बढ़ावा देना है। राम के आदर्शों में संयम, करुणा और न्याय प्रमुख थे। ऐसे में रामनवमी का स्वरूप भी शांति और सौहार्द्र का होना चाहिए। शक्ति प्रदर्शन की जगह समाज को प्रेम का संदेश देना ही सच्ची रामभक्ति होगी।
शक्ति का प्रदर्शन भगवान राम के आदर्शों से बिल्कुल विपरित है
हजारीबाग की रामनवमी राज्य की सबसे चर्चित रामनवमियों में गिनी जाती है। यहां शोभायात्रा में भारी संख्या में युवक हथियारों के साथ शामिल होते हैं। कई बार माहौल उत्तेजित हो जाता है। प्रशासन को सुरक्षा व्यवस्था कड़ी करनी पड़ती है, इंटरनेट सेवा बंद करनी पड़ती है और कई बार सांप्रदायिक तनाव की स्थिति भी बन जाती है। यह परंपरा धीरे-धीरे उत्सव की जगह शक्ति प्रदर्शन में बदल रही है, जो भगवान राम के मूल्यों और आदर्शों से बिल्कुल विपरीत है।
राम उत्सव के रूप में मने रामनवमी रामलीला मंचन को मिले बढ़ावा
समाज को चाहिए कि रामनवमी को “राम उत्सव” के रूप में मनाएं, जिसमें भक्ति, शांति और संस्कृति का समावेश हो। मंदिरों में भजन-कीर्तन, रामकथा पाठ, सांस्कृतिक कार्यक्रम और रामलीला मंचन को बढ़ावा दिया जाए। हथियारों के प्रदर्शन को बढ़ावा न देकर कौशल को बढ़ावा दिया जाए। पौधरोपण, सामूहिक भंडारा, स्वच्छता अभियान और सेवा कार्यों को प्राथमिकता दी जाए। युवा पीढ़ी भगवान राम के आदर्शों को अपनाएं।
पर्व की गरिमा बनाए रखें
रामनवमी की मर्यादा बनाए रखने की जिम्मेदारी प्रशासन और समाज दोनों की है। प्रशासन को चाहिए कि वह पूर्व योजना के तहत सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बढ़ावा दे, हथियार प्रदर्शन पर रोक लगाए और सोशल मीडिया पर निगरानी रखे। वहीं समाज के बुद्धिजीवियों, शिक्षकों और धार्मिक नेताओं को युवाओं को समझाना चाहिए कि राम के आदर्शों को आत्मसात करना ही सच्ची भक्ति है। राम उत्सव समिति का गठन कर सभी धर्मों और वर्गों को जोड़ने की जरूरत है। स्कूल-कॉलेजों में प्रतियोगिताएं कराना और सामूहिक प्रसाद वितरण की परंपरा शुरू करना आवश्यक है।
रामनवमी को भगवान राम की भक्ति, आदर्शों को याद करने का अवसर है। इस दिन हमें समाज में भाईचारे का संदेश देना चाहिए। त्योहारों को शक्ति प्रदर्शन नहीं, संस्कृति के प्रचार का माध्यम बनाना चाहिए। -डॉ मंसूर आलम
रामनवमी झारखंड में काफी प्रसिद्ध है, लेकिन इसके साथ उग्रता और हथियार प्रदर्शन की प्रवृत्ति बढ़ गई है। यह परंपरा राम के आदर्शों के विपरीत है। हमें इसे भक्ति, एकता का पर्व बनाना चाहिए। -सुंदरम श्याम
रामनवमी के आयोजन को नियंत्रित और सुरक्षित ढंग से संपन्न कराने के लिए सख्त नियम बनाना चाहिए। हथियारों के प्रदर्शन पर रोक लगाकर सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बढ़ावा देना जरूरी है। -प्रकाश पाठक
रामनवमी के अवसर पर समाज के सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए। राम के आदर्श सबके लिए हैं, इसलिए त्योहार सबका हो। इससे आपसी समझ को मजबूती मिलेगी। -गुड्डू गुप्ता
स्कूलों और कॉलेजों को रामनवमी के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल करना चाहिए। इससे युवाओं को राम के आदर्शों से सीख मिलेगी। यह समाज निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। -संदीप कुमार
स्कूलों और कॉलेजों को रामनवमी के सांस्कृतिक कार्यक्रमों में शामिल करना चाहिए। इससे युवाओं को राम के आदर्शों से सीख मिलेगी। यह समाज निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हो सकता है। -संदीप कुमार
प्रशासन को सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट और गलत सूचना पर नजर रखनी चाहिए। इसके लिए अभियान चलाकर लोगों को जिम्मेदार सोशल मीडिया उपयोग की सीख दी जानी चाहिए। -उज्ज्वल सक्सेना
रामनवमी के दिन सामूहिक भंडारा, पौधारोपण, स्वच्छता अभियान और जरुरतमंदों की सहायता जैसे आयोजन किया जाना चाहिए। इससे त्योहार का महत्व और जिम्मेदारी दोनों साथ-साथ बढ़ेगी। -मनोज गुप्ता
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