बोले हजारीबाग :बहुत मच्छर काटता है, फॉगिंग व सफाई करवाइए
हजारीबाग में साफ-सफाई की कमी और फॉगिंग न होने के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है। लोग मच्छर जनित बीमारियों का शिकार हो रहे हैं। नगर निगम सफाई में लापरवाह है और नियमित फॉगिंग नहीं कर रहा। मच्छरों के...
हजारीबाग शहर में साफ-सफाई की कमी और फॉगिंग नहीं होने के कारण मच्छरों का प्रकोप बढ़ रहा है। यहां के हालत ऐसे हैं कि यहां 24 घंटे मच्छर काटते रहते हैं। इससे कई लोग मच्छरजनित बीमारी के शिकार हो रहे हैं। वहीं नगर निगम तो होल्डिंग टैक्स वसूलता है, लेकिन इस दिशा में कोई विशेष प्रयास नहीं करता है। यहां न नालियों की नियमित सफाई होती है और न ही फॉगिंग की जाती है। इससे मच्छरों का आतंक बढ़ जाता है। बोले हजारीबाग कार्यक्रम के तहत लोगों ने मच्छरों की समस्या को लेकर अपने-अपने विचार रखे। हजारीबाग। गर्मी आते ही शाम को घर हो या दफ्तर, हर जगह मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है। गर्म कपड़े-जूते उतारने के बाद इन मच्छरों का डंक लोग महसूस करने लगते हैं। हजारीबाग, जो ठंडक के कारण कभी बिहार का शिमला कहा जाता था, आजकल शाम होते ही मच्छरों के सामूहिक संगीत के लिए जाना जाता है।
ठंड के मौसम या प्रदेशों में मच्छर कम पाये जाते हैं, परन्तु अब वैसी ठंडक रही नहीं और गर्मी की शुरुआत से ही लोग मच्छरों की समस्या से परेशान हैं। पिछले दो दशक में हजारीबाग में तेजी से शहरीकरण हुआ है। लोगों के जीवन स्तर में सुधार होने से कच्चे घरों की जगह पक्के घर बने और फर्श में चमचमाती टाइल्स नजर आने लगी, फिर भी कोई भी घर मच्छरों के उत्पात से बचा नहीं। हजारीबाग का ओकनी, शिवपुरी, न्यू कॉलोनी, लाखे, रामनगर, बॉडम बाजार, जबरा, आनंदपुरी, कृष्णापुरी मुहल्ला, फ्रेंड्स कॉलोनी में रहने वाले लोगों का मच्छरों के कारण जीना मुहाल है। शाम होते ही इन मुहल्लों के लोग दरवाजा बंद कर घरों में कैद होने के लिए विवश हैं। दरवाजा खुला रहने का मतलब है कि मच्छरों का झुंड घर में दस्तक दे चुका है। वहीं मच्छरों के कारण पैंट, हाफ शर्ट, स्कर्ट, स्लीवलेस पहनकर आप इस गर्मी में नहीं रह सकते हैं। हर समय मच्छर काटने का डर सताता रहता है। शाम में कहीं खड़े होकर ठीक से बात नहीं कर सकते हैं। हर समय हाथ-पैर हिलते रहते हैं।
हजारीबाग के जिस मुहल्ले में कोई नया/पुराना तालाब हो, जल निकासी का ठीक इंतजाम नहीं हो, बजबजाती नालियां हो, नालियां ढंकी न हो, कूड़ा का नियमित उठाव न हो, नालियों की सफाई साल भर में भी न होती हो, वह सब मच्छरों की पसंदीदा जगह है। अगर इस पैमाने पर परखें तो सारा हजारीबाग शामिल हो जाएगा। हर वार्ड, मोहल्ला ऊपर की किसी न किसी समस्या से ग्रसित है। नगरपालिका से नगर निगम बनने के बाद स्थानीय निकाय का क्षेत्र भी बढ़ा तो आय का साधन भी, परंतु निगम ने शायद ही किसी समस्या का स्थायी हल निकाला हो। सब शिकायत और सुझाव की मुद्रा में चल रहा है। गर्मी आते ही हर वार्ड का नियमित रूप से फॉगिंग होना चाहिए। अप्रैल का पहला सप्ताह बीत चुका है, तापमान चालीस डिग्री पार करने के करीब है, परन्तु अभी तक एक बार भी फॉगिंग करने वाला नहीं आया है।
लोगों का कहना है शिकायत के बाद पता चलता है कि अभी तक ऊपर से आदेश नहीं हुआ है। जब प्रशासन तकनीक का इतना प्रयोग कर रहा है तो फॉगिंग वाली गाड़ी पर जीपीएस लगा दे ताकि हर कोई उसके लोकेशन को ट्रैक कर सके। कब, किस दिन, किस मोहल्ले में, कितनी देर तक फॉगिंग हुई यह भी करदाता को पता चलना चाहिए। जिनके घरों में छोटे बच्चे और बीमार बुजुर्ग रहते हैं, उनकी यहां परेशानी और बढ़ जाती है। अगर दो-तीन दिन लगातार बुखार रहता है तो डॉक्टर मलेरिया टेस्ट के लिए लिख देते हैं। जांच कराने पर बहुत से लोग पॉजिटिव पाए जाते हैं। हजारीबाग के कोर्रा, मटवारी, देवांगना, जबरा, सिन्दूर में हजारों छात्र-छात्रा लॉज में किराया पर रहकर पढ़ते हैं, पर हर समय तो मच्छरदानी में कैद नहीं रह सकते। रात में सोते समय मच्छरदानी लगाते हैं, पर शाम-दोपहर कभी भी मलेरिया का मच्छर काट लेता है। इनका कीमती समय और पैसा बीमारी का इलाज कराने में चला जाता है। वहीं निगम टैक्स वसूली में जितनी तत्परता दिखाता है, देर होने से दंड भी वसूलता है उतनी तत्परता सफाई और फॉगिंग में दिखाता तो शायद ही कोई शिकायत करता। प्रस्तुति : गौतम
घर के अंदर और बाहर दोनों जगहों पर मच्छरों का आतंक जारी
गर्मी शुरू होते ही हजारीबाग के अधिकांश मोहल्लों में मच्छरों की समस्या विकराल हो गई है। ओकनी, शिवपुरी, न्यू कॉलोनी, रामनगर, जबरा, आनंदपुरी जैसे इलाके मच्छरों से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। शाम होते ही लोग घरों में कैद हो जाते हैं। खुले दरवाजे या खिड़कियों से मच्छरों का झुंड घरों में घुस जाता है। लोग हाफ पैंट या बिना बाजू के कपड़े पहनकर नहीं रह सकते। मच्छरों का इतना आतंक है कि घर हो या बाहर, हर जगह लोग परेशान हैं।
फॉगिंग गाड़ी पर जीपीएस सिस्टम लगाई जाए और मॉनिटरिंग कड़ी हो
नगर निगम हजारीबाग की सबसे बड़ी विफलता मच्छर नियंत्रण में है। गर्मी के मौसम में नियमित फॉगिंग होनी चाहिए थी, लेकिन अप्रैल का पहला सप्ताह बीत जाने के बाद भी फॉगिंग नहीं हुई। लोगों का कहना है कि शिकायत करने पर जवाब मिलता है कि ऊपर से आदेश नहीं है। फॉगिंग गाड़ी कब आती है, कहां जाती है — इसकी कोई सूचना नहीं रहती। तकनीक के इस दौर में फॉगिंग गाड़ी पर जीपीएस सिस्टम लगाकर पारदर्शिता लाई जा सकती है।
मच्छरों के काटने से होने वाली बीमारी को लेकर लोग सशंकित
मच्छरों की अधिकता के कारण हजारीबाग के कई इलाकों में मलेरिया, डेंगू और अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ गया है। खासकर कोर्रा, मटवारी, देवांगना, सिन्दूर जैसे इलाकों में रहने वाले हजारों छात्र-छात्राएं मच्छरों के कारण बीमार हो रहे हैं। रात में मच्छरदानी लगाकर सोने के बावजूद दिन या शाम में मच्छरों से बचना मुश्किल हो जाता है। मलेरिया टेस्ट कराने पर कई छात्र पॉजिटिव पाए जाते हैं।
नालियां जाम हैं, दुर्गंध आती है
नगर निगम का काम सिर्फ टैक्स वसूलना ही नहीं, बल्कि नागरिक सुविधाएं देना भी है। हजारीबाग में जल निकासी की व्यवस्था खराब है, नालियां जाम हैं, कूड़ा-कचरा का समय पर उठाव नहीं होता और फॉगिंग न के बराबर है। ऐसी लापरवाही से मच्छरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। नगर निगम के पास संसाधन और बजट दोनों हैं, पर इच्छाशक्ति की कमी है। अगर सफाई और फॉगिंग पर नियमित ध्यान दिया जाए तो मच्छरों की समस्या पर काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है। जनता की सबसे बड़ी मांग है- हर वार्ड में नियमित फॉगिंग हो।
लोगों ने कहा - नालियों की हो नियमित सफाई
मच्छरों की समस्या केवल बरसात के समय की नहीं है। हजारीबाग नगर निगम को चाहिए कि सालभर नियमित रूप से वार्डवार फॉगिंग कराता रहे ताकि मच्छर जनित बीमारियों से बचा जा सके। -नीरज मेहता
नगर निगम की सबसे बड़ी लापरवाही यह है कि कूड़ा-कचरा का दैनिक उठाव नहीं हो रहा है। हर गली, मोहल्ले और सड़कों पर कचरे का ढेर जमा रहता है। इससे मच्छर और दुर्गंध की समस्या बढ़ती है। -सुशील कुमार
नगर निगम में कर्मचारियों की भारी कमी है। टैक्स वसूली के लिए कर्मचारी घर-घर पहुंचते हैं, लेकिन सफाई और अन्य जरूरी कामों के लिए कर्मचारी नहीं मिलते। इससे नागरिकों में नाराजगी है। -राजू कुमार
नगर निगम को फेसबुक, ट्विटर जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सक्रिय रहना चाहिए। इससे लोग तुरंत अपनी शिकायत दर्ज कर सकते हैं और निगम के कार्यों की पारदर्शिता बनी रहेगी। -सोनू कुमार
नगर की सफाई केवल नगर निगम की जिम्मेदारी नहीं है। नागरिकों को भी अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए। खाली प्लॉट या सड़कों पर कचरा नहीं फेंकना चाहिए। नागरिक स्वच्छता में योगदान दे। -बुधन
हजारीबाग में भवन निर्माण से पहले नगर निगम से मान्यता प्राप्त नक्शा पास कराना चाहिए। निर्माण कार्य निगम के तय मानकों के अनुसार ही हो ताकि भविष्य में कोई विवाद या कार्रवाई न हो। -अख्तर अली
हजारीबाग अनियोजित विकास का शिकार हो रहा है। बिना किसी योजना और जरूरत के बेतरतीब ढंग से फैलते शहर की वजह से नागरिकों की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। -रंजीत कुमार सिंह छोटू
सफाईकर्मी गली-मोहल्ले की सफाई करके चले जाते हैं, लेकिन डीडीटी या अन्य दवा का छिड़काव नहीं होता। यह भी आवश्यक है ताकि मच्छर और कीड़े न पनपें। छिड़काव अनिवार्य रूप से होना चाहिए। -रणजीत सिंह
नालियों का निर्माण न तो ढाल के अनुरूप हो रहा है और न ही गुणवत्ता का ध्यान रखा जा रहा है। अधिकांश नए निर्माण भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जाते हैं। नालियों में गंदगी जमा रहती है। -राजा
सफाईकर्मियों का बार-बार नंबर बदलना या नौकरी छोड़ देना आम बात हो गई है। ऐसी स्थिति में एक स्थायी शिकायत निवारण केंद्र की जरूरत है। लोगों के लिए स्थायी हेल्पलाइन नंबर जारी हो। -राजेश खंडेलवाल
चुनाव में सफाई, पानी, सड़क जैसी बुनियादी समस्याओं को मुद्दा बनाना जरूरी है। वार्ड में सफाई नहीं होती है तो वहां टैक्स में छूट दी जानी चाहिए। काम के आधार पर ही बिल वसूली का नियम होना चाहिए। -शादाब अली
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