बोले हजारीबाग: महापुरुषों की मूर्तियों की साफ-सफाई करा दीजिए
हजारीबाग के स्वर्ण जयंती पार्क, इंद्रपुरी चौक और झील परिसर में महापुरुषों की मूर्तियां जर्जर और उपेक्षित हैं। इन मूर्तियों की देखभाल नहीं हो रही है, जिससे उनकी स्थिति बिगड़ती जा रही है। स्थानीय...

हजारीबाग। शहर के स्वर्ण जयंती पार्क, इंद्रपुरी चौक और झील परिसर में स्थापित महापुरुषों की प्रतिमाएं जर्जर और उपेक्षित हैं। इन मूर्तियों का न केवल रंगरोगन खराब हो गया है, बल्कि उनमें दरारें भी आ चुकी हैं। इसके उलट न्यू समाहरणालय परिसर में स्थापित महात्मा गांधी की प्रतिमा की नियमित सफाई और देखरेख एक अनुकरणीय उदाहरण पेश करती है। हजारीबाग की जनता ने हिन्दुस्तान की ओर से आयोजित कार्यक्रम बोले हजारीबाग के माध्यम से महापुरुषों की प्रतिमाओं की साफ-सफाई कराने का अनुरोध जिला प्रशासन से किया है। महापुरुषों और स्वतंत्रता सेनानियों का हमलोग जाने अंजाने अपमान कर रहे हैं। चाहे जेपी केंद्रीय कारा या जिला स्कूल में स्वतंत्रता सेनानियों का शिलालेख हो या स्वर्ण जयंती पार्क में महापुरुषों की प्रतिमाएं, सभी रखरखाव में बरती जा रही भारी उपेक्षा की गवाही दे रही है। स्वर्ण जयंती पार्क के भीतर स्थापित सुभाष चंद्र बोस, महात्मा गांधी, और सरदार पटेल की मूर्तियां पूरी तरह बदरंग हो गई हैं। कुम्हारटोली की बापू बाटिका की भी कमोवेश यही हालत है। संवेदनशील रखरखाव ने इन प्रतिमाओं की गरिमा को नष्ट कर दिया है। टिकट से हर महीने लाखों की कमाई करने वाले ठेकेदारों द्वारा भी इस दिशा में कोई पहल नहीं की जाती। हर दिन आने जाने वाले लोग लोग और सैलानी मन मे पीड़ा लेकर जाते हैं।
कैफेटेरिया परिसर में स्थापित कई महापुरुषों की प्रतिमाएं अब अपनी पहचान खोती जा रही हैं। ज्यादातर मूर्तियों पर रंग उड़ चुका है और किसी-किसी प्रतिमा का चेहरा पहचानना भी मुश्किल हो गया है। पार्क के रखरखाव के नाम पर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है। सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि नगर निगम और स्थानीय प्रशासन इस ओर ध्यान क्यों नहीं दे रहा है।
साथ ही, आम नागरिकों की भी जिम्मेदारी बनती है कि वे सार्वजनिक स्थलों पर स्वच्छता बनाए रखें। महापुरुषों की प्रतिमाएं केवल शिल्प नहीं हैं, वे हमारी चेतना के प्रतीक हैं। उनकी उपेक्षा का अर्थ है अपने गौरवमयी अतीत का अपमान करना।
स्वर्ण जयंती पार्क, हजारीबाग नगर निगम के अधीन संचालित एक महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थल है, जहां महापुरुषों की अनेक प्रतिमाएं स्थापित हैं। पार्क के अंदर स्थित कैफेटेरिया भी आकर्षण का एक बड़ा केंद्र है। यह कैफेटेरिया पार्क प्रबंधन द्वारा निजी ठेकेदार को संचालन के लिए सौंपा गया है, जिससे नगर निगम को हर महीने लाखों रुपये का राजस्व प्राप्त होता है। पार्क में प्रवेश के लिए 20 रुपये प्रति व्यक्ति टिकट प्रणाली लागू है, और टिकट से भी नियमित आय होती है। लेकिन दुखद तथ्य यह है कि इस आय के बावजूद पार्क की मूल संरचना और महापुरुषों की प्रतिमाओं के रखरखाव पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कैफेटेरिया के अंदर और आस-पास की स्थिति बेहद अव्यवस्थित है।
पिछले दिनों सीपीएम जिला कमेटी की बैठक में इस मुद्दे पर विशेष चिंता व्यक्त की गई थी। बैठक में यह कहा गया कि जब कैफेटेरिया और पार्क से हर माह इतनी बड़ी आमदनी हो रही है, तो फिर महापुरुषों की प्रतिमाओं की दुर्दशा और पार्क की अव्यवस्था कतई स्वीकार्य नहीं है। प्रतिमाओं पर जमी धूल, टूटी हुई शिलालेख पट्टिकाएं और उपेक्षित उद्यान क्षेत्र नगर निगम की उदासीनता को उजागर करते हैं।
बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया था कि नगर आयुक्त को एक मांग पत्र सौंपा जाएगा, जिसमें महापुरुषों की प्रतिमाओं की समुचित मरम्मत, नियमित साफ-सफाई तथा पार्क व कैफेटेरिया की व्यवस्था में तत्काल सुधार की मांग की जाएगी। और ऐसा किया गया। पर नतीजा सिफर रहा। इंद्रपुरी चौक स्थित लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा अब उपेक्षा का प्रतीक बन गई है। प्रतिमा के चारों ओर गंदगी का अंबार लगा रहता है। न तो नगर निगम ने सफाई के लिए कोई स्थायी व्यवस्था की है और न ही स्थानीय प्रशासन ने प्रतिमा की मरम्मत के लिए कदम उठाया है।
झील के किनारे महात्मा गांधी की प्रतिमा में स्पष्ट दरारें नजर आने लगी हैं। एक समय था जब लोग झील किनारे गांधी जी के सामने बैठकर शांति और प्रेरणा ग्रहण करते थे। दरकी हुई प्रतिमा उपेक्षा का गवाह है। यदि समय रहते मरम्मत नहीं कराई गई तो प्रतिमा को अपूरणीय क्षति पहुंच सकती है।
स्वतंत्रता सेनानियों के नाम का शिलालेख हुआ धूमिल
जेल परिसर में स्वतंत्रता सेनानियों के नाम का शिलालेख जेपी केंद्रीय कारा के उद्घाटन समारोह के दौरान लगाया गया था लेकिन अब इसकी स्थिति पूरी तरह से खराब हो चुकी है। इसे भी देखने वाला कोई नहीं है। नाम धूमिल हो चुका है। यही स्थिति जिला स्कूल के पास शिलालेख में स्वतंत्रता सेनानियों के नाम की है यहां भी ज्यादातर नाम मिट गए हैं। यहां रंग रोगन करने से स्थिति में सुधार अधिक हो सकता है। पर अभी ध्यान नहीं दिया गया है। इसके अलावा जिले में अन्य जगहों पर भी स्थापित महापुरुषों की प्रतिमा का कुल मिलाकर यही हाल है। देखरेख नहीं होने से जर्जर हो चुकी हैं।
इंद्रपुरी चौक पर सरदार पटेल की प्रतिमा की दुर्दशा
इंद्रपुरी चौक पर सरदार पटेल की प्रतिमा उपेक्षा की कहानी कहती है। आसपास गंदगी का ढेर लगा रहता है। कोई नियमित सफाई नहीं होती। प्रशासन की अनदेखी चिंता का विषय है। प्रतिमा के चारों ओर सौंदर्यीकरण जरूरी है। लौह पुरुष का सम्मान पुनः बहाल करना चाहिए। यह क्षेत्र देशभक्ति की प्रेरणा स्थली बन सकता है। लेकिन इसके लिए पहल जरूरी है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इन प्रतिमाओं का 15 अगस्त और 26 जनवरी जैसे महान दिनों में निगम और प्रशासन की ओर से कोई सफाई नहीं करायी जाती है। कई बार स्थानीय लोग इस मुद्दे को उठा चुके हैं, मगर आजतक कोई फायदा नहीं हुआ।
स्वर्ण जयंती पार्क भी बदहाल
स्वर्ण जयंती पार्क, जो कभी हजारीबाग की शान था, अब उपेक्षा का शिकार है। महापुरुषों की मूर्तियां बदरंग हो गई हैं। टिकट से लाखों कमाने वाले ठेकेदार मरम्मत की जिम्मेदारी नहीं उठाते। पार्क की गंदगी और अव्यवस्था शहर की छवि को नुकसान पहुंचा रही है। नागरिकों को भी पार्क की सफाई में भागीदार बनना चाहिए। मूर्तियों की मरम्मत और संरक्षण आज समय की मांग है। जागरुकता के बिना यह संभव नहीं। शहीद निर्मल महतो पार्क में जुरासिक पार्क की अनुकृति बनाई गई है। 40 फीट 30 फीट ऊंचे डायनासोर की अनुकृति है जो अब रखरखाव के अभाव में खराब दिखने लगी है।
झील परिसर में दरकती गांधी प्रतिमा
हजारीबाग झील में महात्मा गांधी की प्रतिमा दरक रही है। यह स्थिति अत्यंत शर्मनाक है। झील के सौंदर्यीकरण का दावा करने वालों ने गांधी प्रतिमा की सुध नहीं ली। अगर जल्द मरम्मत नहीं हुई तो गंभीर क्षति हो सकती है। गांधी जी के विचार और स्मृति को बचाना हमारा कर्तव्य है। समय पर मरम्मत और नियमित देखरेख अनिवार्य है। यह पर्यटन स्थल के सम्मान से भी जुड़ा सवाल है। यहां प्रतिदिन सैकड़ो सैलानी आते हैं लाखों का राजस्व की प्राप्ति होती है लेकिन रखरखाव के प्रति ध्यान ही नहीं दिया जा रहा है।
स्वर्ण जयंती पार्क और अन्य जगह महापुरुषों की प्रतिमाओं के रंग रोगन और रखरखाव के लिए पहल की जाएगी। इस दिशा में संबंधित ठेकेदार से बात की जाएगी जल्द ही मरम्मत के दिशा में उचित निर्णय ले लिया जाएगा। आगे से शहर के लोगों को इस मामले में कोई शिकायत का निगम की ओर से मौका नहीं मिलेगा।
-योगेंद्र प्रसाद, नगर आयुक्त, हजारीबाग
आप कभी भी स्वर्ण जयंती पार्क जाइये वहां महापुरुषों की प्रतिमाओं की दुर्गति देखकर मन मे कोफ्त हो जाएगा। इस मुद्दे को लेकर स्थानीय लोगों की ओर से जिला प्रशासन को ज्ञापन दिया गया है। इसके बाद भी आजतक इस ओर ध्यान नहीं देना बेहद ही अफसोसजनक बात है। इसकी जल्द सफाई होनी चाहिए।
- गणेश सीटू, जिला सचिव, सीपीएम
स्वर्ण जयंती पार्क कभी गर्व का प्रतीक था। आज महापुरुषों की बदरंग और जर्जर मूर्तियां देखकर दुख होता है। प्रशासन को चाहिए कि तुरंत मरम्मत और सौंदर्यीकरण कराए। -प्रेम कुमार
इंद्रपुरी चौक पर सरदार पटेल की प्रतिमा के पास गंदगी देखकर शर्म आती है। मूर्तियों का ऐसा हाल है। नगर निगम को हर सप्ताह सफाई और रंगाई की व्यवस्था करनी चाहिए। -निर्मल महतो
स्वर्ण जयंती पार्क से नगर निगम लाखों कमाता है, फिर भी पार्क की हालत बद से बदतर हो गई है। प्रतिमाओं की टूट-फूट देखकर बाहर से आए लोग भी गलत धारणा बना लेते हैं। -प्रदीप कुमार मेहता
झील परिसर की गांधी प्रतिमा में दरारें देखकर बहुत दुख होता है। बच्चों को जब गांधी जी के आदर्श बताते हैं तो ये दरार वाली मूर्ति हमारे शब्दों का असर कम कर देती हैं। -राजेश यादव
स्वर्ण जयंती पार्क और झील क्षेत्र हजारीबाग की पहचान हैं। लेकिन रखरखाव की कमी से अब ये पहचान फीकी पड़ रही है। प्रतिमाओं की मरम्मत और सफाई प्राथमिकता होनी चाहिए। -प्रयाग प्रसाद मेहता
कैफेटेरिया परिसर में महापुरुषों की प्रतिमाएं अपनी चमक खो चुकी हैं। यह लापरवाही दर्शाती है कि नगर निगम केवल पैसे वसूली में रुचि रखता है, सेवा और रख-रखाओं में नहीं। -भागीनाथ महतो
महापुरुषों की प्रतिमा को लेकर मैं चिंतित था। हिंदुस्तान अखबार के माध्यम और प्रयास से यदि महापुरुषों की प्रतिमाओं का सौंदर्यीकरण हो तो काफी अच्छी पहल होगी। -मेघनाथ मेहता
हजारीबाग जिले में स्थित शहीद निर्मल महतो पार्क का डायनासोर अब बदरंग हो गया है। लाखों की कमाई के बावजूद इसकी मरम्मत न होना प्रशासन की उदासीनता का प्रमाण है। -लखन साव
महापुरुषों की प्रतिमाओं का सम्मान करना हमारी जिम्मेदारी है। जेल के पास के शिलालेख को भी दुरुस्त करवाया जाए। अगर आज ध्यान नहीं दिया तो आने वाली पीढ़ियां हमें माफ नहीं करेंगी। -महेंद्र राम
हजारीबाग के झील के किनारे बैठना कभी आनंद देता था, अब गांधी जी की दरार पड़ी प्रतिमा देखकर मन उदास हो जाता है। हम चाहते हैं कि नगर निगम इसे जल्द ठीक करे।
-जय नारायण प्रसाद मेहता
महापुरुषों की प्रतिमाएं केवल शोभा की वस्तु नहीं हैं, वे हमारी प्रेरणा स्रोत हैं। यदि प्रशासन और नागरिक दोनों जिम्मेदारी निभाएं तो ये स्थल फिर से गौरवशाली बन सकते हैं। -शौकत अनवर
स्वर्ण जयंती पार्क से नियमित आय के बावजूद अगर प्रतिमाओं की मरम्मत नहीं होती, तो ये जनता के साथ धोखा है। हम प्रशासन से मांग करते हैं कि शीघ्र इस पर ठोस कार्रवाई हो। -अब्दुल मजीद अंसारी
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