ट्रक से कुचलकर हुई मौत में बाइक का इंश्योरेंस पेपर लगाया
20 अगस्त 2024 को टाटा-रांची हाईवे पर हुई एक सड़क दुर्घटना में आईआईटी कानपुर के छात्र आयुष कुमार तिवारी की मौत हो गई। जांच में पता चला कि ट्रक का बीमा फेल था और ट्रक मालिक ने बाइक का बीमा कागजात...

टाटा-रांची हाईवे (एनएच-33) पर 20 अगस्त 2024 को हुई सड़क दुर्घटना में आईआईटी कानपुर के छात्र आयुष कुमार तिवारी की मौत के मामले ने नया मोड़ ले लिया है। इस मामले में ट्रक का इंश्योरेंस फेल था। उसकी जगह ट्रक मालिक ने बाइक का इंश्योरेंस पेपर लगाकर अपने वाहन को बीमित बता दिया। इसका पता तब चला, जब आयुष के पिता विनोद कुमार तिवारी ने बीमा राशि के लिए कंपनी में दावा किया। उसके बाद जब जांच हुई तो पता चला कि ट्रक का इंश्योरेंस मार्च 2024 को ही फेल हो गया था, जबकि दुर्घटना 20 अगस्त 2024 को हुई थी।
इस मामले में एक एफआईआर एमजीएम थाना में ट्रक मालिक अखिलेश यादव पर दर्ज कराई गई है, जो 17 पीटीआर साइडिंग हावड़ा वेस्ट पश्चिम बंगाल के निवासी हैं। वादी विनोद तिवारी का आरोप है कि उन्होंने इस मामले में मामले के जांचकर्ता दारोगा पुरुषोत्तम अग्निहोत्री पर लापरवाही का आरोप लगाया और कहा कि इसमें दारोगा के साथ ही परिवहन विभाग के कर्मचारी और साथ ही इंश्योरेंस कंपनी के कर्मचारियों ने भी लापरवाही की है। वे अब इस मामले को लेकर शनिवार को ग्रामीण एसपी ऋषभ गर्ग से मिलेंगे और दारोगा सहित अन्य को आरोपी बनाने की मांग करेंगे। विनोद सिंह ने बताया कि 20 अगस्त 2024 को एनएच-33 पर देर शाम हुए सड़क हादसे में उनके बेटे की मौत हो गई थी। वे आदित्यपुर मार्ग संख्या 20 के निवासी हैं। आयुष आईआईटी कानपुर से एमटेक कर रहा था। वह रक्षाबंधन की छुट्टी में घर लौटा था। वह अपने तीन अन्य साथियों के साथ घूमने गया था। घूमने के बाद कार से ही सभी घाटशिला से भिलाई पहाड़ी होते हुए जमशेदपुर लौट रहे थे। इस दौरान सिमुलडांगा के समीप आगे चल रहे ट्रक चालक ने गाड़ी घुमाने के लिए ब्रेक मारा। इस दौरान कार ट्रक से टकरा गई, जिसमें चारों युवक गंभीर रूप से घायल हो गए। आयुष को टीएमएच ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई। उस वक्त एक केस एमजीएम थाने में दर्ज किया गया। दुर्घटना के वक्त ट्रक को जब्त कर लिया गया था। जांच कर रहे दारोगा ने परिवहन विभाग से लेकर इंश्योरेंस कंपनी तक से ट्रक के कागजात का ब्योरा मांगा। इसमें परिवहन विभाग ने सभी कागजात पूरा और सही होने की तस्दीक की, जिसमें बीमा भी था। आईओ ने बिना जांच किए ही इसे कोर्ट में पेश कर दिया। कोर्ट में बताया गया कि हादसे के समय ट्रक का बीमा था, उसे छोड़ने में कोई आपत्ति नहीं है। उसी आधार पर ट्रक चालक को जमानत मिली और रिलीज कर दिया गया। उसके बाद विनोद तिवारी अपने इंश्योरेंस क्लेम के लिए गए तो इंश्योरेंस कंपनी ने बताया कि जो कागजात बतौर इंश्योरेंस अदालत में पेश किया गया है, वह उनकी कंपनी से बीमित नहीं है। जो बीमा नम्बर उसमें दिया गया है, वह किसी बाइक के इंश्योरेंस का पेपर है। इसको लेकर इंश्योरेंस कंपनी ने छह पेज का एफिडेविट भी बीमा के दावे पर अदालत में दाखिल किया है। परिवहन विभाग पर भी लगाया आरोप विनोद तिवारी का कहना है कि सस्ते में बीमा कराने के चक्कर में यह बड़ा खेल परिवहन में हो रहा है। किसी भी इंश्योरेंस कंपनियों के कर्मचारी बाइक नम्बर के इंश्योरेंस को आधार बनाकर वाहनों का बीमा कर देते हैं, जो कम खर्च में आता है। इसमें वाहन का बीमा ऑनलाइन दिखाई देता है। इस मामले में एक बड़ा गिरोह सक्रिय है। परिवहन विभाग की लापरवाही है कि वह इसकी जांच नहीं करता। किसी भी दुर्घटना के बाद वाहन एनओसी के लिए परिवहन विभाग द्वारा सभी बिंदुओं को ओके बता दिया जाता है और जब बीमा का दावा होता है तो पीड़ित के पास भटकने के सिवा कोई चारा नहीं होता। वे इस मामले को लेकर एक याचिका दायर करेंगे, ताकि इसकी जांच हो सके।
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