Sendra Festival Hunters Celebrate Without Major Game Community Emphasizes Tradition and Environment दलमा में सख्ती के बाद भी सेंदरावीरों ने किया दो हिरण और एक सूअर का किया शिकार, Jamshedpur Hindi News - Hindustan
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दलमा में सख्ती के बाद भी सेंदरावीरों ने किया दो हिरण और एक सूअर का किया शिकार

सेंदरा पर्व के दौरान वन विभाग की सुरक्षा योजना विफल रही, लेकिन बड़े पैमाने पर शिकार नहीं हुआ। दलमा में शिकारी दो हिरण और एक सूअर का शिकार करके लौटे। सेंदरा वीरों का पारंपरिक स्वागत हुआ और इस बार पर्व...

Newswrap हिन्दुस्तान, जमशेदपुरTue, 6 May 2025 05:17 PM
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दलमा में सख्ती के बाद भी सेंदरावीरों ने किया दो हिरण और एक सूअर का किया शिकार

सेंदरा पर्व के दौरान वन विभाग की सारी चौकसी और सुरक्षा योजना फेल हो गई। सोमवार को दलमा में शिकारियों ने दो हिरण और एक सूअर का शिकार किया। बोड़ाम जंगल के रास्ते देर शाम साढ़े सात बजे शिकारियों ने शिकार के साथ जश्न मनाया। हालांकि शिकारियों ने हिरण की तस्वीर देने से इनकार कर दिया। दूसरी ओर डीएफओ का दावा है कि सेंदरा वीरों ने जानवरों का शिकार नहीं किया। इधर, सोमवार को जंगलों की ओर जाने वाले चेकनाकों पर सुरक्षा बलों की तैनाती रही और वहां से सेंदरा वीरों को लौटा दिया गया। वन विभाग की सख्त पहरेदारी और आदिवासी समाज की समझदारी के कारण बड़े पैमाने पर शिकार नहीं हो सका।

वन विभाग का कहना है कि हाल के कुछ वर्षों से सेंदरा के दौरान जानवरों के शिकार पर काफी हद तक रोक लगी है। इक्का-दुक्का जानवरों का शिकार रोक पाना संभव नहीं हो पाता। फदलोगोड़ा में मिले सेंदरावीर, सिंगराई नृत्य दलमा राजा राकेश हेम्ब्रम ने सेंदरा पर्व को लेकर फदलोगोड़ा में देवी-देवताओं की पूजा की। पूजा के बाद ढोल-मांदर की थाप पर पारंपरिक गीतों के साथ सांस्कृतिक उत्सव मनाया गया। शाम को फदलोगोड़ा में सेंदरा वीरों का संगम हुआ। यहां पारंपरिक सिंगराई नृत्य का आयोजन हुआ। शिकारियों का पत्नियों ने किया स्वागत शिकार से लौटे वीरों का स्वागत भी पारंपरिक तरीके से हुआ। गांव लौटने पर शिकारियों की पत्नियों ने उनके पैर धोकर, शृंगार कर पारंपरिक तरीके से स्वागत किया। खास बात यह रही कि जब सेंदरा वीर शिकार पर निकलते हैं तो उनकी पत्नियां सुहाग की निशानी हटा देती हैं और उनके सकुशल लौटने पर ही फिर से उन्हें धारण करती हैं। इस बार सभी शिकारी सुरक्षित लौटे, जिससे पूरे समुदाय में संतोष का माहौल रहा। दलमा राजा राकेश हेंब्रम ने बताया कि करीब 10 हजार शिकारी दलमा पहुंचे थे, पर किसी जानवर का शिकार नहीं हुआ। यह पर्व इस बार पूरी तरह सांकेतिक रहा, जिसमें परंपरा को जीवित रखा गया और पर्यावरण को भी कोई क्षति नहीं हुई। उन्होंने वन विभाग के सहयोग और व्यवहार की प्रशंसा की। इस बार का सेंदरा सिर्फ एक पर्व नहीं, बल्कि एक उदाहरण बन गया।

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