Palamu said: Trump's tariff may cause a slowdown in Palamu's market बोले पलामू : ट्रंप के टैरिफ से पलामू के बाजार में मंदी के आसार, Palamu Hindi News - Hindustan
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बोले पलामू : ट्रंप के टैरिफ से पलामू के बाजार में मंदी के आसार

  • अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के टैरिफ घोषणा का असर पलामू जिले के कारोबार पर भी पड़ना तय है। अमेरिका में आयात शुल्क में बढ़ोतरी से उत्पन्न होने वाले वैश्विक मंदी से पलामू भी अछूता नहीं रहेगा।

Rakesh Singh लाइव हिन्दुस्तानSat, 5 April 2025 02:27 AM
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बोले पलामू : ट्रंप के टैरिफ से पलामू के बाजार में मंदी के आसार

मेदिनीनगर। मेदिनीनगर का मुख्य बाजार प्रत्येक दिन 10 करोड़ रुपये से अधिक का टर्नओवर करता है जबकि पूरे पलामू जिले में यह आंकड़ा 60 करोड़ रुपये से अधिक चला जाता है। इतनी बड़ी व्यवसायिक गतिविधि के कारण मेदिनीनगर सिटी समेत पलामू जिले का कारोबार तीन लाख से अधिक लोगों को सीधी तौर पर रोजगार उपलब्ध कराता है।

यही कारण है कि विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाला देश अमेरिका में भारत के उत्पादों पर भी जवाबी आयात शुल्क बढ़ा दिए जाने से उत्पन्न होने वाली वैश्विक चुनौती की चर्चा पलामू के बाजारों में भी शुरू हो गई है। मेदिनीनगर के व्यवसायियों ने कहा कि कुछ खाद्य पदार्थो के कीमत में गिरावट दर्ज की गई है।

व्यवसायियों ने कहा कि निर्यात किए जाने वाले खाद्य सहित अन्य उत्पादों की गुणवता काफी उच्च रखनी पड़ती है जबकि देशी बाजार में अपेक्षाकृत कम गुणवता के सामग्री भी खूब बिक रहे हैं। चुनौती से निबटने के लिए हर हाल में अपने प्रोडक्ट के लिए अन्य बाजार को तलाशना जरूरी होगा। हालांकि उन बाजारों में भी अधिक आयात शुल्क की मार भारत के निर्यात पर पड़ना स्वभाविक है। प्रोडक्ट की बिकी नहीं होने पर उत्पादन में गिरावट आएगी। यह स्थित मंदी को प्रोत्साहित करेगा जो अंतत: रोजगार का संकट पैदा करेगा। मेदिनीनगर लाह का कभी बड़ा मंडी हुआ करता था परंतु पलामू जिले में लाह का उत्पादन गिरते हुए करीब-करीब शून्य पर पहुंच गया है। महुआ, करंज बीज, साल बीज, आंवला, वनतुलसी बीज, चकवड़ बीज आदि लघु वन उत्पाद जिसे वर्तमान में एनटीएफपी के श्रेणी में लाया गया है, का उत्पादन होता है। अरहर और तिल का भी पलामू जिला बड़ा उत्पादक है। परंतु प्रतिस्पर्द्धा बढ़ने और आवश्यक सरकारी समर्थन नहीं मिलने के कारण इन पदार्थो के प्रोसेसिंग यूनिट धीरे-धीरे बंद हो गए। वर्तमान में कच्चा पदार्थ यहां से निर्यात किया जाता है।

व्यवसायियों ने कहा कि मेदिनीनगर सिटी का तेजी से विकास हुआ है। सड़क और रेलवे आधारित कनेक्टिविटी काफी बेहतर हुई है। बिजली आपूर्ति की समयावधि और क्वालिटी दोनों में काफी सुधार हुआ है। शासन और प्रशासन स्तर पर व्यवसायियों को वित्तीय सहित अन्य सहयोग देकर वैश्विक मानक के उत्पाद तैयार करने, बड़े पैमाने पर उत्पादन करने और नये बाजार ढूंढने के लिए प्रोत्साहित करने की जरूरत है। सरकार के वाणिज्यिक यूनिट को भी नया बाजार ढूंढ निकलाने के लिए विशेष कार्य-योजना पर लगाया जाना चाहिए। बड़े पैमाने पर उत्पादन, कच्चा माल प्राप्ति क्षेत्र में प्रोसेसिंग यूनिट का विकास आदि ने लागत घटाने में मदद मिलेगी। उत्पाद को अपेक्षाकृत सस्ता और बेहतरीन मानक वाला तैयार करना संभव हो सकेगा। इस ताकत के बूते प्रोडक्ट को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में निर्यात करना संभव रहेगा। साथ ही किसी भी देश की ओर से आयात शुल्क बढ़ाने के बावजूद उत्पादों का निर्यात पर बड़ा नकारात्मक प्रभाव

ग्रामीण संग्रह कर बेचते हैं लघु वनोपज

लघु वन पदार्थ यथा लाह, करंज, साल बीज, आंवला, चकवड़ बीज, वनतुलसी बीज आदि का मेदिनीनगर पुराना मंडी है। छोटे व्यवसायी ग्रामीणों से लघु वनोपज खरीदकर मेदिनीनगर के व्यवसायियों को बेचते हैं। बड़े व्यवसायी संबंधित उत्पाद प्रोसेसिंग यूनिट के कारोबारियों को बेचते हैं। इससे आम ग्रामीणों को गांव-कस्बे में ही लघु वनोपज बेचने का मौका मिल जाता है। परंतु अबतक इनके प्रोसेसिंग यूनिट पलामू में नहीं लगे हैं। अगर लघु वनोपज के उत्पादन को बढ़ाने और उसके प्रोससिंग पर ध्यान दिया जाए तो आसन्न मंदी से निबटने में मदद मिलेगी।

दलहन को प्रोत्साहित नहीं किया जा रहा है

पलामू दलहन, तिलहन और मक्का के उत्पादन की दृष्टि से लंबे समय से बेहतर क्षेत्र रहा है। परंतु इनके उत्पादन को बढ़ावा देने, इसे प्रसंस्कृत कर वैश्विक मांग के अनुरूप तैयार करने की दिशा में अबतक समुचित प्रयास नहीं किया गया है। किसान या तो बगैर प्रसंस्करण के अरहर आदि को भी बाजार में बेच देते हैं। हालांकि छोटे-छोटे प्रोसेसिंग मशीन शहर व कस्बे में लगना शुरू हुए हैं परंतु इससे लागत बढ़ जा रहा है। मानक बढ़ाने और लागत घटाने के लिए बड़े यूनिट की स्थापना जरूरी है। सरकारी स्तर से प्रोत्साहन मिलने से किसान भी दलहन के उत्पादन में रुचि लेंगे जिससे उत्पादन बढ़ेगा।

महुआ का वैकल्पिक उपयोग नहीं

मेदिनीनगर वन प्रमंडल क्षेत्र की दृष्टि से राज्य का सबसे बड़ा क्षेत्र है परंतु सघन वन कम होने से महुआ का फूल व फल संग्रह करने का कारोबार भी बड़ी संख्या में ग्रामीण करते हैं। परंतु महुआ का व्यवसायिक उपयोग की व्यवस्था पलामू क्षेत्र में अबतक नहीं हो पाई है। वर्तमान में महुआ का उपयोग दारू के धंधेबाज करते हैं। हालांकि पलामू में इससे मिठाई तैयार करने का कारोबार खूब फलता-फुलता था। शासन-प्रशासन स्तर पर इसे संरक्षित और प्रोत्साहित करने की जरूरत है। ताकि इसका वैकल्पिक उपयोग बढ़ सके।

इनकी भी सुनिए

अमेरिका द्वारा भारत के सामानों पर बढ़ाए गए 27 प्रतिशत की टैरिफ से दूसरे देशों की निर्मित वस्तुओं का बाजार मूल्य भारतीय बाजारों में बढ़ जाएगा। ऐसे स्थितियों में व्यवसायियों को लोकल स्तर पर निर्मित वस्तुओं को तवज्जो देनी चाहिए ।

डॉ अजीत कुमार सेठ, विभागाध्यक्ष, अर्थशास्त्र विभाग, जेएस कॉलेज

पलामू का शहद दुबई में 2800 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है। अन्य उत्पादों की गुणवता को मानक के अनुरूप करने और वैकल्पिक बाजारों को तलाश कर निर्यात करने की जरूरत है। अमेरिका में निर्यात शुल्क की बढ़ोतरी को अवसर के रूप में लेने की जरूरत है।

प्रभात अगवाल, अध्यक्ष, व्यवसायी संघ

पलामू का शहद दुबई में 2800 रुपये प्रति किलो की दर से बिक रहा है। अन्य उत्पादों की गुणवता को मानक के अनुरूप करने और वैकल्पिक बाजारों को तलाश कर निर्यात करने की जरूरत है। अमेरिका में निर्यात शुल्क की बढ़ोतरी को अवसर के रूप में लेने की जरूरत है।

प्रभात अगवाल, अध्यक्ष, व्यवसायी संघ

ग्रामीण स्तर पर मिलने वाली वन उत्पादों को तवज्जो देना होगा, उसे प्रसंस्कृत करने की यूनिट विकसित करनी होगी तभी वैश्विक चुनौतियों का प्रभाव कम होगा। प्रमोद तुलस्यान

लोकल के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए सरकार को जागरुकता कार्यक्रम चलाना चाहिए। मानक के अनुरूप प्रोडक्ट तैयार करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। अनुपम तुलस्यान

बाहरी वस्तुओं का उपयोग निजी जीवन में कम करने, अपने उत्पाद को वैश्विक मानक के अनुरूप बनाने परंतु लागत नहीं बढ़ने देने के लिए सभी को प्रेरित करना होगा।

विनोद उदयपुरी

देशी उत्पाद के लिए अधिक से अधिक बाजार ढूंढने के लिए सरकार को विशेष पहल करने की आवश्यकता है, ताकि अमेरिका में आयात शुल्क बढ़ाने का विकल्प निकाला जा सके। गणेश गिरी

सरकार को वन उत्पाद संग्रह करने वाले लोगों अधिक से अधिक प्रेरित करना चाहिए। उत्पादन बढ़ाने व वैश्विक मांग के अनुरूप प्रसंस्कृति करना चाहिए।

मनोज पहाड़िया

वनोत्पाद को संग्रह करने की बेहतर सुविधाएं मुहैया होनी चाहिए। खराब मौसम की स्थिति में उत्पाद खराब हो जाते है, इससे लागत बढ़ जाता है व गुणवता गिर जाती है। मनोज सिंह

वनोत्पादों को संग्रह करने के लिए प्रखंड स्तर पर गोदाम का निर्माण किया जाना चाहिए ताकि किसान और संबंधित लोग आसानी से सामानों को बेच सके।

दानवीर प्रसाद

वन उत्पादों की मांग पूरे विश्व में है। पलामू बड़ा आपूर्ति कर्ता क्षेत्र रहा है। इसका समुचित लाभ क्षेत्र को नहीं मिला। इसे जरूरत के अनुरूप विकसित करना चाहिए। महेंद्र प्रसाद

वन उत्पादों को बेचने के लिए बाजार मुहैया होनी चाहिए ताकि आसानी से लोगों को सामान की उपलब्धता सुनिश्चित हो सके इससे वे आकर्षित होंगे।

अनूप सोनी

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