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बोले पलामू : सेवा का सिला नहीं, 18 माह से नहीं मिली पगार

पलामू जिले के 69 हजार किसानों और कृषि मित्रों की स्थिति दयनीय है। कृषि मित्रों को पिछले 18 महीनों से मानदेय नहीं मिला है और किसानों को समय पर खाद-बीज नहीं मिल रहा है। सरकार की योजनाओं का लाभ किसानों...

Newswrap हिन्दुस्तान, पलामूSat, 3 May 2025 08:46 PM
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बोले पलामू : सेवा का सिला नहीं, 18 माह से नहीं मिली पगार

पलामू जिले के 69 हजार किसान और 96 हजार से अधिक कृषि क्षेत्र से संबंधित मजदूरों को प्रोत्साहित और आधुनिक तकनीक के प्रति जागरूक करने के लिए प्रत्येक दो राजस्व गांवों के बीच तैनात कृषि मित्र की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। भारत सरकार की महत्वकांक्षी कार्य-योजनाओं में एक किसानों की आय को दोगुनी करना है। दूसरी तरफ डेढ़ साल से उन्हे मानदेय का भी भुगतान नहीं किया गया है। कृषि मित्रों में बढ़ती सरकारी उदासीनता से इस कार्य में गतिरोध आ रहा है। कृषि मित्रों ने हिन्दुस्तान अखबार के बोले पलामू अभियान में खुलकर अपनी बात रखी। मेदिनीनगर। किसानों की आय बढ़ाने और उनके जीवन स्तर में सुधार के लिए केंद्र और राज्य सरकार लगातार प्रयास कर रही है। इसके लिए प्रत्येक दो गांव के बीच एक कृषि मित्र की सेवा भी ली जा रही है परंतु डेढ़ दशक के बाद भी किसानों को किसानों को समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। 25 वर्ष के हो चुके झारखंड राज्य का पलामू जिला कृषि प्रधान जिला है परंतु खेती से जुड़ी समस्याओं के निदान में सफलता नहीं मिल पाई है। इसके कारण कृषि मित्रों का प्रयास भी समुचित रूप से सफल नहीं हो पा रहा है।

योजनाओं का लाभ अति-पिछड़े और सुदूरवर्ती क्षेत्र में निवास करने वाले किसानों को मिल सके। इसके लिए वित्त वर्ष 2010-11 में कृषि मित्र का चयन किया गया है। पलामू जिले में प्रारंभ में कुल 950 कृषि मित्रो का चयन ग्रामसभा के माध्यम से किया गया था लेकिन वर्तमान में महज 650 कृषि मित्र कार्यरत हैं जो सरकार की सभी योजनाओं का प्रचार-प्रसार कर किसानों को अधिकतम लाभ दिलाने का प्रयास करते हैं। परंतु योजनाओं के क्रियान्वयन में हो रही गड़बड़ी, मानदेय भुगतान में अत्यंत विलंब आदि के कारण कृषि मित्रों की खुद की हालत दयनीय बनी हुई है।

पिछले 18 माह से एक हजार रुपए प्रति माह मिलने वाला प्रोत्साहन राशि भी नहीं मिला है। पलामू जिला के कृषि मित्रों ने अपनी पीड़ा को बताते हुए कहा कि पलामू जिला कृषि विभाग के पदाधिकारी कृषि मित्रों को अपना मानते ही नहीं हैं। यही कारण है कि 18 माह से प्रोत्साहन राशि का भुगतान नहीं किया है। बीटीएम, एटीएम और अन्य कर्मियों को समय पर वेतन और मानदेय का भुगतान कर दिया जाता है। कृषि मित्रों को सामाजिक सुरक्षा पेंशन, बीमा, स्वास्थ्य भत्ता आदि का लाभ भी नहीं दिया जाता है।

कृषि मित्रों ने बताया कि विभाग के योजनाओं को किसानों के बीच प्रसार प्रसार का उन्हें अधिकतम लाभ दिलाते हैं। किसानो को श्री-विधि से खेती के लिए प्रोत्साहित भी कर रहे हैं। मिट्टी जांच, केसीसी, कृषक पाठशाला, खाद बीज वितरण, प्रधानमंत्री सम्मान निधि के त्रुटियों में सुधार करना, प्रधानमंत्री कुसुम योजना जैसे दर्जनों कार्य कृषि मित्र कर रहे हैं। इसके अलावा विभाग कई अतिरिक्त कार्य भी लेता है। लेकिन इसके बदले विभाग निर्धारित अतिरिक्त खर्चा का भुगतान नहीं करता है। बल्कि केवल काम के लिए दबाव बनाया जाता है। खाद बीज वितरण में अनियमितता के कारण जरूरतमंद किसानों को नहीं मिलता है। बल्कि राजनीतिक और बिचौलियों के बीच बीज का वितरण अधिक कर दिया जाता है।

पलामू जिले में सतबरवा, नीलांबर-पीतांबरपुर, पंडवा, हरिहरगंज, मोहम्मदगंज, हुसैनाबाद, उंटारी आदि प्रखंडों में किसान बगानी खेती की ओर तेजी से कदम बढ़ाया है। अन्य प्रखंडों में भी पारंपरिक रूप से किसान प्रतिबद्धता से खेती करते हैं। परंतु किसानों की परेशानी यह है कि सिंचित क्षेत्र का विकास नहीं होने से खेती करने में लागत ज्यादा लगने लगा है। दूसरी तरफ अब नीलगाय भी किसानों के लिए सरदर्द बन गए हैं। विकट परिस्थिति में किसानों को नई तकनीक से खेती करने के लिए प्रोत्साहित करना कृषि मित्रों के लिए परेशानी का सबब बनता जा रहा है। प्रदेश के कृषि मंत्री ने पलामू दौरे के क्रम में कृषि तकनीक को किसानों तक पहुंचाने का निर्देश दिया था परंतु पलामू इस दृषि से भी काफी कमजोर है।

पंजीकृत किसानों को भी नहीं मिलता है लाभ

किसानों के बीच खाद-बीज वितरण के लिए ब्लॉक चेन से पंजीकृत होना आवश्यक है। जिले में कुल एक लाख 849 किसान पंजीकृत हैं, लेकिन 70 से 75% किसानों को लाभ नहीं मिल रहा है। किसानों को दिए जाने वाले लाभ की केवल खानापूर्ति की जा रही है। कृषि मित्र के माध्यम से बीज का वितरण नहीं किया जा रहा है। इसके कारण जरूरतमंद किसानों को अनुदानित खाद-बीज नहीं मिल पाता है। समय निकल जाने के बाद खाद-बीच प्राप्त कर ब्लॉक के नियमित संपर्क में रहने वाले लोग उसका गलत प्रयोग करते हैं। इसके कारण कृषि विकास की योजनाओं में अपेक्षित सफलता नहीं मिल पा रहा है।

ग्रामीण क्षेत्रों में ग्राम स्तर के काम में सहभागी बढ़े

किसानों की आय में बढ़ोतरी के लिए कई योजनाएं संचालित है, लेकिन सारे काम ठेकेदारी प्रथा की भेंट चढ़ जा रही है। कृषि मित्रों के माध्यम से गांव वार डाटा संग्रह कराने और किसानों तक लाभ पहुंचाने का कार्य नहीं हो पा रहा है। योजना का काम नहीं करकरा बेकार और अनुपयोगी स्थानों पर किया जाता है। इससे किसानों को कोई लाभ नही मिलता है। जबकि कृषि मित्र उसी गांव के होते हैं और वे किसानों के जरूरतों के देखते हुए योजनाओं को सही जगह पर क्रियान्वयन कर सकते हैं। इसलिए कृषि से जुड़ी योजनाओं में कृषि मित्रो की सहभागी सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

समय पर मिले बीज

पलामू जिले के किसान गरीब हैं, सिंचाई की असुविधा के कारण मौसम आधारित खेती पलामू के किसान करते हैं। परंतु ससमय और मौसम के अनुरूप पर्याप्त बीज, खाद नहीं मिलने से उन्हे खुले बाजार से महंगे दर पर खाद-बीज खरीदना पड़ता है। किसानों को समय पर खरीफ और रबी फसल के बीज का वितरण नहीं हो पाने से वे प्रोत्साहित नहीं हो पाते हैं। कृषि मित्रों को इसके कारण कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। खुले बाजार में महंगे दर पर खाद खरीदने पर किसानों की आय घट जाती है। इससे उनमें नकारात्मक भाव बढ़ता है।

सुदूर क्षेत्र के किसान लाभ से वंचित

पलामू जिला के भौगोलिक संरचना पहाड़ी, वनों से घिरे गांव का है। पलामू के 21 प्रखंडों के कार्यालय प्रखंड के अंतिम सीमा से 20 से 22 किलोमीटर की दूरी पर है। इन गांव के किसानों को विभाग से मिलने वाला लाभ समय पर नहीं मिलता है। सुदूर होने के कारण साधन की भी कमी है जिसके कारण किसान प्रखंड कार्यालय में खाद-बीज के लिए आना पसंद नहीं करते हैं। इसका प्रतिकूल प्रभाव पलामू के कृषि पर पड़ता है। किसान लाभ नहीं मिलने पर कृषि मित्रों के समक्ष नाराजगी जताते हैं और अपेक्षा करते हैं कि पंचायत स्तर पर ही उन्हे योजनाओं का लाभ मिल सके।

समस्याएं

1. प्रत्येक दो गांव पर चयनित एक कृषि मित्र को महज 1000 रुपये मानदेय मिलता है।

2. कृषि मित्रों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम केवल खानापूर्ति बनकर रह गया है।

3. सामाजिक सुरक्षा पेंशन, बीमा, चिकित्सीय भत्ता आदि की सुविधा नहीं दी जा रही है।

4. योजनाओं का क्रियान्वयन भी निजी संस्थानों और चहेते संवेदकों के माध्यम से होता है।

5. कृषि यंत्र अनुदानित होने के बाद भी किसानों का बाजार मूल्य के बराबर खर्चा हो जाता है।

सुझाव

1. कृषि मित्रों को पिछले 18 माह का प्रोत्साहन राशि का भुगतान तत्काल किया जाना चाहिए।

2. कृषि विभाग का प्रशिक्षण कार्यक्रम निर्धारित समयावधि तक चलना चाहिए।

3. ग्रामस्तर और पंचायतस्तर की योजनाओं का क्रियान्वयन कृषि मित्रों के माध्यम से हो।

4. मानदेय में बढ़ोतरी करने के साथ-साथ कृषि मित्रों को सुविधाएं भी दी जानी चाहिए।

5. अनुदानित कृषि यंत्र किसानों को खुले बाजार से कम मूल्य पर उपलब्ध कराया जाना चाहिए।

कृषि मित्रों ने प्रोत्साहन राशि बढ़ाने की मांग की

किसानों को समय पर बीज नहीं मिलता है। किसानों की स्थिति को सुधार के लिए समय पर अनुदानित खाद-बीज पर्याप्त मात्रा में मिलनी चाहिए। बीज की गुणवत्ता जिले के मौसम के अनुकूल होना चाहिए। -शुकुल मियां

चुनाव के समय किसानों के लिए कई वादे किए जाते हैं परंतु बाद में किसानों को लाभ नहीं मिल पाता है। रूट लेबल पर काम करने के कारण कृषि मित्रों को काफी कुछ सुनना पड़ता है। -देवचंद्र यादव

किसानों को विभाग आगे बढ़ने में समुचित सपोर्ट नहीं कर रही है। जरूरमंद को बीज न देकर बिचौलियों के बीच वितरण किया जाता है। इससे किसानों की आय नहीं बढ़ पा रही है। -सुधांशु रंजन सिंह

नीलगाय से खेती बचाने के लिए किसानों को जिला कृषि विभाग स्तर से कोई मदद नहीं मिल रहा है। किसान नीलगाय से परेशान हैं। समय पर खाद-बीज का वितरण भी नहीं हो पाता है। -अमरेंद्र सिंह

पिछले 15 सालों से काम करने के बावजूद निर्धारित प्रोत्साहन राशि भी समय भुगतान नहीं किया जा रहा है। कार्यलय कर्मियों का वेतन भुगतान समय पर कर दिया जाता है।

-अजय कुमार मेहता

कृषि विभाग के सभी योजनाओं के प्रचार-प्रसार कृषि मित्र करते हैं। लेकिन जब योजनाओं के लाभ किसानों को देने के बारी आती है तब संवेदकों को आगे कर दिया जाता है। -बिनोद कुमार प्रजापति

किसानों के लिए कृषि मित्र सालोंभर काम करते हैं। लेकिन प्रोत्साहन राशि न्यूनतम मजदूरी से भी कम मिला है। प्रोत्साहन राशि एक हजार से बढ़ाकर सम्मानजनक करना चाहिए। -मनोज पांडेय

कृषि में सुधार और सिंचाई के लिए विभाग का काम ग्राम स्तर पर कृषि मित्र के माध्यम से ही कराने की जरूरत है। विभाग निजी संस्थान के माध्यम से काम कराने की खानापूर्ति करती है। -कमलेश गुप्ता

किसानों के बीच बीज वितरण प्रखंड कार्यालय में किया जाता है। किसानों का घर सुदूरवर्ती क्षेत्रों में 20 किमी से ज्यादा दूर तक है। बीज प्राप्त करने में किसानों को परेशानी होती है। -महेंद्र कुमार सिंह

सरकार की किसानों के लिए स्कीम चलाती है लेकिन विभाग उसे तत्परता से क्रियान्वित नहीं कराता है। इससे किसानों को योजना का समुचित लाभ नहीं मिल पा रहा है। -हरिनारायण शुक्ला

किसानों के लिए समय पर बीज, विभाग में आ भी जाता है तब भी 10-15 दिनों का समय तैयारी में गुजर जाता है। दूसरी तरफ किसान खुले बाजार से खाद-बीज खरीद लेते है। -सत्येंद्र कुमार यादव

कृषि विभाग और किसानों के बीच कृषि मित्र मजबूत कड़ी है। लेकिन विभाग कृषि मित्रों से अतिरिक्त काम भी कराती है और उसके बदले अतिरिक्त भुगतान भी नहीं किया जाता है। -अनिरुद्ध महतो

इनकी भी सुनिए

पलामू में किसानों की स्थिति बहुत खराब है। उनके लिए बनाए गए योजनाओं का लाभ भी उन्हें नहीं मिलती है। कृषि मित्रों को मानदेय का भुगतान ससमय होना चाहिए। साथ ही खाद, बीज और कृषि उपकरण बैंक का निर्माण पंचायत भवन में होना चाहिए।

-रंजन कुमार दुबे, जिलाध्यक्ष

पलामू के किसानों और कृषि मित्रों को समय-समय पर विभाग की ओर से प्रशिक्षण दिया जाता है। खाद और बीज भी समय पर उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाता है। बीजों का वितरण किसान के पास उपलब्ध सुविधा के अनुसार किया जाता है।

-दीपक कुमार, जिला कृषि पदाधिकारी।

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