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बोले रांची: एफएमसीजी को उद्योग दर्जा और सस्ती दर पर भूमि मिले

रांची में एफएमसीजी वितरकों ने ई-कॉमर्स की मनमानी पर चिंता जताई। उन्होंने सरकार से मॉर्डन ट्रेड पर नियंत्रण और उद्योग का दर्जा देने की मांग की। वितरक कहते हैं कि ई-कॉमर्स कंपनियों की भारी छूट से छोटे...

Newswrap हिन्दुस्तान, रांचीSun, 13 April 2025 04:16 AM
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बोले रांची: एफएमसीजी को उद्योग दर्जा और सस्ती दर पर भूमि मिले

रांची, संवाददाता। फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) डिस्ट्रीब्यूटर्स देश की अर्थव्यवस्था और रोजमर्रा की जरूरतों की रीढ़ हैं। यह उन उत्पादों को संदर्भित करते हैं जो जल्दी बिकते हैं, जैसे पैकेज्ड फूड, पेय पदार्थ, टॉयलेटरीज, कॉस्मेटिक्स, सफाई के उत्पाद आदि। हिन्दुस्तान के बोले रांची कार्यक्रम में एफएमसीजी वितरक शामिल हुए। बताया कि देश में लगभग 20 लाख डिस्ट्रीब्यूटर्स के साथ 1.5 करोड़ खुदरा व्यवसायी जुड़े हैं। उनका कहना था कि यदि ई-कॉमर्स और मॉर्डन ट्रेड पर नियंत्रण के लिए समय पर नीतियां नहीं बनाई गईं तो इस सेक्टर से प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े करीब 15 करोड़ लोग सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। उनकी मांग है कि डिस्ट्रीब्यूटरशिप लाइन बड़ी इंडस्ट्री है, इसलिए इसे उद्योग का दर्जा मिलना चाहिए। साथ ही कारोबार से जुड़े व्यवसायियों को औद्योगिक क्षेत्रों में सस्ती दर पर जमीन दी जाए।

हिन्दुस्तान के बोले रांची कार्यक्रम में फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) डिस्ट्रीब्यूटर्स शामिल हुए। कार्यक्रम में उनका कहना था कि ई-कॉमर्स की मनमानी से खुदरा दुकानदार परेशान हैं। केंद्र सरकार को इसपर नियंत्रण बनाए रखना चाहिए।

ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स भारी छूट वाली कीमतों का सहारा लेकर व्यापार कर रही हैं, जिससे देश का परंपरागत खुदरा व्यापार, छोटे विक्रेता कारोबार से बाहर हो रहे हैं। इनकी मंशा बाजार से प्रतिस्पर्धियों को खत्म करना है, जिसकी सरकार को समीक्षा करने की जरूरत है। उनका कहना था कि छोटे खुदरा विक्रेता और पारंपरिक वितरक प्लेटफॉर्म की ओर से दी जानेवाली छूट का मुकाबला करने में सक्षम नहीं हैं। जिससे उनका व्यवसाय प्रभावित हो रहा है और वे घाटे में जा रहे हैं। यही नहीं नए ग्राहकों को लुभाने के लिए, क्विक कॉमर्स प्लेटफॉर्म छूट के अलावा कई ऑफर दे रहे हैं, जो ग्राहकों को आकर्षित कर रहा है। और इसका असर यह हो रहा है कि खुदरा दुकानें बंद हो रही हैं।

वितरकों ने कहा कि एफएमसीजी सेक्टर पूरे शहर में अति आवश्यक वस्तुओं का वितरण करता है। इसमें गली-गली, छोटी-छोटी दुकान और शहर के मुख्य मार्ग के दुकान पर सप्लाई की जाती है, जो कि रोजमर्रा के उपभोग की वस्तुएं हैं। लेकिन, सुबह 9 से 11 बजे तक और शाम 5 से 7 बजे तक नो इंट्री लगाए जाने से इतने कम समय में पूरे शहर में आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई करना मुश्किल है। शाम में 7- 8 बजे के बाद सभी दुकानें बंद होने लगती हैं। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन से हमारी मांग है कि शहर में तीन पहिया माल वाहनों को नो इंट्री के समय परिचालन की अनुमति दी जाए। ताकि शहर में आवश्यक वस्तुओं की सप्लाई चेन बाधित न हो।

कंपनियों को मार्जिन बढ़ाने पर विचार करना चाहिए

एफएमसीजी वितरकों को कहना है कि ट्रांसपोर्ट, वेतन, बिजली जैसे खर्चे लगातार बढ़ रहे हैं, लेकिन एफएमसीजी कंपनियां डिस्ट्रीब्यूटर्स को मिलने वाला मार्जिन कम कर रही हैं। इससे व्यापार करना कठिन होता जा रहा है। डिस्ट्रीब्यूटर्स का कहना है कि ई-कॉमर्स को अधिक मार्जिन दिया जा रहा है। जिसका असर भी व्यापार पर पड़ रहा है। कंपनियों को मार्जिन बढ़ाने पर विचार करना चाहिए।

विशेष पैकेज की व्यवस्था की जाए

छोटे एवं मध्यम व्यापारी जीडीपी में बड़ा योगदान देते हैं और एक बहुत बडी संख्या में रोजगार का सृजन करते हैं। ऐसे में इस सेक्टर के लिए विशेष पैकेज की व्यवस्था की जानी चाहिए। आज एक व्यापारी को अपना व्यापार शुरू करने में अनेक अन-प्रैक्टिकल लाइसेंसी प्रक्रिया से गुजरना पड़ता है और उसके रिन्यूअल की प्रक्रिया से भी गुजरना पडता है। सिंगल विंडो के तहत सारी प्रक्रिया को आसान बनाने की जरूरत है। एक मध्यम और छोटे व्यापारी से लेकर बड़े व्यवसाय तक एक लाइसेंस प्रक्रिया है, इन लाइसेंसी जटिलताओं का सरलीकरण होना चाहिए। बिना एनओसी और सेटलमेंट किये बहुर्राष्ट्रीय कंपनियों के द्वारा नये-नये डिस्ट्रीब्यूटर्स बनाने से व्यापारी त्रस्त हैं।

पैक फूड प्रोडक्ट की ऑनलाइन बिक्री प्रतिबंधित हो

एफएमसीजी वितरकों ने मांग रखी कि दवाओं की तरह सरकार को पैक फूड प्रोडक्ट की बिक्री भी ऑनलाइन प्रतिबंधित करनी चाहिए। उनके मुताबिक ई-कॉमर्स कंपनियां फूड प्रोडक्ट को नियरबाई एक्सपायरी डेट में डिलीवरी कर रही है। जिससे अब कई जगह उपभोक्ता भी ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म पर एक्सपायरी/ नियरबाई एक्सपायरी, नकली व वापसी योग्य वस्तुओं की बिक्री से हतोत्साहित हैं। हाल ही में बीआईएस की टीम ने पिछले एक माह की कार्रवाई में देशभर के कई शहरों में खराब गुणवत्ता के ऐसे सामान जब्त किए हैं। जबकि, दुकानों में उपभोक्ता यह डेट देखकर ही खरीदारी करते हैं। उनका दावा है कि ई-कॉमर्स कंपनियों के कारण सरकार को राजस्व में भी नुकसान हो रहा है। दरसअल, उनके अनुसार ये कंपनियां कम दाम में बिलिंग करती हैं। जिससे सरकार को भारी-भरकम जीएसटी का नुकसान हो रहा है। जबकि, लोकल दुकानदार भारी संख्या में सरकार को जीएसटी का भुगतान कर रहे हैं।

एफडीआई के नियम सख्ती से लागू हों

हिन्दुस्तान के बोले रांची कार्यक्रम में एफएमसीजी वितरकों ने मांग रखी कि केंद्र सरकार एफडीआई के नियमों को सख्ती से लागू करे। साथ ही इसका उल्लघंन करने वालों के खिलाफ सरकार को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए। उन्होंने शहर में नो इंट्री के समय माल वाहक वाहनों के परिचालन पर रोक के आदेश से होने वाली समस्या बताते हुए कहा कि तीन पहिया मालवाहक वाहन, अमूमन आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति कार्य में जुड़े रहते हैं। शहर में नो इंट्री के कारण सप्लाइ चेन बाधित हो रही है। जिला प्रशासन की ओर से पूर्व में छूट दी जाती रही है। लेकिन, बार-बार अनुरोध के बावजूद इसपर पहल नहीं की जा रही है। हाल के दिनों में तीन पहिया मालवाहक वाहनों से छिनतई की घटनाओं से व्यापारी चिंतित हैं। शाम में अधिकांश वाहन माल की आपूर्ति करके हिसाब लेकर वापस आते हैं। ऐसे में जरूरी है कि इन वाहनों को नो इंट्री के समय शहर में प्रवेश और परिचालन की अनुमति दी जाय।

उनका कहना है कि एमएसएमई की तर्ज पर एफएमसीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स को सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं मिल रहा है। बैंक लोन की उपलब्धता भी हमें आसानी से सुलभ नहीं हो पाती। औद्योगिक क्षेत्र में डिस्ट्रीब्यूटर्स को भी न्यूनतम दर पर भूमि की उपलब्धता कराने की पहल करनी चाहिए।

समस्याएं

1. ई-कॉमर्स कंपनियों की मनमानी से एफएमसीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स सबसे अधिक परेशान हैं।

2. रिटेलर्स अक्सर उधार पर माल लेते हैं। भुगतान में देरी करते हैं।

3. एफएमसीजी कंपनियां प्रोडक्ट्स पर कम मार्जिन देती हैं, लागत निकालना भी मुश्किल हो जाता है।

4. नो इंट्री के समय तीन पहिया माल वाहनों के परिचालन की अनुमति नहीं होने से परेशानी।

5. एफएमसीजी कंपनियों द्वारा बिना पूर्व अनुमति के नए डिस्ट्रीब्यूटर्स को नियुक्त किया जा रहा है, मौजूदा डिस्ट्रीब्यूटर्स की बाजार हिस्सेदारी व निवेश पर असर।

सुझाव

1. ई-कॉमर्स कंपनियों की मनमानी और मॉर्डन ट्रेड पर नियंत्रण के लिए सरकार ठोस नीति बनाए।

2. एफएमसीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स को भी एमएसएमई की तरफ क्रेडिट सिक्टोरिटी का लाभ मिले।

3. एफएमसीजी कंपनियां प्रोडक्ट्स पर बहुत कम मार्जिन देती हैं। मार्जिन बढ़ाना चाहिए।

4. नो इंट्री के समय 3 पहिया माल वाहनों के परिचालन की अनुमति मिले। जरूरी वस्तुओं की आपूर्ति में हो रही परेशानी दूर हो।

5. एफएमसीजी कंपनियों द्वारा बिना पूर्व अनुमति के नए डिस्ट्रीब्यूटर्स की नियुक्ति पर नियंत्रण लगे।

:: बोले कारोबारी ::

ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म्स के बढ़ते प्रभाव से परंपरागत खुदरा और छोटे विक्रेता कारोबार से बाहर हो जा रहे हैं। इनकी मंशा बाजार से प्रतस्पिर्धा को खत्म करने जैसी है। छोटे खुदरा विक्रेता और पारंपरिक वितरक ऑनलाइन प्लेटफॉर्म द्वारा दी जानेवाली छूट का मुकाबला करने में सक्षम नहीं हैं। इसकी सरकार को समीक्षा करनी चाहिए।

-संजय अखौरी, अध्यक्ष, जेसीपीडीए

पूरे देश में 20 लाख डिस्ट्रीब्यूटर्स के साथ लगभग 1.5 करोड़ रिटेलर काम करते हैं। एफएमसीजी डिस्ट्रीब्यूटर्स को अपनी ताकत को पहचानना होगा। सभी को संगठित होना पड़ेगा। संगठन मजबूत होगा तभी सरकार हमारी बातें सुनेगी। डिस्ट्रीब्यूटर्स को अपनी ताकत पहचानने के साथ अपनी ताकत का एहसास भी कराना होगा।

-अर्जुन जालान, पूर्व अध्यक्ष, जेसीपीडीए

सबसे अधिक मॉर्डन ट्रेड से परेशानी हो रही है। मॉर्डन ट्रेड और ई-कॉमर्स कंपनियों पर नियंत्रण के लिए नियम लागू हो।

-पवन मल्होत्रा, एफएमसीजी वितरक

काफी नई कंपनियां मार्केट में आ रही हैं। ये कुछ समय बाद गायब हो जा रही हैं। डिस्ट्रीब्यूटर्स नुकसान उठाने को मजबूर हैं।

-रोहित अग्रवाल, एफएमसीजी वितरक

कंपनियां बिना एनओसी के नए डिस्ट्रीब्यूटर्स जोड़ लेती हैं। इससे काफी नुकसान होता है। ऐसी कंपनियों की मनमानी बंद हो।

-मनोज मोदी, एफएमसीजी वितरक

सुबह 9 से 11 बजे तक और शाम 5 से 7 बजे तक नो इंट्री रहने से पूरे शहर में जरूरी वस्तुओं की सप्लाई मुश्किल है।

-पंकज तिवारी, एफएमसीजी वितरक

अनुचित बाजार प्रथाओं पर अंकुश लगाने के लिए ई कॉमर्स नीति व उपभोक्ता संरक्षण नियमों को सख्ती से लागू किया जाए।

-अरविंद पोद्दार, एफएमसीजी वितरक

उत्पादों की खपत के साथ व्यापार भी बढ़ रहा है, पर मार्जिन घटता जा रहा है। मतगणना के लिए पंडरा का विक्लप भी उपलब्ध हो।

-रौनक पोद्दार, एफएमसीजी वितरक

डिस्ट्रीब्यूटर का खर्च बढ़ता जा रहा है, पर मार्जिन कम होता जा रहा है। आज कार्य प्रणाली पहले से दस गुणा बढ़ गई है।

-कृष्ण अग्रवाल, एफएमसीजी वितरक

एफएमसीजी वितरण क्षेत्र को इंडस्ट्री का दर्जा मिले। यह बहुत बड़ी इंडस्ट्री है। एमएसएमई की तरह क्रेडिट सिक्योरिटी मिले।

-कृष्ण बालदवा, एफएमसीजी वितरक

मॉर्डन ट्रेड और ई-कॉमर्स कंपनियों पर नियंत्रण के लिए कानून लागू हो। इससे कारोबार लगातार प्रभावित हो रहा है।

-शुभम अग्रवाल, एफएमसीजी वितरक

बिना पूर्व अनुमति के नए डिस्ट्रीब्यूटर को नियुक्त किया जा रहा है, इससे बाजार हिस्सेदारी और निवेश पर प्रभाव पड़ रहा है।

-सज्जन पाड़िया, एफएमसीजी वितरक

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