एनकाउंटर मामले में अमन साहू की मां से हाईकोर्ट ने सभी तथ्य पेश करने को कहा
झारखंड हाईकोर्ट में अमन साहू एनकाउंटर की निष्पक्ष जांच के लिए याचिका पर सुनवाई हुई। अदालत ने अमन की मां किरण देवी को हस्तक्षेप याचिका दाखिल करने का निर्देश दिया। उन्होंने बताया कि डीजीपी ने पहले ही...

रांची, विशेष संवाददाता। झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस एसएन प्रसाद और जस्टिस राजेश कुमार की खंडपीठ में अमन साहू एनकाउंटर की निष्पक्ष जांच की मांग वाली याचिका पर बुधवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने मामले में अमन साहू की मां किरण देवी की ओर से सारे तथ्यों के साथ हस्तक्षेप याचिका दाखिल करने का निर्देश दिया है। इस मामले में अमन साहू की मां किरण देवी ने हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को पत्र लिखकर पूरे घटनाक्रम की जानकारी और फोटो उपलब्ध कराई थी। जिसपर संज्ञान लेते हुए अदालत सुनवाई कर रही है। इसी मामले में किरण देवी की ओर से हस्तक्षेप याचिका दाखिल की गई, जिसमें कहा गया है कि घटना से पूर्व डीजीपी अनुराग गुप्ता ने अमन साहू को एनकाउंटर में मारने की धमकी थी।
इसके बाद इस घटना को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया। प्रार्थी के आवेदन पर अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं : अधिवक्ता सुनवाई के दौरान प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता हेमंत कुमार सिकरवार ने अदालत को बताया कि इस मामले में अमन साहू की मां ने डीजीपी अनुराग गुप्ता, रांची एसएससी चंदन कुमार सिन्हा, एटीएस एसपी ऋषभ झा और इंस्पेक्टर पीके सिंह के खिलाफ नामजद ऑनलाइन प्राथमिकी दर्ज करने के लिए आवेदन दिया है। लेकिन, अभी तक प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है। उनकी ओर से ललिता कुमारी के मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ के आदेश का हवाला देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने संज्ञेय मामले में प्राथमिकी दर्ज करना अनिवार्य किया है। इसके अलावा उनकी ओर से एक अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया गया, जिसमें कहा गया है कि अगर किसी मामले में पुलिस के वरीय अधिकारी शामिल हैं, तो उनके खिलाफ जांच सीबीआई करेगी, क्योंकि एक दारोगा डीजीपी या अन्य वरीय अधिकारी के खिलाफ जांच नहीं कर सकता है। सरकार ने कहा- सीआईडी कर रही जांच सुनवाई के दौरान सरकार की ओर से कहा गया कि मामले की जांच सीआईडी कर रही है। इसपर प्रार्थी की ओर से कहा गया कि पुलिस की ओर से दर्ज मामले की सीआईडी जांच की जा रही है। अभी तो किरण देवी के ऑनलाइन आवेदन पर पुलिस ने कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की है। इसके बाद अदालत ने प्रार्थी को सारे तथ्यों के साथ नई हस्तक्षेप याचिका दाखिल करने का निर्देश दिया है।
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