बदलते समय में फगुवा गीतों पर हो रहा है डीजे का अतिक्रमण
सिमडेगा में होली मनाने का तरीका बदल रहा है। युवा वर्ग अब नशा करने और फूहड़ गीतों पर नाचने को प्राथमिकता दे रहा है। हालांकि, कुछ जगहों पर पारंपरिक ढोल और फगुवा गीत गाए जा रहे हैं। डिजिटल इंडिया में लोग...

सिमडेगा, प्रतिनिधि। बदलते समय के साथ साथ जिले में होली के त्योहार मनाने के अंदाज में बदलाव देखने को मिल रहा है। जिला मुख्यालय की बात करें तो अब यहां पहले की तरह ढ़ोल नगाड़ा लेकर फगुवा गीत गाते कम नजर आते है। अब युवा वर्ग होली के दिन नशा करने और फुहड गीतो में नाचने में ही अपनी वाहवाही समझते है। हांलाकि कई जगहो पर होली के मौके पर ढोल, मंजीरा झाल आदि से र्कीतन और फगुवा गीत गाया जाता है। लेकिन इनकी संख्या बेहद कम है। डिजिटल इंडिया बन रहे हिन्दुस्तान में अब डिजिटल होली भी देखने को मिल रहा है। लोग होली के दिन घर से बाहर नहीं निकलते है और सोशल मिडिया जैसे वाटसअप, फेसबुक, ट्युटर में ही अपने दोस्तो और परिजनो को रंग और पिचकारी भेज कर होली का डिजिटल आनंद लेते है। होली की मिठाईयां भी सोशल मिडिया में ही भेज दी जाती है। होली के रंग का समय बितने के बाद तो सोशल मिडिया में नहाने के लिए बाल्टी भर पानी और साबुन भी भेजा जा रहा है।
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