जिले के कई गांवो में चलता है खटिया एंबुलेंस
सिमडेगा जिले में कई गांवों में एंबुलेंस की सुविधा नहीं है। ग्रामीणों को बीमार होने पर खटिया में लेटाकर सड़क तक लाया जाता है, जहां एंबुलेंस मिलती है। यह स्थिति सरकार के दावों पर सवाल उठाती है, जबकि...

सिमडेगा। डिजीटल युग में जहां बेहतर स्वास्थ्य के नाम पर करोड़ो अरबो रूपये स्वाहा हो रहे है, वहीं आदिवासी बहुल सिमडेगा जिला में कई गांव में आज भी एंबुलेंस सिस्टम खटिया में चल रहा है। जिले के कई गांव एैसे है जहां पहुचंने के लिए सड़क नहीं है, अमृत काल में लोग मुलभुत सुविधा के लिए तरस रहे है। बदहाली का आलम यह है कि गावं में कोई बीमार हो जाए तो गांव तक एंबुलेंस भी नहीं पहुंच पाता है। मरीज को खटिया में लेटाकर सड़क तक लाया जाता है तब जाकर एंबुलेंस या कोई अन्य वाहन मिलता है, जिससे अस्पताल तक पहुंचा जाता है। खटिया वाले एंबुलेंस के चक्कर में कई बार तो मरीजों की मौत तक हो जा रही है। देश को खेल, राजनीति, कला, साहित्य के क्षेत्र में कई नगीने देने वाले जिले के गांव में खटिया में एंबुलेंस सिस्टम चलने का दृश्य शर्मशार करने वाला है। एक ओर सरकार हर घर तक एंबुलेंस सुविधा पहुंचाने का दावा करती है वहीं गांवो तक एंबुलेंस का नहीं पहुंच पाना सरकार के दावो पर भी प्रश्नचिन्ह लगाती है।
एक दो नहीं दर्जनो गांव में है खटिया वाले एंबुलेंस का सिस्टम
जिले में एक दो नहीं दर्जनो एैसे गांव है जहां के ग्रामीण एंबुलेंस के रूप में खटिया का उपयोग करते है। केरसई प्रखंड के मुडियाडीह गुटबहार, चामा टोली, पाकरटांड प्रखंड के चटोरदा, गायचंदा, हल्दीबेड़ा, रामलोया,खम्हनडांड, चुंदीयारी,जलडेगा प्रखंड के जामझरिया, टीनगीना डोंगीझरिया, डीपाटोली, गरूडांड़, खरवागढ़ा डेंबुटोली बानो प्रखंड के कर्मदायर, डुमरिय, एकोदा, बरटोली, पांगुर पुरनापानी कुरडेग प्रखंड के धंगरीनाचा, चोंरगा, बाकीकोना, डोंगापानी, टांगरटोली, मुडाअंबा, ढ़ोरीपतरा ठेठईटांगर प्रखंड के घुटबहार बेलीटोली, गौरीडुबा कोलेबिरा प्रखंड के ब्रसलोया बरटोली, माझेटोली नदी डिपा, सरईपानी चडरी आदि कई एैसे गांव है जहां अब भी खटिया में स्वास्थ्य सिस्टम चल रहा है।
योजनाओं के चयन में मिलनी चाहिए प्राथमिकता
मुलभुल सुविधा के लिए तरस रहे ग्रामीणों ने सरकार से योजनाओं के चयन के लिए निति बनाने की मांग की है। ग्रामीणों ने कहा कि सरकार के द्वारा गांव स्तर पर कर्मी उपलब्ध है उसके बावजुद गांव की समस्या का समाधान नहीं होना समझ से परे है। ग्रामीणों ने सरकार से योजनाओ के चयन में बदलाव करने की मांग करते हुए कहा कि सबसे पहले एैसे गांव में योजनाएं ली जानी चाहिए जहां अब तक पहुंच पथ, पेयजल, बिजली की सुविधा बहाल नहीं हुई है। योजनाओ के चयन के लिए भी जिम्मेवारी तय करनी चाहिए ताकि सुविधाविहिन गांव की दशा सुधर सके।
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