नॉर्मल डिलीवरी में महिलाओं को दर्द क्यों होता है? ये 7 वजह होती हैं जिम्मेदार
नॉर्मल डिलीवरी के दौरान लेबल पैन शुरू होने से लेकर बच्चा पैदा होने के बीच महिलाएं बहुत तेज दर्द से होकर गुजरती हैं। ऐसे में अगर आप इस सवाल का जवाब जानना चाहते हैं कि आखिर महिलाओं को प्रसव के दौरान इतना तेज दर्द क्यों होता है तो आइए जानते हैं इसका जवाब।

एक मां के लिए अपने गर्भ में पल रहे शिशु को दुनिया में लाना, एक बेहद प्यारा अहसास होता है। हालांकि यह प्रक्रिया मां और शिशु, दोनों के लिए शारीरिक और भावनात्मक रूप से बेहद चुनौतीपूर्ण होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि नॉर्मल डिलीवरी के दौरान लेबल पैन शुरू होने से लेकर बच्चा पैदा होने के बीच महिलाएं बहुत तेज दर्द से होकर गुजरती हैं। ऐसे में अगर आप इस सवाल का जवाब जानना चाहते हैं कि आखिर महिलाओं को प्रसव के दौरान इतना तेज दर्द क्यों होता है तो आइए जानते हैं इसका जवाब।
प्रसव के दौरान महिलाओं को दर्द होने के पीछे के कारण
गर्भाशय की संकुचन (Uterine Contractions)
प्रसव के दौरान गर्भाशय की मांसपेशियां बार-बार सिकुड़ती और ढीली होती हैं। यह संकुचन बहुत तीव्र होती हैं, जिससे महिला को दर्द होता है। यह दर्द पेट और कमर में ऐंठन जैसा महसूस हो सकता है।
ग्रीवा का खुलना (Cervical Dilation)
बच्चे के जन्म के लिए ग्रीवा (cervix) को खुलना पड़ता है, जो 10 सेंटीमीटर तक फैलती है। यह प्रक्रिया बहुत दर्दनाक हो सकती है, क्योंकि ऐसा होने पर ग्रीवा के आसपास की नसें दबाव और खिंचाव का अनुभव करती हैं।
योनि मार्ग की हड्डियों पर दबाव
जन्म के लिए जैसे-जैसे शिशु नीचे आता है, पेल्विक (pelvis) और योनि मार्ग की हड्डियों और नसों पर दबाव डालता है। यह दबाव तीव्र दर्द और जलन का कारण बन सकता है, खासकर जब बच्चे का सिर बाहर निकलता है ।
मांसपेशियों और ऊतकों का खिंचाव
प्रसव के दौरान योनि और आसपास के ऊतक खिंचते हैं ताकि बच्चे को निकलने का रास्ता मिल सके। यह खिंचाव दर्द का एक बड़ा कारण होता है। कुछ मामलों में, पेरिनियम (योनि और गुदा के बीच का क्षेत्र) में चीरा (episiotomy) लगाया जाता है, जो दर्द को और बढ़ा सकता है।
हार्मोनल और तंत्रिका तंत्र की भूमिका
प्रसव के दौरान ऑक्सीटोसिन जैसे हार्मोन गर्भाशय के संकुचन को प्रेरित करते हैं, जो दर्द संकेतों को मस्तिष्क तक भेजते हैं। तंत्रिका तंत्र दर्द को और तीव्र महसूस करवा सकता है, खासकर अगर मां तनावग्रस्त या चिंतित हो।
मनोवैज्ञानिक कारक
प्रसव के दौरान डर, चिंता, या तनाव दर्द की तीव्रता को बढ़ा सकते हैं।
व्यक्तिगत शारीरिक संरचना
प्रत्येक महिला का शरीर अलग होता है। कुछ महिलाओं में श्रोणि की संरचना, बच्चे का आकार, या उसकी स्थिति (position) दर्द को प्रभावित कर सकती है। पहली बार प्रसव करने वाली महिलाओं को आमतौर पर अधिक दर्द का अनुभव होता है, क्योंकि उनका शरीर इस प्रक्रिया के लिए नया होता है।
दर्द को कम करने के उपाय (Ways to Manage Pain)
-गहरी सांस लेने की तकनीक, दर्द को कम कर सकती हैं।
-गर्म पानी में प्रसव से दर्द में राहत मिल सकती है।
-प्रसव पूर्व कक्षाएं (antenatal classes) और ध्यान दर्द को सहने की क्षमता बढ़ा सकते हैं।
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