43 rohingya refugees forcefully deported in sea plea reaches supreme court मीलॉर्ड! समंदर में फेंके गए 43 रोहिंग्या रिफ्यूजी, SC में दाखिल वापस लाने की अर्जी, India News in Hindi - Hindustan
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मीलॉर्ड! समंदर में फेंके गए 43 रोहिंग्या रिफ्यूजी, SC में दाखिल वापस लाने की अर्जी

आरोप है कि 43 रोहिंग्या रिफ्यूजियों में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं। इसके अलावा कई लोग तो इनमें ऐसे हैं, जिन्हें कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां भी हैं। याचिका में मांग की गई है कि इन शरणार्थियों को दिल्ली वापस लाया जाए और कस्टडी से रिहा किया जाए।

Surya Prakash लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 14 May 2025 11:29 AM
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मीलॉर्ड! समंदर में फेंके गए 43 रोहिंग्या रिफ्यूजी, SC में दाखिल वापस लाने की अर्जी

सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल हुई है, जिसमें केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि 43 रोहिंग्या शरणार्थियों को हाथ और आंखें बांधकर समुद्र में फेंक दिया गया है। याची का कहना है कि इन लोगों को वापस लिया जाए। इस याचिका में सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा गया कि रोहिंग्या शरणार्थियों को सरकार ने जबरन बाहर निकाला है। आरोप है कि 43 रोहिंग्या रिफ्यूजियों में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग शामिल हैं। इसके अलावा कई लोग तो इनमें ऐसे हैं, जिन्हें कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां भी हैं। याचिका में मांग की गई है कि इन शरणार्थियों को दिल्ली वापस लाया जाए और कस्टडी से रिहा किया जाए।

याचिका में आरोप लगाया गया है कि रोहिंग्या शरणार्थियों को पहले एयरपोर्ट ले जाया गया। इसके बाज इन्हें पोर्ट ब्लेयर में ले जाकर नेवी के जहाजों में बिठा दिया गया। इस दौरान इन लोगों की आंखों और हाथों को बांध दिया गया था। यह भी आरोप लगाया जा रहा है कि इन लोगों की जिंदगी की परवाह किए बिना ही इन्हें समुद्र के पानी में फेंक दिया गया। याची ने कहा कि इन शरणार्थियों को बायोमीट्रिक डिटेल लेने के लिए बुलाया गया था, लेकिन उन्हें फिर रिहा नहीं किया गया। इसकी बजाय इन लोगों को जबरन ही देश से बाहर कर दिया गया। वहीं इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश का ही जिक्र किया।

उन्होंने कहा कि 8 अप्रैल 2021 को शीर्ष अदालत ने आदेश दिया था कि सरकार की यह जिम्मेदारी है कि वह कानून के तहत इन लोगों को वापस भेजने की कार्रवाई करे। जस्टिस सूर्यकांत के नेतृत्व वाली बेंच के समक्ष याचियों ने कहा कि इन शरणार्थियों के पास UNHRC की ओर से जारी किए गए कार्ड भी थे। फिर भी इन लोगों को अरेस्ट किया गया और देश से बाहर निकाला गया है। दरअसल अप्रैल 2021 के अपने फैसले में शीर्ष अदालत ने कहा कि आर्टिकल 14 और 21 के तहत मूल अधिकारों की गारंटी भारतीय नागरिकों और अन्य लोगों को है। लेकिन इसमें यह गारंटी शामिल नहीं है कि कोई यदि अवैध रूप से भारत में एंट्री कर जाए तो उसे बाहर नहीं निकाल जाएगा।