Government told Lok Sabha Ganga water was suitable for bathing in MahaKumbh 2025 क्या नहाने लायक नहीं था महाकुंभ में गंगा का पानी? उठे कई सवाल, अब सरकार ने संसद में दिया जवाब, India Hindi News - Hindustan
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क्या नहाने लायक नहीं था महाकुंभ में गंगा का पानी? उठे कई सवाल, अब सरकार ने संसद में दिया जवाब

  • केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि सीपीसीबी की रिपोर्ट के अनुसार निगरानी वाले सभी स्थानों पर पीएच, घुलित ऑक्सीजन (DO), जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (BOD) और फीकल कॉलीफॉर्म (FC) के औसत मान स्नान के लिए स्वीकार्य सीमा के भीतर थे।

Niteesh Kumar भाषाMon, 10 March 2025 05:15 PM
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क्या नहाने लायक नहीं था महाकुंभ में गंगा का पानी? उठे कई सवाल, अब सरकार ने संसद में दिया जवाब

केंद्र सरकार ने हाल में संपन्न महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में त्रिवेणी संगम पर गंगा के पानी को स्नान के लिए उपयुक्त बताया है। सोमवार को लोकसभा में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) की नई रिपोर्ट का हवाला देते हुए यह बताया गया। सरकार ने यह भी कहा कि उसने 2022-23, 2023-24 और 2024-25 (9 मार्च तक) में गंगा की सफाई के लिए राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन को कुल 7,421 करोड़ रुपये मुहैया कराए। समाजवादी पार्टी के सांसद आनंद भदौरिया और कांग्रेस सांसद के. सुधाकरन के प्रश्न पर लिखित जवाब दिया गया। इसमें केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि सीपीसीबी की रिपोर्ट के अनुसार निगरानी वाले सभी स्थानों पर पीएच, घुलित ऑक्सीजन (DO), जैव रासायनिक ऑक्सीजन मांग (BOD) और फीकल कॉलीफॉर्म (FC) के औसत मान स्नान के लिए स्वीकार्य सीमा के भीतर थे।

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डीओ पानी में ऑक्सीजन की मात्रा को दर्शाता है। बीओडी कार्बनिक पदार्थों को तोड़ने के लिए आवश्यक ऑक्सीजन को मापता है। एफसी जलमल का सूचक है। ये जल गुणवत्ता के प्रमुख संकेतक हैं। सीपीसीबी ने 3 फरवरी की एक रिपोर्ट में राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) को सूचना दी थी। इसमें कहा गया कि महाकुंभ के दौरान प्रयागराज में कई स्थानों पर पानी उच्च फीकल कॉलीफॉर्म स्तर के कारण प्राथमिक स्नान जल गुणवत्ता मानक को पूरा नहीं करता। हालांकि, 28 फरवरी को एनजीटी को सौंपी गई एक नई रिपोर्ट में सीपीसीबी ने कहा कि सांख्यिकीय विश्लेषण बताता है कि महाकुंभ में पानी की गुणवत्ता स्नान के लिए उपयुक्त थी।

सरकार ने किन रिपोर्ट्स का दिया हवाला

सीपीसीबी की रिपोर्ट में कहा गया कि सांख्यिकीय विश्लेषण इसलिए आवश्यक था, क्योंकि एक ही स्थान से अलग-अलग तिथियों और एक ही दिन में अलग-अलग स्थानों से एकत्र किए गए नमूनों में आंकड़ों की भिन्नता थी। इसके कारण ये नदी क्षेत्र में समग्र नदी जल की गुणवत्ता को प्रतिबिंबित नहीं करते थे। बोर्ड की 28 फरवरी की तारीख वाली इस रिपोर्ट को सात मार्च को एनजीटी की वेबसाइट पर अपलोड किया गया। बोर्ड ने 12 जनवरी से लेकर अब तक प्रति सप्ताह दो बार, जिसमें अमृत स्नान के दिन भी शामिल हैं, गंगा नदी पर 5 स्थानों व यमुना नदी पर 2 स्थानों पर जल गुणवत्ता पर निगरानी रखी।

संगम नोज समेत कई जगहों पर हुई जांच

कमलेश सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य एवं अन्य के मामले में एनजीटी ने 23 दिसंबर, 2024 को अहम निर्देश दिया था। इसमें कहा कि गंगा और यमुना के जल की गुणवत्ता पर महाकुंभ के दौरान बार-बार नियमित निगरानी रखी जानी चाहिए। यादव ने कहा कि इस आदेश पर सीपीसीबी ने संगम नोज (जहां गंगा और यमुना का मिलन होता है) सहित श्रृंगवेरपुर घाट से दीहाघाट तक 7 स्थानों पर सप्ताह में दो बार जल गुणवत्ता की निगरानी की। उन्होंने कहा कि निगरानी 12 जनवरी को शुरू हुई और इसमें अमृत स्नान के दिन शामिल थे।

NGT की रिपोर्ट में क्या आया सामने

यादव ने कहा कि सीपीसीबी ने 3 फरवरी को एनजीटी को अपनी प्रारंभिक निगरानी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें 12 से 26 जनवरी, 2025 के बीच एकत्र जल गुणवत्ता के आंकड़े शामिल थे। रिपोर्ट में प्रयागराज में स्थापित 10 जलमल शोधन संयंत्र (एसटीपी) और सात जियोसिंथेटिक डीवाटरिंग ट्यूब (जियो-ट्यूब) के आंकड़े भी शामिल हैं। बाद में, सीपीसीबी ने निगरानी स्थानों की संख्या बढ़ाकर 10 कर दी और 21 फरवरी से प्रतिदिन दो बार परीक्षण शुरू किया। यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश जल निगम ने अपशिष्ट जल के उपचार और अनुपचारित पानी को गंगा में जाने से रोकने के लिए उन्नत ऑक्सीकरण तकनीकों का इस्तेमाल किया।