अब इस देश से भारत आएंगे 8 चीते, गांधी सागर अभयारण्य में छोड़ने की है योजना
- वर्तमान में कुनो नेशनल पार्क में 26 चीते हैं, जिनमें 14 भारत में जन्मे शावक शामिल हैं। इनमें से 16 चीते खुले जंगल में घूम रहे हैं, जबकि 10 को पुनर्वास केंद्र (संरक्षित बाड़ों) में रखा गया है।

भारत अपनी वन्यजीव संरक्षण परियोजना के तहत बोत्सवाना से आठ चीतों को लाने की तैयारी कर रहा है। अधिकारियों के अनुसार, यह प्रक्रिया दो चरणों में पूरी होगी, जिसमें पहले चार चीते मई 2025 तक भारत पहुंच जाएंगे। यह कदम भारत में चीता संरक्षण और प्रजनन को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। भारत सरकार ने चीता पुनर्वास परियोजना के तहत पहले ही नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से चीतों को लाकर मध्य प्रदेश के कुनो नेशनल पार्क में बसाया है। वर्तमान में कुनो नेशनल पार्क में 26 चीते हैं, जिनमें 14 भारत में जन्मे शावक शामिल हैं। इनमें से 16 चीते खुले जंगल में घूम रहे हैं, जबकि 10 को पुनर्वास केंद्र (संरक्षित बाड़ों) में रखा गया है।
मध्यप्रदेश सरकार की ओर से जारी एक विज्ञप्ति में राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) के अधिकारियों के हवाले से कहा गया, ‘‘दक्षिण अफ्रीका, बोत्सवाना और केन्या से अधिक चीतों को भारत लाने के प्रयास जारी हैं। आठ चीतों को दो चरणों में भारत लाया जाएगा। मई 2025 तक बोत्सवाना से चार चीतों को भारत लाने की योजना है। इसके बाद चार और चीतों को लाया जाएगा। वर्तमान में, भारत और केन्या के बीच एक समझौते पर सहमति बनाई जा रही है।’’
गांधी सागर अभयारण्य में शिफ्ट की योजना
बैठक में एनटीसीए के अधिकारियों ने बताया कि देश में चीता परियोजना पर अब तक 112 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किए गए हैं, जिसमें से 67 प्रतिशत मध्यप्रदेश में चीता पुनर्वास में खर्च किया गया है। ‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत चीतों को अब गांधी सागर अभयारण्य में भी चरणबद्ध तरीके से शिफ्ट किया जाएगा। गांधी सागर अभयारण्य राजस्थान की सीमा से सटा हुआ है, इसलिए मध्यप्रदेश और राजस्थान के बीच अंतरराज्यीय चीता संरक्षण क्षेत्र स्थापित करने के लिए सैद्धांतिक समझौता किया गया है।
चीता मित्रों को विशेष प्रशिक्षण
वर्तमान में ‘चीता मित्रों’ की क्षमता बढ़ाने के लिये उन्हें कूनो राष्ट्रीय उद्यान और गांधी सागर अभयारण्य में विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बैठक में वन अधिकारियों ने बताया कि वर्तमान में कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में 26 चीते हैं, जिनमें से 16 खुले जंगल में और 10 पुनर्वास केंद्र (बाड़ों) में हैं। अधिकारियों ने कहा कि चीतों की निगरानी के लिए ‘सैटेलाइट कॉलर आईडी’ का उपयोग करके 24 घंटे निगरानी की जा रही है। उन्होंने बताया कि मादा चीता ज्वाला, आशा, गामिनी और वीरा ने शावकों को जन्म दिया है। इतना ही नहीं, केएनपी में पर्यटकों की संख्या दो साल में दोगुनी हो गई है।
अधिकारियों ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ने उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर कर कूनो में चीता सफारी शुरू करने की अनुमति मांगी है। वन क्षेत्रों या ईको सेंसिटिव जोन में सफारी शुरू करने के लिए यह अनुमति जरूरी है। इस याचिका पर फैसला होना बाकी है।’’ अधिकारियों के मुताबिक पांच मादा और तीन नर सहित आठ नामीबियाई चीतों को 17 सितंबर, 2022 को केएनपी में छोड़ा गया था। उनके मुताबिक फरवरी 2023 में, 12 और चीतों को दक्षिण अफ्रीका से केएनपी में स्थानांतरित किया गया। वर्तमान में, केएनपी में 26 चीते हैं, जिनमें भारत में जन्मे 14 शावक शामिल हैं।
(इनपुट एजेंसी)