'दलित के मुख्यमंत्री बनने का समय अभी नहीं आया', कर्नाटक के मंत्री ने इशारों में क्या कहा
- मुनियप्पा ने कहा, 'दलित समुदाय से किसी को मुख्यमंत्री पद देने की इच्छा है। लेकिन ऐसा लगता है कि इसके लिए अभी समय नहीं आया है। जब हमारे पास पहले से ही एक मुख्यमंत्री है, तो हम ऐसे मामलों पर चर्चा नहीं कर सकते।'

कर्नाटक के मंत्री केएच मुनियप्पा ने शनिवार को दावा किया कि राज्य में दलित के लिए मुख्यमंत्री बनने का समय अभी नहीं आया है। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर अभी बात करना उचित नहीं है, क्योंकि सिद्धारमैया फिलहाल मुख्यमंत्री हैं और इस पद पर बने रहेंगे। उन्होंने कहा कि हाई कमान ऐसे सभी मामलों पर फैसला लेगा, जिसमें नया कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त करना भी शामिल है। हर कोई इस फैसले का पालन करेगा। हालांकि, उन्होंने स्वीकार किया कि दलित समुदाय की ओर से मांग है कि जब समय आए तो उन्हें मौका दिया जाए। मुनियप्पा दलित समुदाय से आने वाले वरिष्ठ कांग्रेस नेता हैं। उन्होंने एक सवाल के जवाब में कहा, 'कांग्रेस हमेशा से सभी समुदायों को सामाजिक, शैक्षिक और आर्थिक रूप से समानता देने के लिए प्रतिबद्ध रही है।'
केएच मुनियप्पा ने याद किया कि जब धरम सिंह मुख्यमंत्री थे, तब उन्होंने कहा था कि मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे सीनियर नेता को उनका उत्तराधिकारी बनना चाहिए। बाद में, जब 2013 में सिद्धारमैया मुख्यमंत्री बने, तब मुनियप्पा ने आग्रह किया कि उस समय पार्टी अध्यक्ष रहे जी. परमेश्वर को उपमुख्यमंत्री बनाया जाए, भले ही वह चुनाव हार गए थे। उन्होंने कहा, 'दलित समुदाय से किसी को मुख्यमंत्री पद देने की इच्छा है। लेकिन ऐसा लगता है कि इसके लिए अभी समय नहीं आया है। जब हमारे पास पहले से ही एक मुख्यमंत्री है, तो हम ऐसे मामलों पर चर्चा नहीं कर सकते। पार्टी अध्यक्ष का पद भी आलाकमान के अधिकार क्षेत्र में है। कब अध्यक्ष बदलना है और इन मामलों का फैसला कैसे करना है, यह पूरी तरह हाईकमान का कॉल है।'
दलित मुख्यमंत्री की मांग पर लंबे समय से चर्चा
कांग्रेस के भीतर दलित मुख्यमंत्री की मांग लंबे समय से चर्चा का विषय रही है। समुदाय के वरिष्ठ नेता (जैसे कि सिद्धारमैया कैबिनेट में मंत्री जी. परमेश्वर और एचसी महादेवप्पा) इस पर पहले भी बोल चुके हैं। मुनियप्पा ने कहा कि उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार पार्टी अध्यक्ष बने रहेंगे और इस पर भी सहमति है। उन्होंने कहा, 'जब बदलाव का समय आएगा तब हाई कमान फैसला लेगा। यह ऐसा कुछ नहीं है जो हम अपने स्तर पर कर सकें। इन समुदायों की अपील बस इतनी है कि हमें मौका दो। हम आलाकमान के जो भी फैसले होंगे, उसका पालन करेंगे।' राजनीतिक हलकों में इस साल के अंत में मुख्यमंत्री बदलने की संभावना को लेकर अटकलें थीं, जिसमें सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच सत्ता साझेदारी समझौते का हवाला दिया गया था। हालांकि, पार्टी हाई कमान के सख्त निर्देशों के बाद ऐसी चर्चाएं पीछे छूट गई हैं।