Painful to take action against lawyers at the fag end of my career Why Justice Bela Trivedi get emotional करियर के अंतिम दौर में... लेडी वकील पर ऐक्शन ले क्यों भावुक हो उठीं जस्टिस बेला त्रिवेदी, India Hindi News - Hindustan
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करियर के अंतिम दौर में... लेडी वकील पर ऐक्शन ले क्यों भावुक हो उठीं जस्टिस बेला त्रिवेदी

सुंदरम पर आरोप है कि उन्होंने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद अपने मुवक्किल का आत्मसमर्पण नहीं करवाया और तथ्यों को छिपाकर दूसरी बार विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की।

Pramod Praveen लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 9 April 2025 11:23 PM
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करियर के अंतिम दौर में... लेडी वकील पर ऐक्शन ले क्यों भावुक हो उठीं जस्टिस बेला त्रिवेदी

सुप्रीम कोर्ट की सीनियर जज जस्टिस बेला एम त्रिवेदी बुधवार को तब भावुक हो गईं, जब उन्हें एक लेडी वकील के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करनी पड़ी। उन्होंने बेहद भावनात्मक और दृढ़ वक्तव्य देते हुए टिप्पणी की कि अपने करियर के अंतिम चरण में वकीलों के खिलाफ उनके कदाचार के लिए सख्त कदम उठाना उनके लिए अत्यंत पीड़ादायक है। उन्होंने कहा, “मेरे लिए यह बेहद कष्टदायक है कि अपने करियर के अंतिम पड़ाव पर मुझे ऐसे कदम उठाने पड़ रहे हैं। लेकिन मैं गलत को अनदेखा नहीं कर सकती।

बार एंड बेंच की एक रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ एन ईश्वरनाथन बनाम राज्य सरकार के एक आपराधिक मामले की सुनवाई कर रही थी, जिसमें कोर्ट ने पहले एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड पी सोमा सुंदरम को एक मामले में तथ्यों को कथित रूप से छिपाने के लिए फटकार लगाई थी।

क्या है मामला?

दरअसल, सुंदरम पर आरोप है कि उन्होंने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट के स्पष्ट आदेश के बावजूद अपने मुवक्किल का आत्मसमर्पण नहीं करवाया और तथ्यों को छिपाकर दूसरी बार विशेष अनुमति याचिका (SLP) दायर की। आरोपी आठ महीने तक आत्मसमर्पण से बचता रहा। इस बात का पता लगने पर जस्टिस बेला एम त्रिवेदी ने एडवोकेट सुंदरम को फटकार लगाई। हालांकि, सुंदरम ने बिना शर्त माफी मांग ली लेकिन जस्टिस त्रिवेदी ने उसे अस्वीकार कर दिया।

बार ने की नरमी बरतने की अपील

सुनवाई के दौरान बार के वरिष्ठ सदस्यों ने कोर्ट से नरमी बरतने की अपील की, लेकिन जस्टिस त्रिवेदी ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “आप सब मिलकर अदालत पर दबाव बनाते हैं कि आदेश न दिया जाए, और अदालतें दबाव में आ जाती हैं।” जस्टिस त्रिवेदी ने आगे कहा, “माफी मांग लेना सबसे आसान बहाना है। पिछली बार भी बिना शर्त माफी मांगी गई थी।” साथ ही उन्होंने यह भी इंगित किया कि सुंदरम की दलीलें अस्पष्ट थीं और पहले दिए गए आदेश की जानकारी याचिकाकर्ता को कैसे दी गई, इस पर भी कोई स्पष्टता नहीं थी। कोर्ट ने पूछा, “आपका स्पष्टीकरण कहां है? जब दो सप्ताह में आत्मसमर्पण करना था तो आठ महीने तक क्यों नहीं किया? और आप दूसरी SLP दाखिल करने की हिम्मत कैसे कर सकती हैं?” इसके बाद इस मामले में कोर्ट ने अपना आदेश सुरक्षित रख लिया।

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गलत काम के प्रति आंखें बंद नहीं कर सकती

हालांकि, आदेश सुरक्षित रखते हुए जस्टिस त्रिवेदी ने लिखा, "यह मेरे लिए पीड़ादायक है कि अपने करियर के अंतिम चरण में मुझे ऐसे कदम उठाने पड़ रहे हैं लेकिन मैं गलत कामों के प्रति अपनी आंखें बंद नहीं कर सकती। अगर दूसरों ने गलत किया होता, तो क्या हम बिना शर्त माफी स्वीकार करते? सिर्फ़ इसलिए कि आप एओआर हैं, हम इसे स्वीकार कर लें?"

यह पहली बार नहीं है जब जस्टिस त्रिवेदी ने बार के स्तर में गिरावट को लेकर चिंता जताई हो। उन्होंने कहा, “मानक इतने गिर गए हैं। हमने SCAORA और SCBA से ठोस प्रस्ताव मांगे थे, लेकिन कोई भी संस्थान के लिए नहीं सोच रहा है।” उन्होंने यह भी बताया कि उनके पूर्व निर्देशों को भी नजरअंदाज किया गया। बता दें कि जस्टिस त्रिवेदी, जो 9 जून को सेवानिवृत्त हो रही हैं।