SC to hear petition of Ashoka University professor Ali Khan Mahmudabad Operation Sindoor remarks प्रोफेसर महमूदाबाद की याचिका पर सुनवाई को तैयार SC, ऑपरेशन सिंदूर पर टिप्पणी के चलते हुई गिरफ्तारी, India News in Hindi - Hindustan
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प्रोफेसर महमूदाबाद की याचिका पर सुनवाई को तैयार SC, ऑपरेशन सिंदूर पर टिप्पणी के चलते हुई गिरफ्तारी

प्रोफेसर महमूदाबाद को 20 मई तक पुलिस हिरासत में रखा गया है। सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई को लेकर सभी की निगाहें अब अगले कुछ दिनों पर टिकी हैं।

Amit Kumar लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीMon, 19 May 2025 12:07 PM
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प्रोफेसर महमूदाबाद की याचिका पर सुनवाई को तैयार SC, ऑपरेशन सिंदूर पर टिप्पणी के चलते हुई गिरफ्तारी

सुप्रीम कोर्ट ने अशोका यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर और राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख अली खान महमूदाबाद की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई है। प्रोफेसर महमूदाबाद को 'ऑपरेशन सिंदूर' से संबंधित सोशल मीडिया टिप्पणियों के लिए हरियाणा पुलिस ने 18 मई को गिरफ्तार किया था। इस मामले को वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में उठाया।

प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने एसोसिएट प्रोफेसर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल की दलीलों पर गौर किया और कहा कि याचिकाओं को मंगलवार या बुधवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाएगा। सिब्बल ने कहा, ‘‘उन्हें देशभक्ति वाले बयान के लिए गिरफ्तार किया गया है। कृपया इसे आज सूचीबद्ध करें।’’ प्रधान न्यायाधीश ने कहा, ‘‘कृपया इसे कल या परसों सूचीबद्ध किया जाए।’’

प्रोफेसर महमूदाबाद की गिरफ्तारी हरियाणा के बीजेपी युवा मोर्चा के महासचिव योगेश जठेरी की शिकायत पर हुई थी। इसके अलावा, हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया की शिकायत पर भी उनके खिलाफ एक अलग प्राथमिकी दर्ज की गई थी। आयोग ने दावा किया था कि महमूदाबाद की टिप्पणियां भारतीय सशस्त्र बलों की महिला अधिकारियों, विशेष रूप से कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह, को अपमानित करने वाली थीं और सांप्रदायिक सद्भाव को बिगाड़ने वाली थीं।

महमूदाबाद ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में 'ऑपरेशन सिंदूर' के प्रेस ब्रीफिंग में महिला अधिकारियों की भागीदारी को "प्रतीकात्मक" बताया था, लेकिन साथ ही कहा था कि यह "यदि जमीनी हकीकत में नहीं बदला तो केवल दिखावा" होगा। उन्होंने दक्षिणपंथी टिप्पणीकारों से यह भी अपील की थी कि वे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ होने वाली हिंसा, जैसे मॉब लिंचिंग और अवैध बुलडोजिंग, के पीड़ितों के लिए भी उतनी ही मुखरता से आवाज उठाएं।

अशोका यूनिवर्सिटी के फैकल्टी एसोसिएशन ने इस कार्रवाई को "निराधार" बताते हुए प्रोफेसर के तत्काल रिहाई की मांग की है। कई राजनीतिक नेताओं, शिक्षाविदों और कार्यकर्ताओं, जिनमें AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी और CPI(M) की नेता सुभाषिणी अली शामिल हैं, ने भी इस गिरफ्तारी की निंदा की है।

प्रोफेसर को ‘विचारशील’ पोस्ट के लिए गिरफ्तार किया, उनकी दूसरी गलती उनका नाम है: कांग्रेस

कांग्रेस ने रविवार को कहा कि हिंसा के खिलाफ एक ‘‘विचारशील’’ पोस्ट लिखने के लिए एक शिक्षाविद को गिरफ्तार करना और सशस्त्र बलों को ‘‘अपमानित’’ करने के लिए भाजपा मंत्रियों पर कोई कार्रवाई नहीं होना नरेन्द्र मोदी सरकार के ‘‘दोहरे मानदंडों’’ को उजागर करता है। विपक्षी पार्टी की यह तीखी टिप्पणी हरियाणा पुलिस द्वारा अशोका विश्वविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग के प्रमुख अली खान महमूदाबाद को उनके ‘ऑपरेशन सिंदूर’ वाले बयान के लिए गिरफ्तार किए जाने के बाद आई है।

कांग्रेस के मीडिया और प्रचार विभाग के प्रमुख पवन खेड़ा ने कहा, ‘‘उनकी (प्रोफेसर) एकमात्र गलती यह है कि उन्होंने यह पोस्ट लिखी है। उनकी दूसरी गलती उनका नाम है। यह मोदी सरकार के तहत नए भारत की स्थिति है।’’ खेड़ा ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा कि महमूदाबाद को एक ‘‘विचारशील’’ फेसबुक पोस्ट के लिए गिरफ्तार किया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘एक इतिहासकार और शिक्षाविद को हिंसा भड़काने के लिए नहीं बल्कि इसके खिलाफ वकालत करने के लिए जेल भेजा गया है। उनका अपराध? सत्ता के सामने सच बोलने की हिम्मत करना, भाजपा के सांप्रदायिक विमर्श और छाती पीटने वाले राष्ट्रवाद के पाखंड को उजागर करना।’’

कांग्रेस नेता ने कहा, ‘‘इस बीच, भाजपा के मंत्री और उनके उपमुख्यमंत्री को सशस्त्र बलों का खुलेआम अपमान करने के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं झेलनी पड़ी। कोई प्राथमिकी नहीं। कोई गिरफ्तारी नहीं। यह मोदी के शासन का दोहरा मापदंड है।’’

(इनपुट एजेंसी)