Supreme Court Angry on Advocate Says Hmmm Asks How Lawyers Come Without Preparation अदालत में हम्म करने लगा वकील तो भड़क गए सुप्रीम कोर्ट के जज, बोले- बिना तैयारी के कैसे..., India Hindi News - Hindustan
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अदालत में हम्म करने लगा वकील तो भड़क गए सुप्रीम कोर्ट के जज, बोले- बिना तैयारी के कैसे...

  • जब सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस पारदीवाला ने पूछा कि अपराध कब हुआ था तो इस पर भी वकील के पास कोई जवाब नहीं था। वकील ने हम्म में जवाब दिया, जिस पर जज भड़क गए।

Madan Tiwari लाइव हिन्दुस्तान, नई दिल्लीThu, 17 April 2025 06:16 PM
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अदालत में हम्म करने लगा वकील तो भड़क गए सुप्रीम कोर्ट के जज, बोले- बिना तैयारी के कैसे...

सुप्रीम कोर्ट में रोजाना विभिन्न मामलों की सुनवाई होती है। इसमें कई केस ऐसे होते हैं, जोकि चर्चाओं में आ जाते हैं। एक ऐसा ही मामला सामने आया, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के जज वकील के हम्म करने पर गुस्सा हो गए। उन्होंने कहा कि पूछा कि आखिर क्यों वकील बिना किसी तैयारी के आ जाते हैं।

'बार एंड बेंच' के अनुसार, एक मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस पारदीवाला ने पूछा, ''सेशन केस नंबर क्या है?'' इस पर वकील ने जवाब दिया, ''यह क्या होता है?'' इस पर जस्टिस पारदीवाला ने कहा कि गुड, चार्ज कब फ्रेम किए गए? वकील ने चार्ज की जगह चार्जशीट का जिक्र कर दिया और कहा कि चार्जशीट फाइल की जा चुकी है। कोर्ट ने फिर गुस्से में पूछा कि मैं चार्ज के बारे में पूछ रहा हूं। इसके बाद कोर्ट ने झल्लाते हुए चार्ज की स्पेलिंग भी बताई- CHARGE।

जब जस्टिस पारदीवाला ने पूछा कि अपराध कब हुआ था तो इस पर भी वकील के पास कोई जवाब नहीं था। वकील ने हम्म में जवाब दिया, जिस पर जज भड़क गए। उन्होंने कहा कि वकील बिना किसी तैयारी के रोजाना कोर्ट में कैसे पेश हो सकते हैं? रोजाना ऐसा होता है! मेरा भाई धैर्यवान है। मैं शांत नहीं रह सकता।

मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस पारदीवाला ने मुकदमों के लंबित रहने पर अहम टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि हमें यह देखकर दुख हो रहा है कि 6.5 साल से मुकदमा लंबित है और केवल 23 गवाहों की जांच की गई है। हम यह समझने में विफल रहे कि 6.5 साल में 23 गवाहों की जांच कैसे की गई। भले ही अपराध गंभीर हो, लेकिन आरोपी को त्वरित सुनवाई का अधिकार है।

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उन्होंने आगे कहा कि यह बार-बार माना गया है कि अगर अत्यधिक देरी हुई है, तो आरोपी को हमेशा जमानत दी जा सकती है। हालांकि यहां हम जमानत नहीं दे रहे हैं..लेकिन हम ट्रायल कोर्ट को 6 महीने के भीतर फैसला सुनाने के लिए एक आखिरी मौका देते हैं। अगर ट्रायल पूरा नहीं हुआ है तो हम पीठासीन अधिकारी से स्पष्टीकरण मांगेंगे। रजिस्ट्री को स्थिति के लिए 6 महीने बाद फिर से इस मामले को अधिसूचित करना चाहिए।