UNESCO ने भी समझी गीता और नाट्यशास्त्र की अहमियत, मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया
- यूनेस्को ने अपने मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर में श्रीमद्भगवद्गीता और नाट्य शास्त्र को भी शामिल किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इसको लेकर देशवासियों को बधाई दी है।

शेखावत ने कहा कि यह वैश्विक सम्मान भारत के शाश्वत ज्ञान और कलात्मक प्रतिभा का जश्न मनाता है। ये कालजयी कृतियां साहित्यिक खजाने से बढ़कर हैं। ये दर्शन और सौंदर्य का भंडार हैं। इन ग्रंथों में भारत के वैश्विक दृष्टिकोण की झलक देखने को मिलती है। ये ग्रंथ भारतवासियों के सोच, विचार और दृश्टि के परिचायक हैं । उन्होंने कहा कि इसके साथ अब इस अंतरराष्ट्रीय रजिस्टर पर हमारे देश के 14 अभिलेख हैं।
बता दें कि मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर में दुनिया के लिए उपयोगी और वैश्विक स्तर के दस्तावेजों कोशामिल किया जाता है। इंटरनेशनल अडवाइजरी कमेटी की सिफारिश के बाद इसमें किसी दस्तावेज को जगह दी जाती है। इससे किसी दस्तावेज की अहमियत का पता चलता है और इसकी सुरक्षा के लिए भी काम किया जाता है। मई 2023 तक 494 अभिलेखों को इसमें शामिल किया गया था।
बता दें कि भरत मुनि के नाट्यशास्त्र में संगीत की विधाओं के साथ ही साहित्य की कई विधाओं को सूक्ष्मता से दर्शाया गया है। इसमें गायन, नृत्य, कविता , नाटक और सौंदर्यशास्त्र की अन्य विधाएं शामिल हैं। कहा जाता है कि भरत मुनि के नाट्यशास्त्र से ही आधुनिक समय में कई वाद्ययंत्रों की जानकारी मिली है। वहीं श्रीमद्भगवद्गीता सनातन धर्म के सबसे पवित्र ग्रंथों में से एक है।
बता दें कि भरत मुनि के नाट्यशास्त्र में संगीत की विधाओं के साथ ही साहित्य की कई विधाओं को सूक्ष्मता से दर्शाया गया है। इसमें गायन, नृत्य, कविता , नाटक और सौंदर्यशास्त्र की अन्य विधाएं शामिल हैं। कहा जाता है कि भरत मुनि के नाट्यशास्त्र से ही आधुनिक समय में कई वाद्ययंत्रों की जानकारी मिली है। वहीं श्रीमद्भगवद्गीता सनातन धर्म के सबसे पवित्र ग्रंथों में से एक है।