क्या है चीन का 'ग्रेट बेंड डैम', जिसपर भाजपा सांसद ने जताई चिंता? इन राज्यों पर प्रभाव
- इसके अलावा भाजपा सांसद गाओ ने यह भी कहा कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी 15वें दलाई लामा का चयन कर सकती है, जिसका असर हिमालय क्षेत्र के बौद्ध समुदाय की जनसंख्या पर पड़ेगा।

अरुणाचल प्रदेश के भाजपा सांसद तपीर गाओ ने मंगलवार को चीन द्वारा यारलंग त्सांगपो नदी (जो तिब्बत में ब्रह्मपुत्र के नाम से जानी जाती है) पर प्रस्तावित 'ग्रेट बेंड डेम' के निर्माण को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने कहा कि इस डेम का निर्माण अरुणाचल प्रदेश, असम और अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों के निचले क्षेत्रों पर गंभीर प्रभाव डालेगा।
इसके अलावा गाओ ने यह भी कहा कि चीनी कम्युनिस्ट पार्टी 15वें दलाई लामा का चयन कर सकती है, जिसका असर हिमालय क्षेत्र के बौद्ध समुदाय की जनसंख्या पर पड़ेगा। विशेष रूप से अरुणाचल के वलोंग से लेकर जम्मू और कश्मीर तक में इसका अधिक प्रभाव देखने को मिलेगा।
चीन द्वारा प्रस्तावित 'ग्रेट बेंड डेम' पर मंगलवार को विशेषज्ञों ने भी चिंता व्यक्त की। विशेषज्ञों के अनुसार यह डेम ब्रह्मपुत्र नदी पर बनाए जाने वाले कई बड़े बांधों का हिस्सा होगा, जिसे चीन में यारलंग त्सांगपो के नाम से जाना जाता है। इस परियोजना का उद्देश्य 60,000 मेगावाट बिजली उत्पादन करना है, लेकिन इसके नतीजे के तौर पर पर्यावरणीय और भौगोलिक असंतुलन हो सकता है।
एक सेमिनार में विशेषज्ञों ने इस परियोजना के संभावित विनाशकारी प्रभावों को उजागर किया, जिसमें तिब्बत में स्थित यारलंग त्सांगपो पर बनाए जा रहे बांधों के प्रभाव को लेकर गहरी चिंता जताई गई।
तपीर गाओ ने कहा, "ब्रह्मपुत्र ब्रह्मा के पुत्र के रूप में प्रसिद्ध है। यह एकमात्र पुरुष नदी है जो मानसरोवर से निकलती है। चीन के पास केवल तीन प्रमुख नदियां हैं और पानी की भारी कमी का सामना करना पड़ता है। तिब्बती विशेषज्ञों ने बताया कि चीनी पहले ही यारलंग त्सांगपो से पानी को डायवर्ट करने के लिए सुरंगों का निर्माण शुरू कर चुके हैं, जिसे पीला नदी (येलो रिवर) की ओर मोड़ा जा रहा है।"
उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने लोकसभा में पहले ही चेतावनी दी थी कि चीन बांध नहीं बना रहा है बल्कि 'पानी के बम' बना रहा है। गाओ ने इस खतरनाक परियोजना के पहले संकेत को 2000 में देखा था, जब इसके विनाशकारी परिणामों का आंशिक रूप से आकलन किया गया था।