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केस फाइल कीजिए, लेकिन इजाजत... निशिकांत दुबे के खिलाफ कार्रवाई पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट

  • तमिलनाडु राज्यपाल केस और वक्फ केस पर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों के बाद बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने न्यायपालिका और सीजेई पर तीखे हमले किए। अब वकीलों ने अवमानना की कार्रवाई की मांग की है।

Himanshu Tiwari लाइव हिन्दुस्तानMon, 21 April 2025 04:56 PM
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केस फाइल कीजिए, लेकिन इजाजत... निशिकांत दुबे के खिलाफ कार्रवाई पर क्या बोला सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को साफ कहा कि बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के खिलाफ आपराधिक अवमानना का मामला दर्ज करने के लिए उसकी इजाजत की जरूरत नहीं है। लेकिन ऐसा करने से पहले अटॉर्नी जनरल की मंजूरी जरूरी है। दरअसल गोड्डा से बीजेपी सांसद के हालिया बयानों के बाद उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई करने की आवाज तेज हो गई है। वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट में अवमानना की कार्रवाई की मांग की थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह बयान दिया।

इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस ऑगस्टिन जॉर्ज मसीह की खंडपीठ ने याचिकाकर्ता वकील से कहा, “आप केस फाइल कीजिए, हमें इसकी इजाजत देने की जरूरत नहीं है। बस अटॉर्नी जनरल से अनुमति लीजिए।”

दरअसल, पिछले हफ्ते बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने संसद में और सोशल मीडिया पर सुप्रीम कोर्ट के फैसलों की कड़ी आलोचना की थी। उन्होंने कहा था कि अगर कानून बनाने का काम अदालतें ही करेंगी, तो संसद को बंद कर देना चाहिए। उन्होंने वक्फ केस और बंगाल में हुई हिंसा का हवाला देते हुए सीजेआई संजीव खन्ना को गृहयुद्ध के लिए जिम्मेदार तक बता डाला।

इन बयानों को लेकर वक्फ केस से जुड़े याचिकाकर्ता और कांग्रेस नेता मोहम्मद जावेद की ओर से पेश वकील अनस तनवीर ने अटॉर्नी जनरल को पत्र लिखकर दुबे के खिलाफ आपराधिक अवमानना की अनुमति मांगी है। उन्होंने कहा कि दुबे के बयान न्यायपालिका की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाले, झूठ फैलाने वाले और सांप्रदायिक अविश्वास को भड़काने वाले हैं। पत्र में कहा गया है कि, “सीजेआई पर राष्ट्रीय अशांति फैलाने का आरोप लगाकर सुप्रीम कोर्ट के सर्वोच्च पद की सरेआम तौहीन की गई है, जिससे जनता में न्यायपालिका के प्रति नाराजगी और अविश्वास पैदा हो सकता है।”

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इसी बीच, अधिवक्ता नरेंद्र मिश्रा ने भी सीजेआई और सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों को पत्र लिखकर अपील की है कि कोर्ट को स्वतः संज्ञान लेते हुए निशिकांत दुबे के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करनी चाहिए। उन्होंने कहा, “ये बयान न सिर्फ न्यायपालिका को डराने की कोशिश हैं, बल्कि संविधानिक संस्था को बदनाम करने और जनता में अशांति फैलाने की सोची-समझी साजिश है।”