NCR के 40 बिल्डरों के 100 से अधिक प्रोजेक्ट की CBI जांच तेज, क्या है मामला
सीबीआई ने बिल्डर-बैंक गठजोड़ मामले में जांच तेज कर दी है। एजेंसी सबवेंशन स्कीम के नाम पर हुए घोटाले में नोएडा-ग्रेटर नोएडा के 30 से अधिक प्रोजेक्ट का दौरा कर रिपोर्ट तैयार कर रही है। इसके अलावा एनसीआर के 40 बिल्डरों के 100 से अधिक प्रोजेक्ट की जांच कर रही है।

सीबीआई ने बिल्डर-बैंक गठजोड़ मामले में जांच तेज कर दी है। एजेंसी सबवेंशन स्कीम के नाम पर हुए घोटाले में नोएडा-ग्रेटर नोएडा के 30 से अधिक प्रोजेक्ट का दौरा कर रिपोर्ट तैयार कर रही है। इसके अलावा एनसीआर के 40 बिल्डरों के 100 से अधिक प्रोजेक्ट की जांच कर रही है।
आरोप है कि सबवेंशन स्कीम के तहत बिल्डरों ने ही बैंकों के साथ मिलकर फ्लैट खरीदारों को लोन दिलाया। मिली राशि को अन्य परियोजनाओं में डायवर्ट कर दिया, न तो बैंक में किस्त जमा हुई, न ही ब्याज दिया गया। इससे एनसीआर के लाखों फ्लैट खरीदारों को नुकसान पहुंचा।
सीबीआई की टीम ने सबवेंशन स्कीम घोटाले में बिल्डरों की कुंडली खंगालनी शुरू कर दी है। टीम बिल्डरों के कार्यालयों से प्रोजेक्ट का ब्योरा हासिल करने के साथ ही मौके पर जाकर निरीक्षण कर रही है। सबवेंशन स्कीम के तहत फ्लैट बुकिंग कराने वाले लोगों के बयान ले रही है। इसके साथ ही बैंकों से भी जानकारी जुटाई जा रही है।
इस मामले में सीबीआई की टीम नोएडा-ग्रेटर नोएडा में ही 30 से अधिक प्रोजेक्ट का दौरा कर चुकी है। इस जांच में सबसे अहम माने जा रहे सुपरटेक के ऑफिस से भी रिकॉर्ड हासिल कर चुकी है। सीबीआई द्वारा नोएडा-ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद में 40 बिल्डर के 100 से अधिक प्रोजेक्ट की जांच की जा रही है। सीबीआई एक माह में जांच का अपडेट सुप्रीम कोर्ट में पेश करेगी।
स्पोर्ट्स सिटी मामले में भी रिकॉर्ड जुटाया : सीबीआई की टीम सबवेंशन के अलावा स्पोर्ट्स सिटी में हुए घोटाले की भी जांच की जा रही है। सीबीआई की टीम पिछले करीब डेढ़ माह में नोएडा प्राधिकरण ऑफिस में 10 से अधिक बार आ चुकी है। घोटाले के संबंध में रिकॉर्ड ले चुकी है। नोएडा प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वित्त विभाग में रिटायर्ड अधिकारी संजीव दत्ता को जांच में सहयोग के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त किया है।
सबवेंशन स्कीम के जरिये खरीदारों को फंसाया
प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि सबवेंशन स्कीम एक ऐसी व्यवस्था है, जिसमें बिल्डर और बैंक मिलकर घर खरीदार को प्रॉपर्टी के निर्माण की अवधि के दौरान ईएमआई चुकाने से राहत देते हैं। खरीदार को घर का कब्जा मिलने तक ईएमआई का भुगतान नहीं करना पड़ता है। उनकी एवज में बिल्डर किस्त देता है। इस स्कीम में बैंक और बिल्डरों ने गठजोड़ कर खरीदारों को नुकसान पहुंचाया था।
इन बिल्डर परियोजनाओं की जांच चल रही
सुपरटेक, एटीएस, लॉजिक्स, महागुन, अजनारा, नैक्सजेन इंफ्राकान प्राइवेट लिमिटेड, इम्प्लेक्स इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड, आईवीआर प्राइम डेवलपर्स, जेपी ग्रीन इंफ्राटेक लिमिटेड जेपी ग्रींस आचर्ड, शुभकामना बिल्डटेक और सिक्वल बिल्डकान।
फ्लैट अब तक नहीं मिला, लेकिन किस्त चुका रहे
सुपरटेक की सबवेंशन स्कीम में घर बुक कराने वाले सेक्टर-62 निवासी रोहित गुप्ता ने बताया कि बिल्डर ने तीन बार तो लोन की किस्त दी, लेकिन उसके बाद भुगतान नहीं किया। वह अब तक किराये के मकान में रह रहे हैं, लेकिन लोन की किस्त चुका रहे हैं।
योजनाएं लाने वाले अधिकांश बिल्डर दिवालिया हो गए
नोएडा और ग्रेटर नोएडा में सबवेंशन स्कीम के तहत लाई गई ग्रुप हाउसिंग योजनाओं की शुरुआत वर्ष 2014 के आसपास हुई थी। करीब चार-पांच साल तक बिल्डरों ने योजनाओं को लॉन्च किया। अधिकारियों की मानें तो इन योजनाओं को लाने वाले अधिकांश बिल्डर दिवालिया हो गए। नोएडा-ग्रेटर नोएडा समेत एनसीआर में करीब 40 परियोजनाओं में फ्लैट खरीदारों को फंसाया गया है।