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चीन से टक्कर के लिए भारत भी उसी नदी बना रहा बांध, अरुणाचल में फिर शुरू हुआ विरोध

आजीविका और पर्यावरण को खतरे को लेकर अरुणाचल में सियांग प्रोजेक्ट के खिलाफ लोग सड़कों पर उतरे। वहीं सरकार इसे चीन के बांध के जवाब में रणनीतिक मानती है।

Amit Kumar हिन्दुस्तान टाइम्स, उत्पल पाराशर, ईंटानगरFri, 23 May 2025 02:01 PM
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चीन से टक्कर के लिए भारत भी उसी नदी बना रहा बांध, अरुणाचल में फिर शुरू हुआ विरोध

अरुणाचल प्रदेश के तीन जिलों में शुक्रवार को सैकड़ों लोगों ने सड़कों पर उतरकर सियांग नदी पर प्रस्तावित 'सियांग अपर मल्टीपर्पज प्रोजेक्ट' (SUMP) के खिलाफ जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। दरअसल इस प्रोजेक्ट के सर्वेक्षण के लिए केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) की तैनाती की गई है। इससे लोग बेहद नाराज नजर आ रहे हैं। यह विवादास्पद परियोजना ईस्ट सियांग जिले के बेगिंग क्षेत्र में प्रस्तावित है। भारत सरकार का दावा है कि यह परियोजना चीन द्वारा तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो नदी पर बनाए जा रहे विशाल जलविद्युत बांध से उत्पन्न संभावित खतरे का मुकाबला करने के लिए जरूरी है। यारलुंग त्सांगपो नदी को भारत के अरुणाचल प्रदेश में सियांग और असम में ब्रह्मपुत्र के नाम से जाना जाता है।

स्थानीय विरोध और तैनाती से तनाव बढ़ा

स्थानीय लोग नवंबर 2024 से इस परियोजना के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे हैं और सर्वेक्षण के प्रयासों को लगातार रोकते आ रहे हैं। हाल ही में केंद्र सरकार ने विरोध को काबू में करने और सर्वे कार्य को पूरा कराने के लिए अर्धसैनिक बलों की तैनाती की, जिससे नया विरोध भड़क गया।

पासीघाट के निवासी निथ परोन ने बताया, “प्रदर्शन शांतिपूर्ण था। लेकिन जब सैकड़ों लोग एकत्र हुए, तो थोड़ी अफरा-तफरी मच गई, जिससे नदी पर बना एक झूलता पुल क्षतिग्रस्त हो गया। पुलिस या सुरक्षाबलों ने प्रदर्शनकारियों पर बल प्रयोग नहीं किया है।”

100,000 से अधिक लोगों के विस्थापन की आशंका

सियांग, ऊपरी सियांग और पूर्वी सियांग जिलों में स्थानीय निवासियों, विशेष रूप से आदि समुदाय के लोगों, ने इस प्रोजेक्ट का विरोध किया है, क्योंकि उनका मानना है कि यह उनकी आजीविका, कृषि भूमि और सांस्कृतिक विरासत को खतरे में डालेगा। सियांग नदी के दीते डाइम, परोंग और उग्गेंग क्षेत्रों में बनने वाली इस परियोजना से कम से कम एक लाख लोगों के विस्थापित होने की आशंका है। पर्यावरणीय प्रभाव को लेकर भी गंभीर चिंताएं जताई जा रही हैं, क्योंकि यह परियोजना जैवविविधता से भरपूर क्षेत्र को प्रभावित कर सकती है।

सरकार ने दी राष्ट्रीय सुरक्षा की दलील

अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने नवंबर में कहा था कि चीन द्वारा तिब्बत में बनाए जा रहे बांध से उत्पन्न खतरे- जैसे अचानक बाढ़ आना और जल संकट को देखते हुए भारत को तैयार रहना होगा। उन्होंने कहा, “अगर हमने अभी कदम नहीं उठाया, तो हम बाहरी शक्तियों की दया पर निर्भर हो जाएंगे। यह परियोजना जल भंडारण कर बाढ़ नियंत्रण और जल संकट से निपटने में मदद करेगी।” खांडू ने कहा, "चीन का यारलुंग त्सांगपो पर बन रहा 60,000 मेगावाट का बांध अरुणाचल, असम और बांग्लादेश में तबाही मचा सकता है। SUMP इस खतरे का मुकाबला करने के लिए एक रणनीतिक कदम है।"

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‘दिबांग रेजिस्टेंस’ ने दी कड़ी प्रतिक्रिया

गुरुवार को ‘डिबांग रेजिस्टेंस’ नामक एक स्थानीय समूह ने बयान जारी कर कहा, “शांतिपूर्ण प्रदर्शन के बावजूद सशस्त्र बलों की तैनाती न केवल गलत है, बल्कि उन लोगों की आवाज को दबाने जैसा है जो इस परियोजना से सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।” उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को जमीन के वास्तविक मालिकों से सीधे संवाद करना चाहिए और उनकी चिंताओं को समझते हुए समाधान निकालना चाहिए। बयान में आगे कहा गया, “हमें एक साथ मिलकर ऐसा रास्ता खोजना होगा जो लोगों के अधिकारों और दृष्टिकोण को मान्यता देता हो। यह एक अनुचित और दमनकारी कदम है। हम अपने समुदाय के साथ खड़े हैं और न्याय की मांग करते रहेंगे।”

चीन के बांध से क्षेत्रीय असंतुलन की आशंका

दिसंबर 2024 में चीन ने दुनिया के सबसे बड़े जलविद्युत बांध के निर्माण को मंजूरी दी थी, जो तिब्बत के पूर्वी क्षेत्र में स्थित है। इसका अनुमानित बजट 137 बिलियन डॉलर है और यह सालाना 300 अरब किलोवॉट-घंटा बिजली उत्पन्न करेगा- जो वर्तमान में दुनिया के सबसे बड़े ‘थ्री गॉर्जेस डैम’ से तीन गुना अधिक है। भारत और बांग्लादेश को निचले क्षेत्रों में इसके असर को लेकर गंभीर चिंता है।

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