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दिल्ली में कैसे बढ़ेगी स्कूलों की फीस, क्या-क्या लगाम; समझ लीजिए पूरी बात

स्कूलों की मनमानी फीस बढ़ोतरी पर अंकुश लगाने के लिए दिल्ली सरकार ने कैबिनेट बैठक में नए बिल के मसौदे को मंजूरी दे दी। इस बिल के अनुसार, फीस वृद्धि से पहले अनुमति लेनी होगी।

Sudhir Jha हिन्दुस्तान, नई दिल्लीWed, 30 April 2025 08:06 AM
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दिल्ली में कैसे बढ़ेगी स्कूलों की फीस, क्या-क्या लगाम; समझ लीजिए पूरी बात

स्कूलों की मनमानी फीस बढ़ोतरी पर अंकुश लगाने के लिए दिल्ली सरकार ने कैबिनेट बैठक में नए बिल के मसौदे को मंजूरी दे दी। इस बिल के अनुसार, फीस वृद्धि से पहले अनुमति लेनी होगी। तीन स्तर पर कमेटी फीस बढ़ोतरी तय करेगी। मनमानी करने वाले स्कूलों पर 10 लाख रुपये तक जुर्माना लगेगा। यह बिल अगले सत्र में पेश किया जाएगा। दिल्ली सरकार मनमानी फीस बढ़ोतरी और इसे लेकर अभिभावकों-छात्रों के साथ हो रहे दुर्व्यवहार के खिलाफ सख्त कानून लाने जा रही है। मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता की अध्यक्षता में मंगलवार को हुई कैबिनेट बैठक में इससे जुड़े बिल ट्रांसपेरेंसीइन फिक्ससेशन एंड रेगुलेशन ऑफ फीस 2025 के मसौदे को मंजूरी दी गई।

अभिभावकों की भूमिका

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि फीस तय करने में अभिभावकों की भी भूमिका होगी। शिक्षा मंत्री अशीष सूद ने बताया कि नए कानून के अनुसार तीन स्तर पर कमेटी फीस तय करेगी।

स्कूल स्तर पर पहली कमेटी

पहली समिति स्कूल स्तर पर होगी। स्कूल प्रबंधन प्रतिनिधि की अध्यक्षता में गठित इस समिति में प्रधानाचार्य, तीन शिक्षक और पांच अभिभावक होंगे। यह कमेटी हर साल 31 जुलाई को गठित की जाएगी। कमेटी को 30 दिन में रिपोर्ट देनी होगी। समिति में फीस बढ़ोतरी पर सहमत नहीं है तो मामला जिला शुल्क अपील समिति के पास जाएगा।

जिला स्तर पर दूसरी समिति

जिला शिक्षा उपनिदेशक की अध्यक्षता वाली समिति में सीए, जोनल उपनिदेश, क्षेत्रीय लेखाधिकारी, शिक्षक और अभिभावक प्रतिनिधि होंगे। इस समिति को 45 दिन में रिपोर्ट देनी होगी। अगर यह समिति फीस नहीं तय कर पाती है तो शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में बनी

राज्य स्तर पर तीसरी समिति

राज्यस्तरीय समिति फैसला करेगी। इसमें शिक्षा क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ, सीए, लेखा नियंत्रक, निजी स्कूल प्रतिनिधि और अभिभावक प्रतिनिधि होंगे।

तीन वर्ष में एक बार रेटिंग से तय होगी बढ़ोतरी

बिल में बताया गया है कि स्कूल फीस तय करने का आधार क्या होगा। मसलन स्कूल की पढ़ाई कैसी है। उनकी वित्तीय स्थिति क्या है। स्कूल में क्या सुविधाएं मिल रही हैं। परिणाम क्या आ रहे हैं, इन तथ्यों को आधार बनाया जाएगा। शिक्षा मंत्री अशीष सूद ने बताया कि एक बार तय फीस अगले तीन अकादमिक वर्षों तक लागू रहेगी। इससे अभिभावकों को राहत मिलेगी और अनिश्चितता कम होगी।

स्कूलों पर भारी जुर्माने का प्रावधान

राजधानी दिल्ली में मनमानी फीस बढ़ाने वाले निजी स्कूलों पर दिल्ली सरकार कई तरह से नकेल कसने वाली है। शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने मंगलवार को कहा कि स्कूल अगर समितियों की ओर से तय फीस को नहीं मानते हैं तो उनपर एक से दस लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि नियमों के उल्लंघन पर स्कूल का लाइसेंस रद्द करने के साथ उसे टेकओवर भी किया जा सकता है। बच्चों के साथ फीस न देने पर किसी छात्र का नाम काटना, परिणाम रोकना, कक्षा या गतिविधियों से वंचित करना, सार्वजनिक रूप से अपमान करने पर स्कूल पर प्रति बच्चा 50 हजार रुपये जुर्माने का प्रावधान कानून में किया गया है। 20 दिन के बाद अगर फिर इसे दोहराते हैं तो यह रकम दोगुनी कर दी जाएगी। स्कूल अगर यह जुर्माना नहीं भरता है तो वसूली के लिए स्कूल प्रबंधन की चल/अचल संपत्ति को जब्त कर बेचा जा सकेगा।

लगातार मिल रही थीं शिकायतें

मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने कहा कि स्कूलों में मनमानी फीस बढ़ोतरी को लेकर लगातार शिकायतें मिल रही थीं। कई निजी स्कूल बिना पूर्व अनुमति के अचानक फीस बढ़ा रहे हैं और समय पर फीस न भरने पर छात्रों को प्रताड़ित किया जा रहा है। इनमें छात्रों को परीक्षा में बैठने से रोकना, कक्षाओं से बाहर करना, सार्वजनिक रूप से अपमानित करना भी शामिल था। उसके बाद से हमने डीएम को स्कूल में जांच करने के लिए भेजना शुरु किया। पिछली सरकारों ने जो नहीं किया अब हमारी सरकार करने जा रही है। ऐसा कानून ला रहे है जहां स्कूल फीस बढ़ोतरी पर हो रही मनमानी पर रोक लगेगी।

अभिभावक संघ ने किया स्वागत

स्कूल फीस वृद्धि को लेकर अध्यादेश की घोषणा को अभिभावक संघ ने स्वागतयोग्य कदम माना है। निजी स्कूल के अभिभावक संघ के सदस्य नितिन गुप्ता ने कहा कि हजारों अभिभावक इस निर्णय का लंबे समय से इंतजार कर रहे थे। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि जमीनी सच्चाई यह है कि अधिकतर निजी स्कूल शिक्षा निदेशालय के सभी दिशा-निर्देशों की अवहेलना कर रहे हैं। अब समय आ गया है कि सरकार केवल जुर्मानों और चेतावनियों तक सीमित न रहे बल्कि कड़े कदम उठाए।

आप ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाए

आप के प्रदेश संयोजक सौरभ भारद्वाज का आरोप है कि भाजपा सरकार निजी स्कूल को मनमाना फीस बढ़ाने के लिए कानूनी कवच देने जा रही है। यह नया कानून मध्यमवर्गीय व अपर मिडिल क्लास के शोषण का साधन बनेगा। साथ ही, निजी स्कूलों की अनुचित मुनाफाखोरी को वैध बनाएगा। भारद्वाज ने कहा कि फीस वृद्धि के खिलाफ शिकायत करने के लिए 15 फीसदी अभिभावक होने की बाध्यता का नियम बेहद हास्यास्पद है। ऐसे में किसी निजी स्कूलों के खिलाफ अभिभावक शिकायत नहीं कर सकेंगे। किसी स्कूल में तीन हजार बच्चे हैं तो शिकायत करने के लिए 450 अभिभावक को कैसे एकत्र किए जा सकेंगे। उन्होंने समिति में अभिभावक प्रतिनिधियों का चयन निजी स्कूल द्वारा लॉटरी से करने पर भी सवाल उठाया है।

बड़े फैसलों से रचा इतिहास : भाजपा

भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने कहा कि भाजपा ने दिल्ली में सरकार बनाते ही बड़े कामों से इतिहास रचा है। उन्होंने कहा कि तीन माह से कम समय में दिल्ली स्कूल एजुकेशन विधेयक 2025, आयुष्मान भारत कार्ड एवं महिला सम्मान राशि पर निर्णय लेकर भाजपा सरकार ने बड़ा काम किया है। सचदेवा ने कहा कि 25 वर्षों से दिल्लीवाले स्कूलों की मनमानी से परेशान थे। वे फीस नियंत्रण के लिए कानून चाहते थे। पहले कांग्रेस और बाद में आप सरकार ने शिक्षा सुधार के खोखले दावे किए। इन्होंने शिक्षा माफिया से सांठ-गांठ करके कानून नहीं बनाया। अब भाजपा सरकार बनने के बाद फीस के मामले पर विधेयक लाया गया है। अब भाजपा सरकार का लक्ष्य है कि दिल्ली के सभी सरकारी स्कूलों में विज्ञान और कॉमर्स पढ़ने का अवसर छात्रों को मिल सके।