स्मार्ट सिटी में 20 प्रतिशत शिक्षकों के पद रिक्त, कैसे होगी शिक्षा नीति लागू
फरीदाबाद के सरकारी स्कूलों में 20 प्रतिशत अध्यापकों की कमी है। इससे छात्रों को शिक्षा का उचित माहौल नहीं मिल रहा है। 378 स्कूलों के लिए 3705 अध्यापकों की आवश्यकता है, लेकिन केवल 3038 अध्यापक कार्यरत...

फरीदाबाद। स्मार्ट सिटी के सरकारी स्कूलों में 20 प्रतिशत अध्यापकों की कमी है। अध्यापकों की कमी के चलते सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा का माहौल नहीं बन पा रहा है। वहीं नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को प्रभावी ढंग से लागू पर संशय हैं। फरीदाबाद जिले में 378 सरकारी स्कूल हैं। इसमें पढ़ाने के लिए 3705 अध्यापकों की आवश्यकता है। इनमें से 3038 अध्यापक ही कार्यरत हैं, जबकि शेष 667 अध्यापकों के पद रिक्त हैं। इसमें जेबीटी, पीजीटी, टीजीटी और एचकेआरएन के तहत कार्यरत अध्यापक शामिल हैं। इनकी कमी की चलते राजकीय विद्यालयों में पढ़ाई का माहौल तैयार नहीं हो पाया है। इसके अलावा प्रदेश सरकार ने इस बार राजकीय स्कूलों में पूरी तरह से नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने का फैसला किया जाना है। ऐसे में अध्यापकों की कमी में इसे लागू कर पाना और छात्र एवं छात्राओं को समझा पाना संभव नहीं है। बता दें कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत पाठ्यक्रम में बदलाव किया गया है। उसे समझा पाना सिर्फ विषय अध्यापकों के लिए संभव हैं।
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बोर्ड परीक्षाओं का परिणाम रहता है चिंता जनक
अध्यापकों की कमी का प्रभाव हर वर्ष बोर्ड परीक्षा के परिणाम पर भी पड़ता है।फरीदाबाद पिछले कई वर्षों से प्रदेश में 20वें स्थान पर आ रहा है। पिछले वर्ष फरीदाबाद का 10वीं कक्षा का परिणाम में 93.38 प्रतिशत रहा था, जबकि 12वीं कक्षा का 85 प्रतिशत परिणाम रहा था। इसके अलावा वर्ष 2023 में परिणाम क्रमश: 90 और 81 प्रतिशत रहा था। प्रदेश में फरीदाबाद की दयनीय स्थिति होने से उच्च अधिकारियों की अध्यापकों को फटकार लगती रहती है।
फीस देने के बाद भी नहीं मिल रहे शिक्षा
प्रदेश सरकार ने राजकीय विद्यालयों में शिक्षा का अनुकूल माहौल तैयार करने के लिए वर्ष 2021 में मॉडल संस्कृति योजना लागू की थी। इसके तहत फरीदाबाद के पांच वरिष्ठ माध्यमिक एवं 85 प्राथमिक विद्यालयों को सीबीएसई की मान्यता दिलाई गई थी। सरकार इन विद्यालयों में पढ़ने वाले छात्रों से फीस भी वसूलती है। सरकार को फीस देने के बाद भी अध्यापक नहीं मिल रहे हैं। कई विद्यालयों में विज्ञान, अंग्रेजी, गणित जैसे प्रमुख विषयों के अध्यापकों की कमी है। कई विद्यालय ने उच्च निजी शिक्षण संस्थानों के भरोसे चल रहे हैं। यहां पर उच्च शिक्षण संस्थान अपने बच्चों को पढ़ाने के लिए भेजते हैं। इससे बीएड सहित अध्यापन के क्षेत्र में पढ़ाने का सपना संजोए युवाओं को अनुभव मिल जाता है।
छात्रों के रुझान का भी प्रमुख कारण है
किसी भी विद्यालय की जान अध्यापक होते हैं। उनके बिना शिक्षा दे पाना संभव नहीं है। अध्यापकों कमी से छात्र संख्या में गिरावट आना स्वाभाविक है। राजकीय विद्यालयों में दाखिले के लिए प्रवेश उत्सव चलते 19 दिन हो गए हैं और इस बार अभी तक करीब 2300 ही नए दाखिले हुए हैं। अध्यापकों की कमी की वजह से अभिभावक अपने बच्चों का दाखिला कराने से बच रहे हैं।
सरकार से लंबे समय से अध्यापकों के रिक्त पदों को भरने की मांग करते रहे हैं। प्राथमिक विद्यालयों में आलम यह है कि एक से दो अध्यापक पूरे स्कूल संभाल रहे है। ऐसे में बच्चे को शिक्षा का सही माहौल दे पाना संभव नहीं है।
-विजय मुदगिल, प्रदेश उपाध्यक्ष, हरियाणा राजकीय प्राथमिक शिक्षक संघ
शिक्षा निदेशालय ने सरप्लस अध्यापकों को शिफ्ट करने के लिए जानकारी मांगी है। फरीदाबाद में 239 प्राथमिक विद्यालय हैं। इसमें एक स्कूल में अध्यापकों एवं छात्रों की संख्या को लेकर एक्सेल शीट तैयार की जा रही है। 30 छात्रों पर एक अध्यापक की नियुक्त होगी। सरप्लस अध्यापकों को उस जगह भेजा जाएगा, जहां अध्यापकों की कमी है
-डॉ. मनोज मित्तल, उप शिक्षा अधिकारी
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