चलते-चलते : बार-बार डरावने सपने देखने से जल्दी बूढ़े होने का डर
एक शोध में पाया गया है कि जो लोग अक्सर बुरे सपने देखते हैं, उनकी जैविक उम्र तेजी से बढ़ती है और 70 साल से पहले मृत्यु का खतरा तीन गुना अधिक होता है। इस अध्ययन में 1.3 लाख से अधिक प्रतिभागियों को शामिल...

- इंपीरियल कॉलेज लंदन का शोध अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किया - जैविक उम्र बढ़ाने और समय से पहले मृत्यु के जोखिम से जुड़े हो सकते
- 70 वर्ष की आयु से पहले मृत्यु का जोखिम तीन गुना अधिक होता है
नंबर गेम
1.3 लाख से ज्यादा लोगों शोध में शामिल हुए
सैन डिएगो, एजेंसी। एक शोध में पाया गया है कि जो लोग अक्सर बुरे या डरावने सपने देखते हैं वो तेजी से बुढ़ापे की ओर बढ़ रहे हैं। इनमें समय से पहले मौत का खतरा अधिक होता है। इस तरह के सपने देखने से उनकी जैविक उम्र तेजी से बढ़ती है।
यह अध्ययन अमेरिका और ब्रिटेन की चार बड़ी स्टडीज के डेटा पर आधारित है जिसमें 1.3 लाख से अधिक प्रतिभागियों को शामिल किया गया था। इसमें पाया गया कि जो लोग हर हफ्ते कम से कम एक बार बुरे सपने देखते हैं, उनके शरीर में उम्र बढ़ने की दर उन लोगों की तुलना में कहीं तेज है जो बहुत कम ऐसे सपने देखते हैं। यह निष्कर्ष अमेरिकन एकेडमी ऑफ न्यूरोलॉजी (एएएन) 2025 की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किया गया। शरीर में तनाव का हार्मोन कोरटिसोल अधिक बनने लगता है, जिससे कोशिकाएं तेजी से बूढ़ी होने लगती है। ऐसे लोगों में 70 साल की उम्र से पहले मौत का का खतरा तीन गुना ज्यादा होता है।
दिमागी बीमारियों का बढ़ जाता है खतरा
इस प्रकार के सपने कई मानसिक स्वास्थ्य चिंताओं से जुड़े हुए हैं। इनमें आत्महत्या के बढ़ते जोखिम भी शामिल हैं। अन्य अध्ययनों ने डरवाने सपनों को अवसाद, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, पार्किंसन रोग, डिमेंशिया और दिल की बीमारियों जैसी स्थितियों से जोड़ा है। बचपन में बुरे सपने आने पर भी आगे चलकर दिमागी बीमारियों का खतरा बढ़ सकता है।
सप्ताह में चार से 10 फीसदी करते हैं इनका अनुभव
शोधकर्ता डॉ. अबिदेमी ओटाइकू ने कहा कि 4-10 फीसदी व्यक्ति सप्ताह में डरवाने सपनों का अनुभव करते हैं। 20-30 फीसदी हर महीने इनका अनुभव करते हैं। 85 फीसदी वर्ष में कम से कम एक बार उनका अनुभव करते हैं। इस रिसर्च का उद्देश्य यह था कि क्या बुरे सपने (डरावने या परेशान) हमारे शरीर में उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को तेज करके उम्र से जुड़ी बीमारियों में भी प्रभाव डालते हैं या नहीं।
सभी सवालों के दिए जवाब
शोध में शामिल सभी लोगों ने अध्ययन की शुरुआत में जरूरी सवालों के जवाब दिए। इसमें पिछले महीने बुरे सपनों के कारण सोने में कितनी बार परेशानी हुई, यह बताना शामिल था। इन प्रतिक्रियाओं के आधार पर प्रतिभागियों को तीन समूहों में बांटा गया। महीने में एक बार से कम, महीने में एक बार या साप्ताहिक। उन्होंने कहा कि अब यह जानने के लिए भविष्य के अध्ययन की आवश्यकता है कि क्या इन सपनों के उपचार से मृत्यु दर के जोखिम को कम किया जा सकता है।
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