CJI Gavai Condemns SCBA for Not Hosting Farewell Ceremony for Justice Trivedi जस्टिस बेला त्रिवेदी को विदाई नहीं देने पर सीजेआई ने एससीबीए की आलोचना की, Delhi Hindi News - Hindustan
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जस्टिस बेला त्रिवेदी को विदाई नहीं देने पर सीजेआई ने एससीबीए की आलोचना की

भारत के प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई ने जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी के लिए विदाई समारोह आयोजित नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन की निंदा की। उन्होंने कहा कि यह परंपराओं का उल्लंघन है। जस्टिस त्रिवेदी...

Newswrap हिन्दुस्तान, नई दिल्लीFri, 16 May 2025 08:26 PM
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जस्टिस बेला त्रिवेदी को विदाई नहीं देने पर सीजेआई ने एससीबीए की आलोचना की

नई दिल्ली। विशेष संवाददाता भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बीआर गवई ने शुक्रवार को सेवानिवृत होने पर जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी के लिए विदाई समारोह आयोजित नहीं करने के लिए सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) की निंदा की है। उन्होंने कहा कि ‘मुझे खुले तौर पर इसकी निंदा करनी चाहिए क्योंकि मैं स्पष्ट रूप से बोलने में विश्वास करता हूं... एससीबीए को ऐसा रुख नहीं अपनाना चाहिए था। जस्टिस त्रिवेदी के सम्मान में आयोजित समारोहिक पीठ की अध्यक्षता करते हुए सीजेआई गवई ने यह टिप्पणी की। समारोहिक पीठ में सीजेआई के अलावा, जस्टिस त्रिवेदी और एजी मसीह भी शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट की जज जस्टिस बेला त्रिवेदी अधिकारिक तौर पर 9 जून को सेवानिवृत होगीं।

लेकिन उन्होंने 16 मई को अपना अंतिम कार्यदिवस के रूप में चुना क्योंकि ग्रीष्मकालीन अवकाश शुरू होने से पहले वह एक सप्ताह के लिए अवकाश पर जा रही है। सीजेआई ने जहां बार एसोसिएशन के रुख की निंदा की, वहीं एसीबीए के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल तथा उपाध्यक्ष रचना श्रीवास्तव की कार्यवाही के दौरान मौजूदगी के लिए सराहना की। परंपरा के अनुसार, एससीबीए सुप्रीम कोर्ट के जजों की सेवानिवृत होने पर विदाई समारोह आयोजित करता है। लेकिन जस्टिस त्रिवेदी के मामले में एक असाधारण निर्णय लिया गया, जो संभवतः बार निकाय से संबद्ध वकीलों के विरुद्ध गए कुछ निर्णयों के कारण हुआ। सीजेआई ने कहा कि ‘मैं कपिल सिब्बल और रचना श्रीवास्तव का आभारी हूं, वे दोनों यहां मौजूद हैं। लेकिन एसोसिएशन ने जो रुख अपनाया है, मैं उसकी खुले तौर पर निंदा करता हूं... ऐसे मौके पर एसोसिएशन को ऐसा रुख नहीं अपनाना चाहिए था। उन्होंने कहा कि ‘मैं खुले दिल से सिब्बल और श्रीवास्तव की सराहना करता हूं क्योंकि एससीबीए द्वारा पारित किये गये प्रस्ताव के बावजूद वे यहां आए हैं, इससे जाहिर होता है कि वह (त्रिवेदी) एक बहुत अच्छी न्यायाधीश हैं। सीजेआई ने कहा कि न्यायाधीश कई तरह के होते हैं, लेकिन यह ऐसा कारण नहीं होना चाहिए जिससे (उन्हें) वह न दिया जाए जो उनका दिया जाना चाहिए था। जस्टिस मसीह ने भी सीजेआई गवई की तरह अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए कहा कि ‘यह बड़ा ही अजीब बात है, जैसा कि सीजेआई ने पहले ही व्यक्त किया है, मुझे खेद है, लेकिन मुझे कहना होगा कि परंपराओं का पालन किया जाना चाहिए और उनका सम्मान किया जाना चाहिए। मुझे यकीन है कि अच्छी परंपराएं हमेशा जारी रहनी चाहिए। सीजेआई गवई ने अपने संबोधन में कहा कि ‘जस्टिस त्रिवेदी की जिला न्यायपालिका से सर्वोच्च न्यायालय तक पहुंचने तथा कड़ी मेहनत और समर्पण के साथ न्याय करने के लिए सराहना की। साथ ही कहा कि उन्हें हमेशा निष्पक्षता, दृढ़ता, सावधानी, कड़ी मेहनत, निष्ठा , समर्पण, ईमानदारी के लिए याद किया जाना चाहिए...। नियमों के पालन में कठोर न्यायाधीश मानी जाने वाली जस्टिस त्रिवेदी ने फर्जी वकालतनामा का इस्तेमाल कर शीर्ष अदालत में कथित तौर पर फर्जी याचिका दायर करने के संबंध में कुछ वकीलों के खिलाफ सीबीआई जांच का आदेश दिया था। 11वीं महिला जज थी जस्टिस बेला एम त्रिवेदी, सुप्रीम कोर्ट के 75 साल के इतिहास में 11वीं महिला जज हैं जो अधिकारिक तौर पर 9 जून को सेवानिवृत हो जाएंगी। जस्टिस त्रिवेदी ने जुलाई 1995 में गुजरात में ट्रायल कोर्ट के न्यायाधीश के रूप में करियर की शुरुआत करने के बाद शीर्ष अदालत में पदोन्नत होने का दुर्लभ गौरव प्राप्त था। उन्हें 31 अगस्त, 2021 को सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया था, जब तीन महिलाओं सहित रिकॉर्ड 9 नए न्यायाधीशों को पद की शपथ दिलाई गई थी। जस्टिस त्रिवेदी के लिए विदाई समारोह आयोजित करने का आग्रह भारतीय विधिज्ञ परिषद (बीसीआई) ने सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और सुप्रीम कोर्ट एओआर एसोसिएशन से आग्रह किया है कि वे जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी के लिए एक आधिकारिक विदाई समारोह आयोजित करें। बीसीआई ने एससीबीए के अध्यक्ष कपिल सिब्बल और एससीएओआरए के अध्यक्ष विपुल नायर को संबोधित अपने पत्र में कहा है ‘ऐसे कद के न्यायाधीश को विदाई देने से इनकार करना संस्थागत मूल्यों पर सवाल उठाता है, जिसके लिए हम, कानूनी पेशेवरों के एक सामूहिक निकाय के रूप में खड़े हैं। साथ ही कहा है कि उनके योगदान को नजरअंदाज करना और उन्हें वह सम्मान देने से इनकार करना जिसकी वे हकदार हैं, समानता, निष्पक्षता और अखंडता के उन सिद्धांतों को कम करना है जिन्हें जस्टिस त्रिवेदी ने अपने शानदार करियर के दौरान उत्साहपूर्वक कायम रखा है।

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