बाघिन अवनी को मारने वालों को पुरस्कृत करने से जुड़ा अवमानना मामला बंद
सुप्रीम फैसला अदालत ने कहा, नरभक्षी बाघिन को मारने की अनुमति थी अधिकारियों ने...

सुप्रीम फैसला
अदालत ने कहा, नरभक्षी बाघिन को मारने की अनुमति थी
अधिकारियों ने शपथ देकर कहा, जश्न नहीं मनाया
नई दिल्ली | एजेंसी
उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र के यवतमाल जिले में 2018 में कथित नरभक्षी बाघिन अवनी को मारने वाले व्यक्तियों को पुरस्कृत करने पर महाराष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारियों के खिलाफ अवमानाना मामला शुक्रवार को बंद कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यन की पीठ ने पशु अधिकार कार्यकर्ता संगीता डोगरा को अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दे दी। इससे पहले 10 फरवरी को पीठ ने महाराष्ट्र के प्रधान सचिव विकास खड़गे और आठ अन्य के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए नोटिस जारी किया था।
वीडियो कॉन्फ्रेंस से हुई सुनवाई के दौरान पीठ ने डोगरा से कहा कि राज्य सरकार ने दाखिल जवाब में कहा है कि नरभक्षी बाघिन को मारने के फैसले को इस अदालत से मंजूरी हासिल थी। पीठ ने कहा, हम नहीं कह सकते कि बाघिन नरभक्षी नहीं थी और अदालत के पिछले फैसले की समीक्षा नहीं कर सकते।
कोर्ट ने कहा कि यदि ग्रामीणों ने यह सोचकर जश्न मनाया कि उन्हें बाघिन के मारे से जाने से राहत मिल गई है तो इसका अधिकारियों द्वारा संज्ञान कैसे लिया जा सकता है। हालांकि डोगरा ने कहा कि अदालत के सामने सही तथ्य नहीं पेश किए गए।
शीर्ष अदालत ने कहा कि वह इस मामले पर कैसे गौर कर सकती है, जब बाघिन को उचित प्रक्रिया का पालन कर मारा गया। अधिकारियों ने शपथ दिया है कि उन्होंने बाघिन के मारे जाने के बाद जश्न नहीं मनाया। पीठ ने डोगरा से कहा, अगली बार आप पहले से तैयारी कर आएं ताकि हम आपकी मदद कर सकें। या तो आप याचिका वापस लें, अन्यथा हम इसे खारिज कर देंगे। इसके बाद संगीता डोगरा ने याचिका वापस ले ली।
याचिका में डोगरा ने दावा किया था कि बाघिन नरभक्षी नहीं थी और यह पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से स्पष्ट है। बता दें कि यवतमाल में दो नवंबर, 2018 को बाघिन अवनी या टी 1 की गोली मारकर हत्या की गई थी। अवनी के बारे में कहा गया था कि उसने दो साल में 13 लोगों की जान ली।
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