आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हुआ था पुलिस जवान, अब मां को पाकिस्तान भेजने की तैयारी
Jammu kashmir news: जम्मू-कश्मीर में पुलिस अधिकारियों ने 60 पाकिस्तानी नागरिकों को चिन्हित किया है, जिन्हें सरकारी आदेश के मुताबिक जल्द से जल्द भारत छोड़ना होगा। इन्हीं 60 लोगों में एक नाम 2022 में शहीद पुलिस जवान मुदासिर अहमद शेख की मां शमीमा अख्तर का भी है।

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद सरकार ने भारत में रह रहे पाकिस्तानियों को वापस भेजने का फैसला लिया था। इसी सिलसिले में जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों ने भी राज्य में रह रहे 60 पाकिस्तानी नागरिकों को वापस भेजने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इन 60 लोगों की सूची में सबसे ज्यादा ध्यान खींचने वाला नाम 2022 में हुए एक एनकाउंटर में शहीद हुए पुलिस जवान मदासिर अहमद शेख की मां का शमीमा अख्तर का भी है।
पूरे देश में चल रहे इस घटना क्रम पर मुदासिर के चाचा यूनुस ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि मेरी भाभी पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर की रहने वाली हैं। वह तो हमारा ही हिस्सा है। ऐसे में सरकार को उन्हें निर्वासित नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुदासिर की शहादत के बाद केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने परिवार से मुलाकात की थी और उपराज्यपाल भी दो बार परिवार से मिलने आए थे।
यूनुस ने कहा,"मेरी भाभी जब यहां आई थीं, तब उनकी उम्र महज 20 साल थी। वह पिछले 45 सालों से यहीं भारत में रह रही हैं। उनके बेटे ने देश के लिए अपनी शहादत दी है। ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मेरी अपील है कि उन्हें ऐसा नहीं करना चाहिए।"
जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवान मुदासिर अहमद शेख 2022 में पाकिस्तानी आतंकियों के खिलाफ चलाए जा रहे एक अभियान का हिस्सा थे, जिसमें गोली लगने की वजह से उनकी मौत हो गई थी।
स्थानीय अधिकारियों ने निर्वासन की प्रक्रिया के बारे में बात करते हुए कहा कि 60 पाकिस्तानी नागरिकों को निर्वासित करने की प्रक्रिया चल रही है। निर्वासित किए जा रहे लोगों में से ज्यादातर पूर्व आतंकवादियों की पत्नियां और उनके बच्चे हैं,जो आतंकवाद छोड़ चुके लोगों के लिए 2010 में चलाई गई पुनर्वास नीति के तहत घाटी में लौटे थे। अधिकारियों ने बताया कि इनमें से 36 पाकिस्तानी श्रीनगर में, नौ-नौ बारामूला और कुपवाड़ा में, चार बडगाम में और दो शोपियां जिले में रह रहे थे। इन सभी लोगों को बसों में भरकर पंजाब लाया जाएगा, जहां से अटारी बॉर्डर के जरिए इन्हें पाकिस्तानी अधिकारियों को सौंप दिया जाएगा।